मणिपुर वीडियो पर सुप्रीम कोर्ट की सरकार को चेतावनी
२० जुलाई २०२३सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके इस वीडियो में कई पुरुषों की एक भीड़ दो महिलाएं को निर्वस्त्र अवस्था में कहीं धकेलती हुई नजर आ रही है. भीड़ में से कुछ युवक बीच बीच में उन महिलाओं का यौन उत्पीड़न भी करते हुए नजर आ रहे हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बाद में इन महिलाओं का सामूहिक बलात्कार किया गया. डीडब्ल्यू ने इस मामले में पुलिस को दी गई शिकायत की एक प्रति देखी है. शिकायत चार मई, 2023 की है और कांगपोक्पी जिले के गांव 'बी फैनोम' के मुखिया ने इसे लिखा है.
भीड़ ने किया अपराध
शिकायत के मुताबिक, उस दिन कई मैतेई संगठनों से जुड़े 800 से 1000 पुरुष हथियारों से लैस हो कर जबरदस्ती उनके गांव में घुस आये, लूटपाट मचाई और घरों में आग लगा दी. पांच गांव वाले अपनी जान बचाने के लिए जंगल की तरफ भाग गए.
इन्हें बाद में पुलिस ने बचाया लेकिन पुलिस जब इन्हें वापस ले कर जा रही थी तब रास्ते में एक भीड़ ने उन पांचों को पुलिस की सुरक्षा से खींच लिया. उसके बाद भीड़ ने उनमें से एक को मार डाला. उन पांच लोगों में तीन महिलाएं थीं और भीड़ ने तीनों को जबरन निर्वस्त्र किया और उनमें से 21 साल की एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार किया.
शिकायत के मुताबिक पीड़िता के भाई ने जब अपनी बहन को बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने उसे भी मार डाला. बाद में तीनों महिलाएं किसी तरह से अपनी जान बचा कर वहां से भाग निकलने में सफल हुईं.
इस वीडियो पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चेताया है कि वो इस पर कार्रवाई करे, नहीं तो अदालत को ही कोई कदम उठाना पड़ेगा. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत इस वीडियो से बेहद विचलित हुई है.
चंद्रचूड़ ने कहा, "यह सरासर अस्वीकार्य है. सामुदायिक फसाद के एक इलाके में महिलाओं को एक इंस्ट्रूमेंट की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. यह सबसे घिनौना संवैधानिक दुर्व्यवहार है."
राज्य सरकार अब हरकत में
इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने घोषणा की कि वीडियो के सामने आने के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया. उनके बयान से यह स्पष्ट नहीं हुआ कि घटना की शिकायत हफ्तों पहले दर्ज कर लेने के बाद स्थानीय पुलिस ने क्या कार्रवाई की थी.
सिंह ने यह भी कहा कि इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी, जिसमें फांसी की सजा भी शामिल है. लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि घटना मई में घटी थी तो ऐसे में राज्य सरकार ने अभी तक मामले में क्या कार्रवाई की.
राष्ट्रीय मीडिया में भी इस मामले ने ऐसे दिन तूल पकड़ा जिस दिन संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ. विपक्ष वैसे ही महीनों से बीजेपी-शासित मणिपुर के अशांत होने को लेकर बीजेपी और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कड़े सवाल पूछ रहा है.
वीडियो के सामने आने के बाद विपक्षी पार्टियों ने मणिपुर का मुद्दा जोर शोर से संसद में उठाया और सरकार से जवाब मांगे. दिन भर इतना हंगामा हुआ कि अंत में दोनों सदनों की कार्रवाई पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई.
संसद के बाहर पत्रकारों को बयान देते हुए मोदी ने कहा कि इस घटना से पूरा देश शर्मसार हुआ है और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी. लेकिन उन्होंने इसे पूरे देश में सामान्य कानून व्यवस्था से जोड़ दिया और सभी मुख्यमंत्रियों से कानून व्यवस्था को और कसने की अपील की.
विपक्ष ने इस पर मोदी की आलोचना की. साथ ही विपक्ष ने सिंह के इस्तीफे की और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है.