अफगानिस्तान ने भी पाक को घेरा
४ मई २०११अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जनरल मोहम्मद जहीर अजीमी ने कहा, "न सिर्फ जबरदस्त खुफिया सेवाओं से लैस पाकिस्तान, बल्कि कमजोर खुफिया सेवाओं वाली किसी भी कमजोर सरकार को पता चल जाता कि उस घर में कौन रह रहा है." अमेरिकी सैन्य अभियान के दौरान जिस मकान में बिन लादेन को मारा गया, वह काकुल सैन्य अकादमी के बिल्कुल करीब है. इसी अकादमी में पाकिस्तान के आला सैन्य अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती है.
जनरल अजीमी कहते हैं कि इस घर के पास पाकिस्तान के कई सेना के अफसर भी रहते हैं. वह कहते हैं, "बहुत सारे सवाल हैं जिनके जबाव तलाशे जाने हैं." ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन का कहना है कि बिन लादेन को मौत से पहले पाकिस्तान में बरसों तक जरूर मदद मिलती रही होगी. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि पाकिस्तान के साथ सहयोग जारी रहेगा, भले ही ये सवाल अपनी जगह कायम हैं कि पाकिस्तान सरकार में ऐसा कौन है जिसे एबटाबाद में लादेन के छिपे होने के बारे में पता होगा.
पाकिस्तान का दोहरा खेल
अफगान अधिकारी लंबे समय से कहते रहे हैं कि आतंकवाद के खिलाफ असल लड़ाई अफगानिस्तान में नहीं है. हालांकि वे अपने देश में तालिबान से लड़े रहे विदेशी सैनिकों का समर्थन करते हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार का समर्थन करने के लिए पश्चिमी जगत और खास कर अमेरिका के आलोचक भी रहे हैं. अफगान अधिकारियों का कहना है कि पाकिस्तान दोहरा खेल खेल रहा है.
जनरल अजीमी का कहना है कि उन्होंने बिन लादेन की मौत के बदले के तौर पर होने वाली संभावित कार्रवाई से निपटने के लिए तैयारी कर ली है. लेकिन वह मानते हैं कि अल कायदा के नेता की मौत के बाद अब तालिबान को हराना आसान होगा. 2001 में अमेरिका पर आतंकवादी हमले के बाद से दस साल तक अफगानिस्तान में बिन लादेन को खोजा जाता रहा.
सोमवार को बिन लादेन की मौत की पुष्टि होने के बाद अफगान राष्ट्रपति करजई ने इसे आतंकवाद के लिए एक बड़ा धक्का बताया लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा कि इसका उनके देश में जारी लड़ाई पर क्या असर होगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ईशा भाटिया