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समानताकुवैत

कुवैत में योग को लेकर मौलवियों से भिड़तीं महिलाएं

२१ फ़रवरी २०२२

कुवैत में महिलाएं सार्वजनिक रूप से क्या करेंगी और कैसे करेंगी, इसका फैसला पुरुष करते हैं. महिलाओं का आरोप है कि संसद उनकी बात सुनने के बजाए रुढ़िवादियों की चमचागिरी करती रहती है. योग शिविर इस विवाद की ताजा कड़ी है.

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कुवैत में संसद के सामने प्रदर्शन करतीं महिलाएं
कुवैत में संसद के सामने प्रदर्शन करतीं महिलाएंतस्वीर: Yasser Al-Zayyat/AFP

शुरुआत एक योग शिविर को लेकर हुई. योग प्रशिक्षक ने रेगिस्तान में वेलनेस योगा रिट्रीट का इश्तेहार दिया. फरवरी में आए इस इश्तेहार को रुढ़िवादियों ने इस्लाम पर हमला करार दिया. नेताओं और मौलवियों ने सार्वजनिक जगह पर पद्मसान और श्वानासन की योग मुद्रा को "खतरनाक" करार दिया. विवाद इतना बढ़ा कि योग शिविर पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

शेखों के वर्चस्व वाले कुवैत में अब योग महिला अधिकारों की लड़ाई एक और प्रतीक बन गया है. इस्लामिक रुढ़िवादियों और कबीलों वाले कुवैती समाज में महिलाओं के योग पर विभाजन साफ दिख रहा है. रुढ़िवादियों का कहना है कि महिलाओं की ऐसी कोशिशें कुवैत के पारंपरिक मूल्यों पर प्रहार कर रही हैं. वे सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वे इतने बड़े मुद्दों पर ठीक से काम नहीं कर रही है.

कुवैत में महिला अधिकारों को लेकर लड़ने वाली एक्टिविस्ट नजीबा हयात कहती हैं, "हमारा देश अभूतपूर्व रफ्तार से पीछे जा रहा है और अतीत में वापसी कर रहा है." नजीबा कई महिलाओं के साथ कुवैत की संसद के बाहर प्रदर्शन भी कर चुकी हैं. लेकिन जब वे सार्वजनिक जगह पर होती हैं तो उन्हें नियमित रूप से रोका और परेशान किया जाता है.

योग शिविर पर बैन लगाए जाने का विरोध करती कुवैत की महिलाएं
योग शिविर पर बैन लगाए जाने का विरोध करती कुवैत की महिलाएंतस्वीर: AFP

सऊदी अरब और इराक के कोने में स्थित कतर को कभी खाड़ी का सबसे ज्यादा प्रगतिशील देश माना जाता था. हाल के बरसों में जहां सऊदी अरब समेत खाड़ी के दूसरे देशों में महिलाओं को कई अधिकार दिए जा रहे हैं, वहीं 42.7 लाख की आबादी वाले कुवैत में मामला उल्टा दिख रहा है. कुवैत में योग पर हो रहे विवाद के बीच सऊदी अरब ने जनवरी 2022 में पहली बार ओपन एयर योग फेस्टिवल आयोजित कराया. कुवैत में सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा हुई.

अलानौद अलशारेख कुवैत में एबॉलिश 153 नाम के संगठन की संस्थापक हैं. अलानौद कहती हैं, "कुवैत में महिला विरोधी आंदोलन हमेशा बंदखाने के भीतर और अदृश्य रूप से चलता रहा, लेकिन अब ये सतह पर आ गया है."

कुवैत की विवादित धारा 153

कुवैती दंड संहिता की धारा 153 के तहत सम्मान की खातिर महिला की हत्या पर बहुत ही नर्म सजा का प्रावधान है. 2021 में फराह अकबर नाम की एक महिला की हत्या के बाद आर्टिकल 153 को रद्द करने की मांग उठी. प्रदर्शन हुए. मामले की जांच के दौरान पता चला कि फराह ने परिवार के एक सदस्य के खिलाफ कई बार पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. उसी शख्स ने जमानत पर रिहा होने के बाद फराह को कार से बाहर घसीटा और चाकू मार मारकर हत्या कर दी.

उस हत्याकांड के बाद हुए प्रदर्शनों के कारण संसद ने आर्टिकल 153 को रद्द करने का ड्राफ्ट पेश किया. आर्टिकल कहता है कि अगर कोई महिला किसी भी किस्म के नायाजय शारीरिक संबंध बनाती है तो उसके हत्यारे परिवारजन या पति को अधिकतम तीन साल की सजा काटनी होगी और 46 डॉलर के बराबर जुर्माना भरना होगा.

धारा 153 को रद्द करने के लिए तैयार प्रस्ताव को कानून में बदलने की घड़ी आते ही मर्दों से भरी कुवैती संसद ने अभूतपूर्व कदम उठाया. कानून बनाने के बजाए संसदीय समिति ने मामले को एक मौलवी को भेज दिया और मौलवी से इस बाबत फतवा जारी करने की दरख्वास्त की. जनवरी 2022 में मौलवी ने आर्टिकल 153 को बहाल रखने का एलान कर दिया.

एबॉलिश 153 ग्रुप की एक और संस्थापक सदस्य सुनदूस हुसैन के मुताबिक, "संसद के ज्यादातर सदस्य उसी सिस्टम से आते हैं जिसमें सम्मान के लिए हत्या आम है." हुसैन कहती हैं कि 2020 के चुनावों के बाद राजनीति में रुढ़िवादी और कबीलाई सोच रखने वाले नेताओं की संख्या बढ़ी है.

राजधानी कुवैत सिटी में पैलेस ऑफ जस्टिस
राजधानी कुवैत सिटी में पैलेस ऑफ जस्टिसतस्वीर: YASSER AL-ZAYYAT/AFP/Getty Images

मौलवियों को रिझाने की कोशिश

इस बीच मौलवियों के सामने एक नया सवाल रखा गया है: क्या महिलाओं को सेना में शामिल होने की इजाजत देनी चाहिए. लंबे समय से सैन्य सेवाओं में शामिल होने की मांग कर रही महिलाओं की इस अपील पर रक्षा मंत्रालय ने भी गौर करना शुरू किया. लेकिन मंत्रालय के निर्णय से पहले ही मौलवियों ने महिलाओं को सशस्त्र सेनाओं में भर्ती करने से इनकार कर दिया. मौलवियों ने कहा कि महिलाएं इस्लामिक तरीके से सिर ढककर सिर्फ गैर लड़ाई वाले कामकाज में शामिल हो सकती हैं और इसके लिए भी उनके पुरुष अभिभावक की अनुमति जरूरी होगी.

कुवैत यूनिवर्सिटी में लैंगिक अध्ययन की एक्सपर्ट दलाल अल फारेस कहती हैं, "सरकार क्यों धार्मिक प्रशासन से मशविरा करती है? ये इस बात का एक साफ सबूत है कि सरकार रढ़िवादियों को रिझाने और संसद को खुश करने की कोशिश करती है. महिलाओं के मुद्दों को दबाकर वे आसानी से कह सकते हैं कि वे राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा कर रहे हैं."

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पुरुषों के लिए तमाम आजादीतस्वीर: Paul J. Richards/AFP/Getty Images

सम्मान के लिए महिलाओं की आड़

दो साल पहले कुवैती संसद ने घरेलू हिंसा सुरक्षा कानून लागू किया. लेकिन हिंसा की शिकायत करने वाली महिलाओं के लिए आज तक न तो कोई अस्थायी राहत केंद्र या आवासीय सुविधा बनी है और ना ही मदद करने वाली कोई सर्विस शुरू की गई है.

ताजा घटनाक्रम में योग के खिलाफ छिड़े अभियान की अगुवाई कर रहे इस्लामी रुढ़िवादी हमदान अल अज्मी कहते हैं, "अगर कुवैत की बेटियों की रक्षा करना पिछड़ापन है तो ये कहलाने पर मैं सम्मानित महसूस करता हूं."

योग विवाद से कुछ महीने पहले कुवैत में प्रशासन ने बेली डांस की क्लासेस आयोजित करने वाले एक मशहूर जिम को बंद कर दिया. महिलाओं के लिए आयोजित "द डिवाइन फेमिनिन" नामक रिट्रीट को मौलवियों ने ईशनिंदा करार दिया. आने वाले दिनों में कुवैत की सर्वोच्च अदालत नेटफ्लिक्स पर बैन लगाने की याचिका पर फैसला करेगी. नेटफ्लिक्स ने ने पहली अरबी फिल्म प्रोड्यूस की, जिससे रुढ़िवादी आहत हैं.

ओएसजे/एके (एपी)