नाटो के सम्मेलन में इन मुद्दों पर रहेगा फोकस
१० जुलाई २०२३अमेरिका की अगुवाई वाले पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो का दो दिवसीय सम्मेलन 11 जुलाई से विलिनुस में शुरू हो रहा है. लिथुएनिया की राजधानी में होने वाले इस सम्मेलन में नाटो के 31 शीर्ष नेता शामिल होंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सम्मेलन में शिरकत से एक दिन पहले ही ब्रिटेन पहुंच चुके हैं.
जी7 और नाटो पर क्यों बिफर गया है चीन?
नाटो के सम्मेलन में यूक्रेनी राष्ट्रपति
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की विलिनुस में नाटो के 31 नेताओं के सामने अपना पक्ष रखेंगे. जेलेंस्की की पूरी कोशिश होगी कि नाटो जल्द से जल्द यूक्रेन को सैन्य गठबंधन का हिस्सा बनाए. जेलेंस्की को उम्मीद है कि रूस के साथ युद्ध खत्म होते ही यूक्रेन को नाटो में शामिल किया जा सकेगा.
नाटो क्या है, जो यूक्रेन पर रूस का हमला होने की सूरत में जवाबी कार्रवाई करेगा
यूक्रेन की दावेदारी को कई देशों का समर्थन भी मिल रहा है. पूर्वी यूरोप के नाटो सदस्यों का मानना है कि यूक्रेन के जुड़ने से भविष्य में रूसी आक्रामकता कमजोर पड़ेगी. तुर्की भी यूक्रेन की सदस्यता का समर्थन कर रहा है.
कहां फंस रहा है यूक्रेन का मामला
अमेरिका और जर्मनी जैसे बड़े देश यूक्रेन की सदस्यता को लेकर आशंकाओं से भरे हैं. मॉस्को बार-बार चेतावनी दे चुका है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल करने का अर्थ, रूस से टकराव का रास्ता होगा. अमेरिका और जर्मनी ने 2008 में यह वादा जरूर किया था कि एक दिन यूक्रेन नाटो का अंग बनेगा, लेकिन वो दिन कब आएगा, इसकी समय-सीमा तय नहीं की गई.
माना जा रहा है कि लिथुएनिया के सम्मलेन में यह हिचक कुछ हद तक कमजोर पड़ेगी. यूक्रेन की मेम्बरशिप के लिए कुछ शर्तों को लचीला बनाने की चर्चाएं भी हैं. नाटो की सदस्यता मिलने से पहले यूक्रेनी सेना का स्तर, पश्चिमी देशों के सैन्य मानकों तक लाने का वादा भी किया जा रहा है.
थिंक टैंक चैथम हाउस की ओरीसिया लुटसेविच कहती हैं, "जेलेंस्की की टीम आखिरी दिन तक पूरी कोशिश करेगी कि ज्यादा से ज्यादा हासिल किया जा सके."
हथियारों की सप्लाई का भरोसा
नाटो के ताकतवर सदस्य, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस लंबे समय तक कीव को हथियारों की सप्लाई जारी रखने पर बातचीत कर रहे हैं. 24 फरवरी 2022 को रूसी सेना के यूक्रेन में दाखिल होने के साथ शुरू हुए युद्ध के बाद से अब तक पश्चिमी देश कीव को अरबों डॉलर के हथियार दे चुके हैं. लेकिन फिलहाल नाटो के सदस्य देश अपने-अपने स्तर पर यूक्रेन को हथियार दे रहे हैं.
पुतिन की परमाणु धमकी में कितना दम
कूटनीतिज्ञों के मुताबिक लिथुएनिया के सम्मेलन में सामूहिक रूप से यूक्रेन को हथियार देने पर सहमति बन सकती है. हालांकि पूर्वी यूरोप के देशों का कहना है कि ऐसी कोई संधि, यूक्रेन की नाटो मेम्बरशिप के लिए बाधा साबित नहीं होनी चाहिए.
एस्टोनिया के प्रधानमंत्री काया कल्लास ने अपने ट्वीट में कहा, "सुरक्षा की एक मात्र गारंटी जो काम करती है और काफी सस्ती भी है, वो नाटो की सदस्या के अलावा कोई कुछ नहीं है."
स्वीडन को तुर्की के ग्रीन सिग्नल का इंतजार
नाटो के सम्मेलन के दौरान सबकी निगाहें तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान पर भी होंगी. एर्दोवान को ऐसे नेताओं में गिना जाता है कि जिनके फैसलों का अंदाजा मुश्किल से होता है. सम्मेलन के दौरान एर्दोवान अलग से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलेंगे.
नाटो में किसी देश को शामिल करने के लिए सारे सदस्य देशों की सहमति जरूरी है. स्वीडन की सदस्यता को लेकर तुर्की सवाल उठा रहा है. तुर्की का आरोप है कि स्वीडन, कुर्द विद्रोहियों और उनकी राजनीतिक पार्टी को संरक्षण देता रहा है. हाल के महीनों में स्वीडन ने तुर्की की चिंताएं दूर करने के लिए कुछ कदम भी उठाए हैं. लेकिन स्वीडन में इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान को जलाए जाने की घटना के बाद एर्दोवान फिर बिफर गए हैं.
नाटो के चीफ येंस श्टोल्टेनबर्ग ने सम्मेलन से ठीक पहले सोमवार शाम एर्दोवान और स्वीडिश पीएम उल्फ क्रिस्टरसन के बीच बैठक भी प्लान की है.
इन मुद्दों के अलावा रूस और चीन, नाटो के सम्मेलन में अहम मुद्दा होंगे. नाटो के बीते तीन सम्मेलनों में चीन की बढ़ती ताकत और उसके आक्रामक होते रुख का लगातार जिक्र हो रहा है.
ओएसजे/एसबी (एएफपी, डीपीए)