1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

डर के कारण मुल्क छोड़ते रूसी पुरुष

२३ सितम्बर २०२२

कई रूसी पुरुष आंसुओं के साथ अपने परिवार से जुदा हो रहे हैं. वे पुतिन का युद्ध नहीं लड़ना चाहते हैं. फौज में भर्ती या गिरफ्तारी से बचने के लिए वे पड़ोसी मुल्कों का रुख कर रहे हैं.

https://p.dw.com/p/4HFiH
रूस और फिनलैंड की सीमा पर रूसी गाड़ियों की कतार
रूस और फिनलैंड की सीमा पर रूसी गाड़ियों की कतारतस्वीर: Oliver Morin/AFP

रूस और कजाखस्तान के बीच 7,644 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है और इस पर कुल 30 रोड चेकप्वाइंट हैं. कजाखस्तान की बॉर्डर गार्ड सर्विस के बयान के मुताबिक, चार रोड चेक प्वाइंटों पर रूसी नागरिकों की भारी भीड़ उमड़ रही है. कजाख अधिकारियों ने अपने बयान में संख्या का जिक्र नहीं किया है. नाम नहीं बताने की शर्त पर एक चश्मदीद ने कहा कि गुरुवार सुबह से ही रूस की तरफ से आने वाली गाड़ियों की कतार लगी है. बॉर्डर पार करने वाले कजाख ट्रक ड्राइवरों ने इंटरनेट पर रूसी पैसेंजर कारों की लाइन के वीडियो भी अपलोड किए हैं.

कुछ ऐसा ही नजारा रूस और जॉर्जिया के बॉर्डर पर भी दिखाई पड़ रहा है. जॉर्जिया बॉर्डर पर भी रूसी कारों की लंबी कतार लगी है. वहां पैदल सीमा पार करने पर प्रतिबंध है, ऐसे में कई लोग ट्रैफिक जाम से बचने के लिए साइकिल का सहारा भी ले रहे हैं. रूस छोड़कर पड़ोसी देशों में जा रहे लोगों में ज्यादातर पुरुष हैं. देश छोड़ रहे इन पुरुषों को डर है कि उन्हें जबरदस्ती फौज में भर्ती कर दिया जाएगा. नाम नहीं बताने की शर्त पर एक रूसी नागरिक ने कहा, दो ही विकल्प हैं, या तो "निर्दोष लोगों की जान लो या फिर जेल जाओ."

दागेस्तान में सैन्य भर्ती के लिए लोगों की ले जाती बसें
रूस के दागेस्तान में सैन्य भर्ती के लिए लोगों की ले जाती बसेंतस्वीर: dpa/TASS/picture alliance

यूएन महासभा के बीच सिर उठाती बड़े युद्ध की आशंका

इस बीच जर्मनी ने कहा है कि वह रूस से भाग रहे लोगों को शरण देने पर विचार कर रहा है. जर्मनी की वित्तीय राजधानी फ्रैंकफर्ट से निकलने वाले अखबार, फ्रांकफुर्टर आलगेमाइन त्साइटुंग से बातचीत में देश की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने कहा, "जो कोई भी साहस के साथ पुतिन की सत्ता का विरोध करता है और उसके कारण बड़े खतरे में पड़ता है, वो राजनीतिक दंड के आधार पर शरण का आवेदन कर सकता है."

रूस में भी डर का माहौल

इससे पहले बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अभूतपूर्व सैन्य भर्ती का एलान किया. 1945 में खत्म हुए दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यह पहला मौका है जब रूस ने आंशिक मिलिट्री मोबिलाइजेशन का आदेश दिया है. मिलिट्री मोबिलाइजेशन के तहत 3 लाख लोगों की रिजर्व आर्मी तैयार की जाएगी. साथ ही सेना को आगे बढ़ने के लिए भी तैयार किया जाएगा. पुतिन ने नाटो देशों को धमकी देते हुए कहा कि, "याद रखिए, रूस के पास आपसे ज्यादा और आधुनिक हथियार हैं."  रूस की अखंडता और रूसी नागरिकों की रक्षा का हवाला देते हुए पुतिन ने कहा, "यह भभकी नहीं है. जो हमें परमाणु हथियारों की वजह से ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें ये याद रखना चाहिए कि हवा का रुख उनकी तरफ भी हो सकता है."

मॉस्को में सैन्य भर्ती के खिलाफ प्रदर्शन
मॉस्को में सैन्य भर्ती के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: REUTERS

दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार रूस में सेना जुटाने का अभियान

अमेरिका और जर्मनी समेत कई पश्चिमी देशों ने इस चेतावनी के लिए पुतिन की तीखी आलोचना की है. पश्चिमी देशों के मुताबिक पुतिन ब्लैकमेल करने के लिए परमाणु हथियारों का जिक्र कर रहे हैं और तनाव को और ज्यादा भड़का रहे हैं.

पुतिन के सैन्य भर्ती के आदेश के बाद मॉस्को समेत रूस के कई शहरों में प्रदर्शन भी हुए हैं. सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है. रूसी सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें रोते हुए पुरुष अपने परिवार से विदा ले रहे हैं. वे जल्द से जल्द रूस छोड़कर किसी और देश में पहुंचना चाहते हैं.

पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में जनमत संग्रह

इस बीच भारी संख्या में रूसी फौज की तैनाती वाले पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में पांच दिन का जनमत संग्रह शुरू हो गया है. जनमत संग्रह में यूक्रेन के चार इलाकों में रहने वाले लोगों से यह पूछा जा रहा है कि क्या वे आजाद मुल्क या रूस का हिस्सा बनना चाहते हैं. पूरब के लुहांस्क और दोनेत्स्क व दक्षिण के खेरसोन और जापोरिझिया में हो रहा ये जनमत संग्रह रूस समर्थक अलगाववादी नेता करा रहे हैं.

पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में जनमत संग्रह
पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में जनमत संग्रहतस्वीर: RIA Novosti/Sputnik/SNA/IMAGO

फरवरी 2022 के आखिरी में रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. इस हमले के बाद जनमत संग्रह वाले इलाकों से बड़ी संख्या में यूक्रेनी नागरिक भाग गए. भूभाग के लिहाज से ये इलाका यूरोप के सबसे बड़े देश यूक्रेन का 18 फीसदी हिस्सा है. पहले दूसरे मुल्क पर कब्जा और फिर बंदूक के दम पर वहां जनमत संग्रह,  यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इस रेफरेंडम को खारिज किया है.

यूरोपीय संघ का कहना है कि वह जनमत संग्रह के नतीजों को स्वीकार नहीं करेगा. इस एलान के साथ ही ईयू ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाने की पहल शुरू कर दी है.

ओएसजे/ एनआर (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)