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चक्रवात से बचने के लिए महिलाओं की मुहिम

११ नवम्बर २०२१

पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाके में मौजूद मैंग्रोव जंगल को बचाने और उसका विस्तार करने की कोशिशें की जा रही हैं. मैंग्रोव के पेड़ लगाने के लिए महिलाएं आगे आ रही हैं.

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तस्वीर: Payel Samanta/DW

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24-परगना जिले में सुंदरबन अपनी जैविक विविधता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. हाल के सालों में यहां आने वाले चक्रवात ने क्षेत्र पर काफी कहर बरपाया है. समय के साथ भारत में शक्तिशाली चक्रवात तूफानों की आने की श्रृंखला बढ़ी है. सुंदरबन में दुनिया का सबसे बडा मैंग्रोव जंगल है और अब महिलाओं ने जलवायु परिवर्तन की मार को कम करने के लिए मैंग्रोव के पौधे लगाने का बीड़ा उठाया है.

दक्षिण 24-परगना जिले में बांग्लादेश की सीमा से लगा सुंदरबन रॉयल बंगाल टाइगर और दुर्लभ डॉल्फिनों के लिए मशहूर है. यही कारण है कि इसका नाम यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में भी शामिल है. लेकिन जंगल को अतीत में अवैध कटाई का सामना करना पड़ा है और वह नियमित रूप से तीव्र मानसूनी तूफानों से प्रभावित हुआ है.

जलवायु परिवर्तन का असर

जलवायु परिवर्तन से सुंदरबन इलाके पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर से मुकाबले के लिए मैंग्रोव जंगल को बचाना बेहद जरूरी हो गया है. इसीलिए पिछले हफ्ते मैंग्रोव के पौधे लगाने की मुहिम की शुरुआत हुई. तट के पास युवा महिलाओं का दल सिर पर मैंग्रोव के पौधे की टोकरी लिए हुए निकल पड़ा है. महिलाएं खाली इलाकों में मैंग्रोव के पौधे लगा रही हैं.

इस मुहिम में शामिल शिवानी अधिकारी कहती हैं, "यह तूफान और चक्रवात की संभावना वाला क्षेत्र है. इसलिए तटबंधों की रक्षा के लिए हम सभी महिलाएं पौधे लगा रही हैं."

West Bengalen l Umashankar Mondal - Mangroven-Mann in Sundarban l Plantage
गांव की महिलाएं लगा रही हैं पौधेतस्वीर: Payel Samanta/DW

आफत से बचाएगा मैंग्रोव

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मुताबिक मैंग्रोव के पेड़ समुद्र तटों को कटाव और चरम मौसम की घटनाओं से बचाते हैं. वे प्रदूषकों को छानकर पानी की गुणवत्ता में सुधार करते हैं और कई समुद्री जीवों के लिए नर्सरी के रूप में काम करते हैं. यही नहीं मैंग्रोव हर साल लाखों टन कार्बन को अपनी पत्तियों, तनों, जड़ों और मिट्टी में सोख कर जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद कर सकते हैं.

मैंग्रोव के जंगल तटीय समुदायों को उन चक्रवातों से बचाने में भी मदद करते हैं जो उस क्षेत्र से होकर गुजरते हैं. परियोजना स्थल के पास रहने वाले गौतम नश्कर कहते हैं, "अगर इन तटबंधों की रक्षा की जाती है तो हमारा गांव बच जाएगा. अगर हमारा गांव बच जाएगा तो हम बच जाएंगे." वे कहते हैं, "यह हमारी आशा और हमारी इच्छा है."

मैवग्रोव बचेंगे तो ही बचेगा सुंदरबन

एक स्थानीय गैर-लाभकारी संस्था और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा समर्थित इस परियोजना का लक्ष्य लगभग 10,000 मैंग्रोव पौधे लगाना है. पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तट नियमित रूप से चक्रवातों से प्रभावित हैं, जिनकी वजह से बीते सालों में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है.

हाल के सालों में तूफानों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है जिसका कारण जलवायु परिवर्तन को ठहराया जाता है लेकिन तेजी से निकासी, बेहतर पूर्वानुमान और अधिक आश्रयों के कारण मौतों में कमी आई है.

एए/सीके (एएफपी)

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