जर्मनी में 'सोवियत रूस का भूत'
दो दशक पहले रूसी सेना ने वुन्सडोर्फ छोड़ दिया था. लेकिन तब से जर्मनी का यह सबसे बड़ा सैन्य शहर धूल फांक रहा है. देखिए, इस भुतिया शहर की तस्वीरें...
सूखा
कभी रेड आर्मी के अफसरों से भरा रहने वाला यह स्विमिंगपूल सालों से सूखाग्रस्त है. बर्लिन से वुन्सडोर्फ सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है. शीत युद्ध के दौरान यह जगह पूर्वी जर्मनी में रूस का सबसे बड़ा सैनिक अड्डा थी.
ऑफिसर्स मेस
रूसी सेना ने 9 सितंबर 1994 को वुन्सडोर्फ खाली कर दिया था. लेकिन खाली बैरक और बाकी बिल्डिंग्स आज भी ज्यों की त्यों हैं. इन इमारतों में स्पोर्ट्स हॉल, स्विमिंग पूल, सिनेमा और बहुमंजिला फ्लैट्स भी थे.
अभेद्य था शहर
यह था वुन्सडोर्फ का सिनेमा. वुन्सडोर्फ बाहरी दुनिया के लिए एकदम अभेद्य जगह थी. यहां के बारे में कहा जाता था कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता. अंदर क्या होता था, कैसे होता था कोई नहीं जानता.
गिर चुका पर्दा
अब वुन्सडोर्फ पर पर्दा गिरे भले ही दो दशक से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन सिनेमा में पर्दे टंगे हुए हैं. वैसे रूसी सेना के आने से पहले वुन्सडोर्फ 3000 लोगों का एक छोटा सा गांव था.
प्रचार
वुन्सडोर्फ में अफसरों के बैरकों के पास यह दीवार बताती है कि रूसी सेना किस तरह का प्रचार करती थी. दीवार पर रूसी राष्ट्रकवि एलेग्जैंडर पुश्किन की पंक्तियां लिखी हैं कि अपनी आत्मा को देश पर न्योछावर कर दो.
लेनिन अकेला
सोवियत संघ खत्म हो चुका है और अब उसके संस्थापक नेता लेनिन की यह मूर्ति सुनसान पड़े वुन्सडोर्फ में अकेली खड़ी है.
तेज गिरावट
वुन्सडोर्फ की दीवारों से रूसी रंग उतरने में ज्यादा समय नहीं लगा है. किसी एक जगह से सेना की यह इतिहास की सबसे बड़ी वापसी थी. यहां तीन लाख 30 हजार सैनिक, उनके दो लाख आठ हजार परिजन, 4116 टैंक और आठ हजार सैन्य वाहन थे.
कुछ नहीं बचा
एक अफसर के दफ्तर में मेड इन यूएसएसआर की मुहर वाले ये उपकरण रखे हैं. लेकिन अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है. जो कुछ बचा था उसे निशानियां जमा करने वाले लोग ले गये या कूड़ा उठाने वाले.
दुनिया बदल चुकी है
एक दफ्तर में शीत युद्ध के दिनों का दुनिया का नक्शा टंगा है. लेकिन तब से दुनिया बहुत बदल चुकी है. कभी दो ध्रुवीय दुनिया में अब पुतिन फिर से ताकतवर हो चले हैं और अमेरिका में ट्रंप विराजमान हैं. रिपोर्ट: डानियाल हाइनरिष/वीके