डिमेंशिया और अल्जाइमर में क्या फर्क है?
एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 60 साल से ऊपर के लगभग 7.4 फीसदी लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं. लेकिन डिमेंशिया को लेकर समझ बहुत कम है और अक्सर डिमेंशिया और अल्जाइमर्स में फर्क का पता नहीं होता. जानिए, इनमें क्या फर्क है?
डिमेंशिया क्या है?
डिमेंशिया एक रोग है, जिसके तहत कई तरह के सिंड्रोम आते हैं. ये सिंड्रोम मस्तिष्क में होने वाले बदलावों के कारण यादाश्त, सोचने-समझने की क्षमता और व्यवहार में बदलाव के लिए जिम्मेदार होते हैं.
अल्जाइमर क्या है?
अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार है, जो 60-80 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है. इसमें यादाश्त खो देना सबसे आम संकेत है.
अल्जाइमर का कारण
अल्जाइमर का सटीक कारण अभी तक पता नहीं है, लेकिन यह दो प्रकार के प्रोटीन, अमाइलॉइड-β और टाऊ के मस्तिष्क में जमाव से जुड़ा है.
मिश्रित डिमेंशिया
अल्जाइमर अन्य प्रकार के डिमेंशिया जैसे वैस्कुलर डिमेंशिया के साथ भी हो सकता है, जो सबसे आम मिश्रित डिमेंशिया का उदाहरण है.
वैस्कुलर डिमेंशिया
यह मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में बाधा के कारण होता है और इसके लक्षण कई तरह के हो सकते हैं, जैसे सामान्य भ्रम और सोचने की गति धीमी हो जाना.
फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया
यह व्यवहार और भाषा को प्रभावित करता है. यह युवाओं में अल्जाइमर के बाद दूसरा सबसे सामान्य प्रकार का डिमेंशिया है.
लेवी बॉडी डिमेंशिया
यह α-सिन्यूक्लीन प्रोटीन की गड़बड़ी के कारण होता है और पार्किंसन रोग से पीड़ित लोगों में देखा जाता है.
डिमेंशिया का पता कैसे चलता है
डिमेंशिया का पता लगाने के लिए कोई एक टेस्ट नहीं है और बहुत सारे टेस्ट के नतीजों को मिलाकर ही इसे पहचाना जा सकता है.