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धरती से लेकर अंतरिक्ष तक पहुंची रूसी धमकियां

१ मार्च २०२२

शीत युद्ध के बाद से बीते 21 सालों में आईएसएस अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल रहा है. कितने ही भूराजनैतिक संकट आए लेकिन किसी ने उसके अस्तित्व पर ऐसा खतरा पैदा नहीं किया जैसा रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद हुआ.

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ISS I Internationale Raumstation über dem Planeten Erde
तस्वीर: Stanislav Rishnyak/NASA/Zoonar/picture alliance

2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया, तब भी उसे पश्चिमी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की काफी आलोचना झेलनी पड़ी. रूस के खिलाफ प्रतिबंध भी लगाए गए. लेकिन यूक्रेन पर हमले के बाद तो कारोबार और कूटनीति के साथ साथ रूस का दूसरी महाशक्तियों के साथ अंतरिक्ष में सहयोग भी इतिहास में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) को रूस ने अपना सहयोग रोकने की धमकी दी है.

उधर, अमेरिका का नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस ऑर्गेनाइजेशन (नासा) ऐसे उपाय खोजने में लग गया है जिससे कि रूस के हाथ खींच लेने पर भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन कक्षा में बना रहे. हाल ही में रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने बातों बातों में कह डाला कि अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में रूस भी अंतरिक्ष वाली साझेदारी से बाहर निकल सकता है. उन्होंने इस संभावना का जिक्र किया कि अगर रूस आईएसएस से अपना 400 टन का हिस्सा निकाल लेता है तो वह उसे अपने देश को छोड़कर धरती पर कहीं भी गिरा सकता है. हालांकि, रूस की ओर से आधिकारिक तौर पर आईएसएस से नाता तोड़ने की कार्रवाई शुरु नहीं हुई है.

Dmitri Olegowitsch Rogosin | Vorsitzedner Roskosmos Weltraumorganisation
रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के प्रमुख दिमित्री रोगोजिनतस्वीर: Pavel Pavlov/AA/picture alliance

नासा में इंसानों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले कार्यक्रमों की प्रमुख कैथी लूडर्स ने बताया है कि फिलहाल रिसर्च स्टेशन पर काम सामान्य तौर पर चल रहा है और उन्हें "ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि बाकी हिस्से समर्पित होकर काम नहीं कर रहे हैं." उन्होंने बताया कि वे लगातार अपने कार्गो की क्षमताएं बढ़ाने की कोशिशें भी करते रहते हैं.

आईएसएस पर कौन क्या करता है

आईएसएस पर अमेरिकी पक्ष पावर और लाइफ सपोर्ट के लिए, वहीं रूस प्रोपल्शन और स्टेशन को कक्षा में बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है. रूस इसके लिए समय समय पर प्रोग्रेस स्पेसक्राफ्ट को छोड़ता रहता है. इससे स्टेशन को इतना बूस्ट मिलता है कि वह धरती से लगभग 250 मील (400 किलोमीटर) की ऊंचाई पर कक्षा में बना रहता है.

रूस के हाथ खींचने की हालत में क्या होगा? इस बारे में नासा की इंजीनियर लूडर्स ने नॉर्थरोप ग्रूमान और स्पेस एक्स की मदद लेने की संभावना जताई है. नॉर्थरोप ग्रूमान का पहले भी स्टेशन को रीबूस्ट करने में इस्तेमाल हुआ है. 21 फरवरी को आखिरी बार नॉर्थरोप ग्रूमान सिग्नस कार्गो वैसेल आईएसएस पहुंची. उसका दावा है कि रूसी मदद के बिना भी वह रिसर्च स्टेशन को रीबूस्ट करने की हालत में है.

USA Nasa, Raumfahrt
अंतरराष्ट्रीय रिसर्च स्टेशन आईएसएस पर एंटीना की मरम्मत के लिए स्पेसवॉक करते अंतरिक्षयात्री तस्वीर: NASA TV/Handout/REUTERS

यूक्रेन में रूसी हमला शुरु होने के बाद स्पेस एक्स के प्रमुख एलॉन मस्क के एक ट्वीट कर यह संदेश दिया कि रूसी असहयोग की स्थिति में उनकी कंपनी आईएसएस को गिरने से बचाएगी. लूडर्स ने बताया कि फिलहाल "स्पेस एक्स भी अतिरिक्त क्षमता दिलाने" के तरीके तलाश रहा है. लेकिन उन्होंने साफ किया कि ऐसी योजनाएं केवल फौरी उपाय होंगी. उन्होंने कहा, "हमारे लिए अकेले ऑपरेट कर पाना बहुत कठिन होगा - आईएसएस को एक अंतरराष्ट्रीय साझेदारी में बनाया गया था... एक दूसरे पर निर्भरता जिसका हिस्सा है." इससे रूस के बाहर निकलने को उन्होंने "अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशनों के लिए एक दुख भरा दिन" बताया.

यूरोप के साथ सहयोग भी अटका

इसी साल रूस के मदद से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) मंगल पर एक रोवर भेजने वाली है. एजेंसी ने बताया कि रूस पर लगी पाबंदियों के मद्देनजर अब उस मिशन का लॉन्च हो पाना लगभग असंभव लगा रहा है. इस रोवर का नाम है रोजालिंड फ्रैंकलिन रोवर और इसका मकसद मंगल की मिट्टी को खोद कर उसमें जीवन के निशान खोजना है. पहले इसे 2020 में भेजने की योजना थी जो कि कोविड महामारी और फिर तकनीकी परेशानियों के कारण टालनी पड़ी थी. इसी जनवरी में ईएसए ने घोषणा की कि एक्सोमार्स मिशन अब तैयार है और उसे सितंबर में लॉन्च किया जा सकता है. इसके लिए लॉन्चर, डिसेंट मॉड्यूल और लैंडिंग प्लेटफॉर्म रूस से ही मिलना था.

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2018 में नासा और रॉसकॉसमॉस के सहयोग से मुहैया कराई गई आईएसएस की तस्वीरतस्वीर: NASA/Roscosmos/Reuters

यूक्रेन पर रूसी हमले के चलते लगे प्रतिबंधों का समर्थन करते हुए अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि "यूरोपीय मूल्यों का सम्मान करते हुए इस समय लोगों की जान माल को बचाने वाले फैसले लेना सही कदम है." उस पर थोपे गए प्रतिबंधों के जवाब में रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने लॉन्च को स्थगित करने और कोरू, फ्रेंच गयाना के यूरोपीय स्पेस पोर्ट से अपने लोगों को वापस बुलाने का फैसला किया है. इसी साल यूरोप अपने दो सेटेलाइट भी भेजना चाहता ता जो गैलीलियो जीपीएस सिस्टम का हिस्सा बनते.

ऋतिका पाण्डेय (एएफपी, डीपीए)

आखिर क्यों नहीं गिरता आईएसएस

एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_