ओमिक्रॉन के आगे कमर कस लें एशिया-प्रशांत के देश
३ दिसम्बर २०२१पश्चिमी प्रशांत इलाके के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रांतीय निदेशक ताकेशी कसई ने कहा कि छुट्टियों के दौरान लोगों के ज्यादा इधर से उधर जाने और मिलने जुलने को देखते हुए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआती डाटा के अनुसार ओमिक्रॉन वायरस की दूसरी किस्मों से ज्यादा संक्रामक हो सकता है.
कसई ने मनिला में संगठन के प्रांतीय मुख्यालय से एक ऑनलाइन प्रेस वार्ता में कहा, "सीमा नियंत्रण से इस वेरिएंट के देशों के अंदर प्रवेश को टाला जा सकता है और थोड़ी मोहलत हासिल की जा सकती है, लेकिन हर देश और हर समुदाय को मामलों में एक नई उछाल के लिए तैयार हो जाना चाहिए.
अब एशिया में फैलता ओमिक्रॉन
हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि इन सब के बीच एक सकारात्मक खबर यह है अभी तक ऐसी कोई भी जानकारी नहीं आई है जो यह संकेत दे कि हमें अपनी प्रतिक्रिया की दिशा बदलने की जरूरत है.
उन्होंने जोर दे कर कहा कि देशों को और लोगों को टीका लगाने की, स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने की और मामलों में उछाल का समय रहते पता लगाने के लिए सर्विलांस को और मजबूत करने की जरूरत है.
ओमिक्रॉन ने इस सप्ताह एशिया में पांव जमाने शुरू कर दिए. जापान, मलेशिया, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के अलावा भारत में भी इसके संक्रमण के मामले पाए गए. दक्षिण अफ्रीका के ज्यादा जोखिम वाले देशों से आने वाले यात्रियों का प्रवेश बंद कर देने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया में भी नए वेरिएंट का सामुदायिक प्रसार पाया गया है. अमेरिका के भी कम से कम पांच राज्यों में मामले सामने आ चुके हैं.
क्या हो उपाय
एशिया-प्रशांत के देशों में टीकाकरण की दर में काफी अंतर है और कई जगह स्थिति चिंताजनक है. भारत में पूर्ण टीकाकरण सिर्फ लगभग 38 प्रतिशत लोगों का हुआ है. इंडोनेशिया में यह आंकड़ा 35 प्रतिशत है. अमेरिका तक में भी पूरी तरह से टीके की खुराकें ले चुके लोगों की संख्या 60 प्रतिशत से कम ही है.
ऑस्ट्रेलिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी पॉल केली ने कहा कि संभव है कि ओमिक्रॉन कुछ ही महीनों के अंदर पूरी दुनिया में सबसे हावी वेरिएंट बन जाएगा लेकिन अभी इस बात का कोई सबूत उपलब्ध नहीं है कि यह डेल्टा से ज्यादा खतरनाक होगा.
जर्मनी ने कहा कि वो टीका ना लेने वालों के लिए आवश्यक स्थानों के अलावा हर तरह के स्थलों पर प्रवेश को प्रतिबंधित कर देगा. जर्मनी अगले साल टीकाकरण को अनिवार्य बनाने के लिए कानून लाने की भी तैयारी कर रहा है.
ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देश बूस्टर खुराक देने की योजनाओं को लागू करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन यात्रा प्रतिबंधों की तरह यह भी विवादास्पद है. विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही बूस्टर खुराकों का विरोध कर चुका है. ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों ने भी कहा है कि इनके प्रभावी होने का "कोई सबूत नहीं है."
सीके/एए (डीपीए,रॉयटर्स)