बराबर मौकों का लक्ष्य अब भी औरतों से दूर
वैसे तो आदमी और औरत के बीच असमानता पूरी दुनिया में दिखती है लेकिन उसमें भी कुछ इलाके आगे तो कुछ काफी पीछे हैं. महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और राजनैतिक प्रतिनिधित्व में हुई प्रगति के कारण काफी सुधार आया है.
स्कूल के दरवाजे खुले
यूनेस्को के अनुसार सन 1990 में दुनिया की करीब 60 फीसदी लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था. 2009 में यह संख्या घटकर 53 फीसदी रह गई.
कहां हुआ सबसे ज्यादा सुधार
स्कूल जाने के आंकड़ों में सबसे अधिक सुधार पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में हुआ है. केवल 20 सालों में वहां स्कूल से बाहर रह गई लड़कियों की संख्या 70 फीसदी से घट कर 40 फीसदी हो गई.
उच्च शिक्षा में महिलाएं आगे
कई विकसित देशों, सेंट्रल और ईस्टर्न यूरोप, ईस्ट एशिया और पैसिफिक, लैटिन अमेरिका और नॉर्थ अफ्रीका में पुरुषों से अधिक महिलाएं उच्च शिक्षा लेती हैं. जबकि दुनिया के कुल अनपढ़ों में 60 फीसदी महिलाएं हैं.
नौकरी नहीं करतीं
नौकरी की उम्र वाली विश्व भर की केवल आधी महिलाएं ही या तो नौकरी करती हैं या उसकी तलाश में हैं. यूएन के आंकड़े बताते हैं कि इसके मुकाबले करीब 77 फीसदी आदमी कामकाज में सक्रिय हैं.
सबसे कामकाजी महिलाएं कहां
सब सहारा अफ्रीका में करीब 64 फीसदी महिलाएं कामकाजी हैं. मिडिल ईस्ट, नॉर्थ अफ्रीका में 75 फीसदी पुरुषों के मुकाबले केवल 22 फीसदी महिलाएं कामकाजी हैं. दक्षिण एशिया में मात्र 30 प्रतिशत औरतें कामकाजी हैं.
आमदनी में बड़ा अंतर
यूएन की मानें तो वैश्विक स्तर पर महिलाओं की औसत आमदनी पुरुषों से 23 फीसदी कम है. दक्षिण एशिया में यह अंतर 33 प्रतिशत है तो मिडिल ईस्ट में 14 फीसदी. इस गति से महिला-पुरुष की आय के बराबर होने में 70 साल लग जाएंगे.
निचले पायदान पर सबसे ज्यादा
विकसित देशों में निचले स्तर के काम में 71 फीसदी और विकासशील देशों की 56 फीसदी महिलाएं लगी हैं. प्रबंधन के स्तर पर विकसित देशों की 39 और विकासशील देशों की 28 प्रतिशत महिलाएं हैं. केवल 18.3 प्रतिशत बिजनेस ही महिलाओं के नेतृत्व वाले हैं.
बेगार का काम
आईएलओ के आंकड़े दिखाते हैं कि औसत रूप से महिलाएं घर के काम, बच्चों-बुजुर्गों की देखभाल में पुरुषों के मुकाबले ढाई गुना अधिक मुफ्त काम करती हैं. दुनिया की कुल वर्कफोर्स की 40 फीसदी महिलाएं हैं. पार्ट टाइम काम करने वालों में 57 फीसदी महिलाएं हैं.
राजनैतिक प्रतिनिधित्व
2015 में विश्व के कुल सांसदों में 22 फीसदी महिलाएं थीं. 1995 में यह संख्या मात्र 11.3 फीसदी थी. हालांकि इसमें क्षेत्रीय विभिन्नताएं खूब हैं. जनवरी 2015 के आंकड़े देखें तो केवल 17 फीसदी महिला मंत्री थीं और उनमें भी ज्यादातर को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सामाजिक मंत्रालय ही सौंपे गए थे.