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झारखंड विधानसभा चुनाव: पहले फेज में 43 सीट पर वोटिंग जारी

मनीष कुमार
१३ नवम्बर २०२४

81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा के लिए बुधवार को पहले फेज का मतदान हो रहा है. इस फेज में 13 जिलों की 43 सीटों पर 1,37,10,717 वोटर छह वर्तमान मंत्री तथा एक पूर्व मुख्यमंत्री सहित 683 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे.

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उंगली पर लगी स्याही का निशान दिखाती महिला
झारखंड में दो चरणों में मतदान होंगे और 23 नवंबर को नतीजे आएंगेतस्वीर: Idrees Mohammed/AFP/Getty Images

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में अधिसंख्य आरक्षित सीटों पर मतदान होना है. इनमें  17 सामान्य हैं, जबकि छह एससी तथा 20 एसटी के लिए रिजर्व हैं. दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होगा. वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी.

पहले चरण में कोल्हान टाइगर के नाम से विख्यात पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की खासी चर्चा है. जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपाई ही सीएम बने थे. वे करीब पांच महीने तक मुख्यमंत्री रहे. इससे पहले भी वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते थे. चंपई छह बार विधायक रहे हैं. जेल से छूटने के बाद सीएम के पद से हटाए गए चंपई ने जेएमएम से करीब 40 सालों से अधिक पुराना रिश्ता तोड़ लिया और वे बीजेपी में शामिल हो गए.

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पारंपरिक टोपी में
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन इस बार बीजेपी से अपनी किस्मत आजमा रहे हैंतस्वीर: Hindustan Times/Sipa USA/picture alliance

झारखंड: क्या चंपाई के सहारे सत्ता पाने की जुगत में है बीजेपी

सोरेन के अलावा प्रदेश सरकार के मंत्री मिथिलेश ठाकुर, दीपक बिरुवा, बैद्यनाथ राम, रामेश्वर उरांव, रामदास सोरेन, बन्ना गुप्ता के अलावा पूर्व मंत्री सीपी सिंह, सरयू राय, भानू प्रताप शाही, नीरा यादव, नीलकंठ सिंह मुंडा, रामचंद्र चंद्रवंशी, कमलेश कुमार सिंह, केएन त्रिपाठी, गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर आदि नेताओं की भी प्रतिष्ठा दांव पर है. ओडिशा के राज्यपाल व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास, मंत्री सत्यानंद भोक्ता की बहू रश्मि प्रकाश, चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन भी इसी चरण में भाग्य आजमा रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा बतौर बीजेपी प्रत्याशी तथा झारखंड महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकीं महुआ माजी जेएमएम की तरफ से मैदान में हैं.

कुर्सी पर बैठे चंपाई सोरेन और हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपाई करीब पांच महीने तक मुख्यमंत्री रहेतस्वीर: Hindustan Times/Sipa USA/picture alliance

प्रत्याशियों में 235 करोड़पति, 174 दागी

पहले फेज की 43 सीट में 14 कोल्हान, 13 दक्षिणी छोटानागपुर, सात उत्तरी छोटानागपुर तथा नौ पलामू डिवीजन की हैं. इस चरण में मतदाताओं के लिए 15,344 बूथ बनाए गए हैं. उम्मीदवारों में 609 पुरुष, 73 महिला एवं एक थर्ड जेंडर के हैं. इनमें 235 प्रत्याशी करोड़पति हैं. एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) द्वारा उम्मीदवारों के हलफनामे के आधार पर तैयार रिपोर्ट के अनुसार पहले चरण के 34.5 प्रतिशत प्रत्याशी अर्थात 235 उम्मीदवार करोड़पति हैं. इन सभी के पास एक करोड़ या उससे अधिक की संपत्ति है. दलगत आंकड़ों को देखें तो भाजपा के सबसे अधिक 30, झामुमो के 18, कांग्रेस के 16, बीएसपी के सात, आरजेडी के चार तथा जदयू के दो प्रत्याशी करोड़पति हैं. निर्दलीय प्रत्याशी कंदोमणि भूमिज के पास सर्वाधिक 80 करोड़ की संपत्ति है, जबकि झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के सुशील टोप्पो के पास सबसे कम सात हजार रुपये की संपत्ति है. इसी तरह 26 फीसद यानी 174 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें 127 ऐसे हैैं, जिनके खिलाफ हत्या और अपहरण जैसे गंभीर अपराध के मामले हैैं. वहीं, 11 के खिलाफ महिला अत्याचार से संबंधित मामले दर्ज हैं. एडीआर की दलगत आंकड़ों के अनुसार बीजेपी के सर्वाधिक 20, कांग्रेस व झामुमो के 11-11, बीएसपी के आठ, आरजेडी के तीन तथा जदयू के दो प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले हैं.

भारत के झारखंड में भी उभरने लगी घुसपैठ की समस्या

शपथ लेते झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हेमंत सोरेन
संथाल और कोल्हान प्रमंडल की 32 सीटें किंगमेकर की भूमिका निभाती हैंतस्वीर: Xinhua News Agency/picture alliance

क्या फिर किंगमेकर बन सकेगा कोल्हान

झारखंड की राजनीति में संथाल और कोल्हान प्रमंडल काफी महत्वपूर्ण हैं. इन दोनों प्रमंडलों की 32 सीटें यह तय कर देती हैैं कि प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी. इनमें कोल्हान प्रमंडल को मुख्यमंत्रियों का प्रमंडल कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी. अब तक सीएम की कुर्सी तक पहुंचे सात नेताओं में सबसे ज्यादा चार कोल्हान के ही हैं. रघुवर दास के रूप में झारखंड को पहला गैर-आदिवासी सीएम देने का श्रेय भी कोल्हान को ही है. सियासी गलियारे में इस इलाके को किंगमेकर के नाम से भी जाना जाता है. कोल्हान प्रमंडल के तीन जिलों पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां में विधानसभा की 14 सीटें हैं. इनमें एसटी के लिए नौ, एससी के लिए एक सीट सुरक्षित है तो चार सीट अनारक्षित है. एक समय था, जब कोल्हान में भाजपा (बीजेपी) सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी. लेकिन पिछले चुनाव यानि 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस एवं आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) ने मिल कर कोल्हान से बीजेपी को साफ कर दिया था. 11 सीट झामुमो ने, कांग्रेस ने तीन तथा निर्दलीय सरयू राय ने एक सीट जीत ली थी. किंतु इस बार स्थिति काफी भिन्न है. कोल्हान में झामुमो के सबसे बड़े नेता रहे चंपाई सोरेन अब भाजपा में हैं तथा वे और उनके बेटे क्रमश: सरायकेला और घाटशिला से चुनाव लड़ रहे हैं. इसी तरह कांग्रेस छोड़ कर मधु कोड़ा और उनकी पत्नी गीता कोड़ा भी अब बीजेपी में हैं. 2019 के चुनाव में भाजपा से अलग होकर तत्कालीन सीएम रघुवर दास को जमशेदपुर (पूर्वी) सीट पर पराजित करने वाले सरयू राय भी अब भाजपा के सहयोगी दल जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. कुल मिलाकर इस इलाके में बीजेपी भारी दिख रही है. अब झामुमो के सामने अपना प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है तो बीजेपी किसी तरह पांव जमाना चाहती है, ताकि सत्ता की राह आसान हो सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दो बार कोल्हान का दौरा कर चुके हैं.

महाराष्ट्र, झारखंड विधानसभा चुनाव: गठबंधनों में किन सीटों पर नहीं बनी बात

एक पोलिंग बूथ पर मौजूद महिला अधिकारी और महिला वोटर
बीजेपी ने झारखंड चुनाव में इस बार घुसपैठ का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया हैतस्वीर: Bhawika Chhabra/REUTERS

घुसपैठ, तुष्टीकरण व धर्मांतरण जैसे मुद्दे ही गूंजते रहे

झारखंड के इस बार के चुनाव में लोकसभा चुनाव वाले मुद्दे ही हावी हैं. अवैध घुसपैठ, धर्मांतरण, भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण, महंगाई जैसे मुद्दे ही गूंजते रहे. हालांकि, कुछ नए नारे भले ही सुनने को मिले. बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए के नेताओं ने अपने प्रचार के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठ, आदिवासियों की घटती आबादी, उनकी जमीन पर कब्जा, सोरेन सरकार के भ्रष्टाचार की जमकर चर्चा की. नया नारा दिया- भाजपा ने झारखंड बनाया, भाजपा ही संवारेगी. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तो बकायदा कह दिया कि अगर राज्य में बीजेपी की सरकार बनी तो घुसपैठियों की पहचान के लिए कमेटी बनाई जाएगी तथा आदिवासी लड़कियों से विवाह करने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम जमीन का हस्तांतरण रोकने के लिए कड़ा कानून बनेगा. आदिवासी बहन-बेटियों को जमीन वापस दिलाई जाएगी. वहीं, कांग्रेस नीत इंडिया गठबंधन ने हेमंत सरकार की योजनाओं, नौकरी में स्थानीय को प्राथमिकता तथा 1932 की खतियान नीति और जल, जंगल-जमीन की सुरक्षा को मुद्दा बनाया. इनका नारा था- एक ही नारा हेमंत दुबारा, एक वोट और सात गारंटी. बीजेपी ने अपने वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे जैसे नारे दिए. तो इंडिया गठबंधन ने लड़ेंगे तो जीतेंगे और जुड़ेंगे तो जीतेंगे से इसका जवाब दिया. इसके अलावा दोनों ही गठबंधनों के फोकस में महिलाएं रहीं. दोनों ही पक्ष ने महिलाओं के लिए नई योजनाओं की घोषणाएं की. एनडीए ने गोगो दीदी योजना का ऐलान कर दिया तथा सरकार बनने पर हरेक माह 2100 रुपये देने का वादा किया तो सत्तारूढ़ गठबंधन ने प्रचार के दौरान सरकार की मईया सम्मान और फूलो-झानो सहित अन्य योजनाओं की चर्चा की तो दिसंबर से महिलाओं को 2500 रुपये देने का ऐलान कर दिया.

सियासी जंग में कौन किंगमेकर बनेगा और किसके दामन पर पराजय का दाग लगेगा, यह तो चुनाव के बाद ही पता चल सकेगा. किंतु, इतना तय है कि किसी भी दल ने जीत का सेहरा बांधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रखी है.

शहर की धक्कामुक्की छोड़ गांव में बसाई दुनिया