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अंतरिक्ष में भी भिड़ रहे हैं अमेरिका और चीन

३० दिसम्बर २०१६

चीन 2030 तक अंतरिक्ष में सबसे शक्तिशाली देश बनना चाहता है. बीजिंग ने अगले चार साल में मंगल ग्रह को छूने का भी एलान किया है.

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Chinesisches Raumschiff Shenzhou-11
तस्वीर: picture alliance/Xinhua/Q. Zhendong

चीन अगले एक दशक में अंतरिक्ष रिसर्च के क्षेत्र में सबसे आगे निकलना चाहता है. चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के उपप्रमुख वु यानहुआ ने बीजिंग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी. वु के मुताबिक 2020 में मंगल पर पहली खोजी मशीन भेजी जाएगी. यह मशीन मंगल का चक्कर काटेगी और आंकड़े जुटाएगी. इसके बाद मंगल की सतह के नमूने लेने के लिए एक और मशीन लाल ग्रह पर भेजी जाएगी. मंगल के अलावा गुरु और उसके चंद्रमा के लिए भी खोजी मिशन भेजा जाएगा.

वु ने कहा, "कुल मिलाकर हमारा लक्ष्य है कि 2030 तक चीन दुनिया की बहुत बड़ी अंतरिक्ष शक्ति बन जाए." चीन ने अंतरिक्ष अभियान देर से शुरू किये. 1970 के दशक तक उसने कोई सैटेलाइट नहीं भेजी. जबकि इसी दौरान अमेरिका, रूस और भारत भी अतंरिक्ष अभियान में आगे बढ़ते गए.

लेकिन बीते तीन दशकों में चीन ने अंतरिक्ष अभियान में अरबों डॉलर झोंके हैं. बीजिंग ने रिसर्च और ट्रेनिंग पर भी खासा ध्यान दिया है. यही वजह है कि 2003 में चीन ने चंद्रमा पर अपना रोवर भेज दिया और वहां अपनी लैब बना दी. चीन अब 20 टन भारी अंतरिक्ष स्टेशन भी बनाना चाह रहा है. अमेरिका और रूस के बाद चीन तीसरा ऐसा देश बन चुका है जिसने पांच लोगों को अंतरिक्ष में भेजा है.

China Shenzhou 11 AstronauteChina Shenzhou 11 AstronauteChina Shenzhou 11 AstronauteChina Shenzhou 11 Astronaute
अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर अरबों डॉलर खर्च कर रहा है चीनतस्वीर: Picture-Alliance/dpa/H. H. Young

चंद्रमा पर इंसान को भेजने के सवाल पर वु ने कहा कि फिलहाल रोबोट को चांद पर भेजने की तैयारी चल रही है. उम्मीद है कि 2018 में रोबोट वहां पहुंच जाएगा. चीन दूसरे देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की इच्छा भी बार बार जता चुका है. लेकिन अमेरिकी संसद ने 2011 से अपनी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को चीन के साथ काम करने से रोक रखा है. अमेरिका इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है. लेकिन बीते सालों में नासा को भी बड़े पैमाने पर बजट कटौती का सामना करना पड़ा है.

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अंतरिक्ष अभियानों में तेजी लाने के संकेत दिये हैं. अंतरिक्ष विशेषज्ञ रॉबर्ट वॉकर और पीटर नैवारो के मुताबिक, "कम निवेश से अमेरिकी सरकार के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर असर पड़ा है, वहीं चीन और रूस सैन्य रणनीति को ध्यान में रखते हुए बहुत तेजी से आगे निकलते जा रहे हैं." दोनों अंतरिक्ष में अमेरिका के दबदबे को खत्म करना चाह रहे हैं.

China Astronauten an Bord des Raumschiffs Shenzhou XI
चंद्रमा पर मैन मिशन की तैयारीतस्वीर: picture-alliance/dpa/Imagechina/A. Xin

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इसके संकेत दे चुके हैं. मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि अंतरिक्ष कार्यक्रम को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा में मददगार होना चाहिए. देश को अंतरिक्ष शक्ति बनाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि चीन नागरिक इरादों के लिए एंटी सैटेलाइट मिसाइलों का परीक्षण कर चुका है.

वहीं चीनी अंतरिक्ष एजेंसी के उपप्रमुख वु यानहुआ ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बताया. लेकिन माना जा रहा है कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद चीन और अमेरिका तीखी होड़ छिड़ेगी और इसका असर अंतरिक्ष से लेकर समंदर तक हर जगह नजर आएगा.

ओएसजे/वीके (रॉयटर्स)