जो बाइडेन ने चुनाव जीत लिया तो राष्ट्रपति बनने में देरी क्यों?
अमेरिका का चुनाव भारत के चुनाव से थोड़ा अलग है, इसलिए इसे समझने में मुश्किल भी होती है. राष्ट्रपति पद के लिए केवल दो दावेदारों को देख कर भले ही लगे कि किसी गेम शो की तरह यह सीधा सरल है लेकिन ऐसा है नहीं.
आने वाले दिनों में क्या होगा?
सभी राज्यों को सुनिश्चित करना होगा कि सारे वोट गिने जा चुके हैं. ऐसा होने में अभी कुछ हफ्तों का वक्त भी लग सकता है. 8 दिसंबर तक यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी. हालांकि जो बाइडेन की जीत पर इसका कोई असर होता नहीं दिखता लेकिन ट्रंप तब तक नतीजों को चुनौती देते रह सकते हैं.
असली चुनाव तो अब होगा
अमेरिका की जनता ने इस चुनाव में बाइडेन या ट्रंप को नहीं, बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज में पार्टी प्रतिनिधियों को चुना है जो बाइडेन या ट्रंप को चुनेंगे. अभी जिस पार्टी को कम से कम 270 वोट मिलेंगे, उसी का उम्मीदवार राष्ट्रपति पद का विजेता होगा. यह चुनाव 14 दिसंबर को होना है.
जॉर्जिया में फिर से होगा चुनाव
5 जनवरी को सीनेट की दो सीटों के लिए जॉर्जिया राज्य में फिर से चुनाव होगा जिसे "रन ऑफ" कहा जाता है. ऐसा तब होता है जब किसी को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं मिलता. इन्हीं सीटों पर सीनेट का बहुमत निर्भर है. अगर रिपब्लिकन यह चुनाव जीत गए, तो बाइडेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
विजेता की घोषणा
यह सब हो जाने के बाद इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती होगी और 6 जनवरी को राष्ट्रपति पद के विजेता की घोषणा की जाएगी यानी चुनाव के करीब दो महीने बाद. अमेरिका के लिए आने वाले दो महीने राजनीति रूप से काफी दिलचस्प बने रहेंगे.
आखिरकार आएगा वो दिन
20 जनवरी को इनॉग्रेशन डे समारोह होगा. सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस अमेरिका का नए राष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाता है. शपथ समारोह से पहले ट्रांजीशन के दौरान पुराने राष्ट्रपति की टीम नई टीम को सारी जानकारी सौंपती हैं ताकि शपथ के बाद नया राष्ट्रपति फौरन काम शुरू कर सके.