अब ये करेगा ब्रेक्जिट का बवंडर
कभी कभी चुनावी वादा या जुमला बहुत महंगा पड़ जाता है. ब्रेक्जिट का मामला भी कुछ ऐसा ही है. नतीजों के बाद अब बड़े पैमाने पर उठा पटक होगी.
कैमरन की विदाई
ब्रेक्जिट के पक्ष में आए नतीजों के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की विदाई होगी. वह अक्टूबर में इर्स्तीफा देंगे.इसे कैमरन के राजनैतिक भविष्य का अंत भी माना जा रहा है. कैमरन ने ही बीते चुनावों में जनमत संग्रह कराने का वादा किया था.
महंगा पड़ा दांव
कैमरन को उम्मीद थी कि ब्रेक्जिट की बहस छेड़कर वह यूरोपीय संघ पर दबाव बना सकेंगे. ऐसा करने में वह काफी हद तक सफल भी हुए. लेकिन कैमरन को लगता था कि देश के हालात बेहतर कर वह ब्रेक्जिट के खिलाफ भी माहौल बना सकेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
यूके का विखंडन
उत्तरी आयरलैंड और स्कॉटलैंड के लोग जनमत संग्रह के नतीजों से बेहद दुखी हैं. दोनों प्रांत यूरोपीय संघ में बने रहना चाहते थे. ब्रेक्जिट वोट के बाद नादर्न आयरलैंड और स्कॉटलैंड यूके से अलग होने की मांग कर सकते हैं.
भारी वित्तीय नुकसान
लंदन को अब तक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय राजधानी माना जाता था. यूरोपीय संघ की सदस्यता की वजह से दूसरे देश लंदन को वित्तीय खिड़की के तौर पर इस्तेमाल करते थे. ब्रेक्जिट खिड़की को बंद करेगा. लंदन के ज्यादातर बड़े वित्तीय संस्थान जर्मन शहर फ्रैंकफर्ट आने की तैयारी कर रहे हैं.
नौकरियां जाएंगी
लंदन से बैंकिंग सेक्टर की विदाई का मतलब होगा हजारों नौकरियों की कटौती. कई छोटी छोटी नौकरियां जाएंगी और उन जॉब्स से जुड़े बाकी इलाकों पर भी इसका असर पड़ेगा.
आर्थिक संघर्ष
ब्रेक्जिट हो जाने के बाद यूके को यूरोपीय संघ के भीतर सरल व्यापार की सुविधा भी नहीं मिलेगी. पहले से ही जूझ रही ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को अब नए बाजार खोजने होंगे और वहां यूरोपीय संघ से संघर्ष करना होगा.
लोगों का पलायन
यूरोपीय संघ के देशों रह रहे यूके के सैकड़ों लोग ब्रेक्जिट से निराश हैं. ब्रेक्जिट होने पर ज्यादातर लोग यूके नहीं लौटना चाहते हैं.
ईयू में इमरजेंसी
यूरोपीय संघ के बाकी 27 देशों में अब अगले कई महीनों तक आपातकालीन बैठकें होंगी. यूरोपीय संघ भी खुद को ज्यादा मजबूत करना चाहेगा. ब्रेक्जिट का फैसला यूरोपीय संघ के भीतर एक दूसरे के प्रति ज्यादा उदारता को बढ़ाएगा. यूरोपीय संघ को भी अपनी कई कमियां दूर करनी ही होंगी, वरना अलगाव की मांग और जगह भी भड़क सकती है.