अरुण गोयल के इस्तीफे को लेकर उठते सवाल
११ मार्च २०२४लोकसभा चुनाव 2024 के ऐलान के कुछ दिनों पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे ने सबको चौंका दिया और देश की सियासत में हलचल पैदा कर दी. गोयल का कार्यकाल दिसंबर 2027 तक था. कानून मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक, गोयल का इस्तीफा शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया जो उसी दिन से प्रभावित हो गया.
कानून और न्याय मंत्रालय ने 9 मार्च को एक बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति दौप्रदी मुर्मू ने गोयल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, लेकिन उनके इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया है. एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा है कि गोयल ने निजी कारणों की वजह से अपने पद से इस्तीफा दिया है.
निर्वाचन आयोग में पहले से ही एक पद खाली था और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे इस साल फरवरी में रिटायर हो गए थे. गोयल के इस्तीफे के बाद अब निर्वाचन आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही बचे हैं. भारतीय निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त के अलावा दो और चुनाव आयुक्त होते हैं.
अगर गोयल अपने पद पर बने रहते तो मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के रिटायर होने के बाद वह अगले साल संभवत: मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यभार संभालते.
विपक्ष के सवाल
कांग्रेस ने गोयल के चुनाव आयुक्त पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद रविवार को पूछा कि क्या उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) या नरेंद्र मोदी सरकार के साथ किसी मतभेद के कारण यह कदम उठाया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूछा कि क्या गोयल ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया है, जैसा कि उन्होंने अपने त्याग पत्र में इसका जिक्र किया है या कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की तरह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया है.
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गोयल के इस्तीफे के बारे में कहा है कि यह देखने के लिए इंतजार करना होगा कि वह आने वाले दिनों में क्या करते हैं.
वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा से महज कुछ दिन पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे को "चौंकाने वाला" करार दिया. ओवैसी ने कहा यह बहुत चौंकाने वाली बात है. जब भारत का चुनाव आयोग 13 मार्च के बाद किसी भी दिन कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है, ऐसी स्थिति में उससे ठीक पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा देना कई सवाल खड़े करता है.
ओवैसी ने यह भी कहा, "मैंने संसद में कहा था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जाकर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का तरीका बदल रही है. इससे अगर इन्हें नियुक्त करने वाले तीन लोगों में से दो सरकार के हैं तो जाहिर सी बात है कि सरकार अपने लोगों को ही रखेगी. अरुण गोयल या सरकार को इसका कारण बताना चाहिए कि चुनाव से ठीक पहले ऐसा क्यों हुआ."
दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गोयल की तारीफ करते हुए कहा है कि वह उन्हें "सलाम" करती हैं. सीएम ममता ने आरोप लगाया कि गोयल का अचानक इस्तीफा लोकसभा चुनाव में हेरफेर करने की बीजेपी की कोशिश का सबूत है.
ममता ने कहा, "पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव और सुरक्षा बलों की तैनाती के संबंध में (बीजेपी के) दिल्ली के नेताओं और उनके शीर्ष आकाओं के दबाव के आगे न झुकने के लिए मैं अरुण गोयल को सलाम करती हूं."
चुनाव के ठीक पहले इस्तीफा पर सवाल
वरिष्ठ पत्रकार संजय कपूर ने डीडब्ल्यू से कहा, "आगामी लोकसभा चुनाव के समय चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा बहुत परेशान करने वाला है. ऐसा लगता है कि गोयल पर कुछ ऐसा करने का दबाव था जो वह नहीं करना चाहते थे. यही कारण है कि उनके त्याग पत्र पर राजीव कुमार का नाम अंकित नहीं है. यह चुनावी प्रक्रिया के लिए बुरा समय है क्योंकि यह चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से जूझ रही है."
उन्होंने कहा कि अब यह देखने की जरूरत है कि क्या भारत का निर्वाचन आयोग देश में स्वतंत्र और स्पष्ट चुनाव करा सकता है.
सेवानिवृत्त नौकरशाह गोयल पंजाब कैडर के 1985 बैच के आईएएस अधिकारी थे. वह नवंबर 2022 में निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे.