अंग प्रत्यारोपण में दुनिया का नंबर एक देश
१८ अप्रैल २०१७खुआन बेनितो द्रुएत को पता चलता है कि उसकी जिंदगी बदलने वाली है. अगले कुछ घंटों में उसे एक स्वस्थ किडनी मिलने वाली है. यह संभव हुआ देश में अपनी तरह के उस पहले सिस्टम के कारण, जो स्पेन को पिछले 25 सालों से अंग प्रत्यर्पण के मामले में पहले नंबर पर बनाए हुए है.
अस्पताल स्टाफ द्रुएत को समझाता है कि देश में हर दिन ऐसे ऑपरेशन हो रहे हैं और डरने की कोई बात नहीं. स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार डॉक्टरों ने केवल पिछले एक साल में 4,818 ट्रांसप्लांट किये. इनमें से करीब तीन हजार मरीज तो केवल किडनी ट्रांसप्लांट के थे. इस आंकड़े का यह भी मतलब हुआ कि हर दस लाख लोगों में औसतन 43.4 अंगदाता थे. यह अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है. 2015 में यह औसत 40.2 दाताओं का था. इसकी तुलना अमेरिका से करें, तो वहां केवल 28.2 दाता, फ्रांस में 28.1 और जर्मनी में तो काफी कम केवल 10.9 दाता थे.
ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन 4 से 5 घंटे चलता है. सर्जन द्रुएत के पेट में करीब 15 सेंटीमीटर लंबा चीरा लगाते हैं और उसमें नयी किडनी लगा देते हैं. एक रात पहले ही उस किडनी की दाता महिला का देहांत हुआ था.
स्पेन से ही सीख लेकर पुर्तगाल और क्रोएशिया जैसे यूरोप के कई देशों में ऐसा अंग प्रत्यारोपण सिस्टम बनाया गया है. हर अस्पताल में प्रत्यारोपण का एक कोऑर्डिनेटर होता है. वो ऐसे मरीजों की पहचान करता है जो हार्ट अटैक या ब्रेन डेथ के शिकार हो सकते हों. इन दोनों ही स्थितियों में उस मरीज की किडनी, लिवर, फेफड़े, अग्नाशय और कभी कभी हृदय भी काम के लायक होता है और उसे किसी और को लगाया जा सकता है.
फिर उपलब्धता के हिसाब से पूरे नेटवर्क में तलाशा जाता है कि अंग के इंतजार में लगे किस मरीज से उस अंग का सबसे बढ़िया मैच होगा. अगर वो मरीज कहीं दूर है तो अंग को संभाल कर विमान के कॉकपिट में पायलट के साथ भेजा जाता है. इस तरह का ऑपरेशन स्पेन के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के अंतर्गत आने वाले नागरिकों के लिए मुफ्त में होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एथिक्स विभाग की मेरी- शार्लेट बूसू कहती हैं, "इस सिस्टम को जैसे आयोजित किया गया है, उसी से फर्क पड़ता है. यह नेटवर्क, इस तरह का केंद्रीकरण, यही अहम है." पूरे विश्व के केवल 10 फीसदी मरीजों को ही अंगदाता मिल पाता है, यानि "90 फीसदी लोग वेटिंग लिस्ट में ही गुजर जाते हैं." जबकि 2016 में स्पेन में ऐसी वेटिंग लिस्ट के केवल 4 से 6 फीसदी मरीजों की ही जान गयी.
स्पैनिश तंत्र की सफलता का एक दूसरा पहलू वहां की ट्रेनिंग और संवाद है. सन 1989 में शुरु होने के समय से अब तक संगठन के 18,000 से अधिक ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटरों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. यही वे अहम काम करते हैं कि किसी इंसान की मृत्यु के बाद उसके अंगों को दान करने के लिए परिवार के लोगों को मनाएं. स्पेन के कानून में पहले आपत्ति नहीं किये जाने की स्थिति में किसी के अंगों को निकाले जाने की अनुमति है. फिर भी परिजनों की अनुमति लेने की प्रक्रिया पूरी की जाती है.
आरपी/एमजे (एएफपी)