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अमेरिका में बेकसूरों पर अंधाधुंध गोलीबारी क्यों होती है

६ अगस्त २०१९

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बीते हफ्ते हुई दो अंधाधुंध गोलीबारी की घटना को नफरत, हिंसक वीडियो गेम और मानसिक बीमारी से जोड़ा है. क्या सचमुच यही वजहें हैं आए दिन होने वाली इन गोलीबारियों की.

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USA Trauer nach Anschlag in El Paso
तस्वीर: Getty Images/M. Tama

अमेरिका में इस साल अब तक अंधाधुंध गोलीबारी की 255 घटनाएं हो चुकी हैं. विश्लेषकों का कहना है कि मानसिक बीमारी या फिर वीडियो गेम इस हिंसा की वजह नहीं माने जा सकते. गोलीबारी करने वाले सभी लोगों में मानसिक बीमारी के लक्षण नहीं दिखे ना ही सारे हमलावर हिंसक वीडियो गेम खेलते थे या फिर उनमें कोई राजनीतिक दुर्भावना थी. विश्लेषकों ने सभी मामलों में एक कारण की मौजूदगी की ओर ध्यान दिलाया है और वह है अमेरिकी में आसानी बंदूक हासिल करने की सुविधा.

डॉनल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा है, "हमें हमारे समाज में हिंसा को महिमामंडित करने पर रोक जरूर लगाना चाहिये. इसमें भीषण और भयानक हिंसा वाले वीडियो गेम भी शामिल हैं जो आज कल आम हैं."

USA Anschlag in El Paso
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/K. Ann Cote

यह बात सच है कि कुछ हमलावर हिंसक वीडियो गेम के बड़े शौकीन रहे हैं. अदम लांजा ने 2012 में कनेक्टिकट के एक स्कूल में हमला कर 26 स्कूली बच्चों और स्कूल के कर्मचारियों को मार दिया था. वह हर दिन कई घंटों तक दुनिया के कुछ सबसे हिंसक वीडियो गेम खेला करता था. इनमें "स्कूल शूटिंग" नाम का एक गेम भी शामिल था. इसी तरह 2018 में फ्लोरिडा के हाईस्कूल पर हमला कर 17 लोगों की जान लेने वाले के बारे में भी कहा जाता है कि वह हर दिन 15 घंटे हिंसक वीडियो गेम खेला करता था.

क्रिस फर्ग्युसन स्टेटसन यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर हैं उनका कहना है कि वीडियो गेम से असली हमलों का कोई संबंध नहीं है. दुनिया भर में लाखों लोग इस तरह के वीडियो गेम खेलते हैं लेकिन वो जन संहारक नहीं बन जाते हैं. फर्ग्युसन का कहना है, "जन संहार की घटनाओं में हिंसक वीडियोगेम की भूमिका नहीं होती, ना तो ज्यादा ना ही कम." अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ ने हिंसक खेलों, फिल्मों और लोगों में बढ़ती आक्रामकता के बीच एक संबंध तलाशा है लेकिन उनका कहना है कि इससे केवल जोखिम का अंदेशा भर है.

USA Symbolbild Anschlag in El Paso
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Ralston

डॉनल्ड ट्रंप ने गोलीबारी को मानसिक रूप से बीमार लोगों से भी जोड़ा है. उनका कहना है कि मानसिक बीमारी और नफरत की वजह से यह होता है, बंदूकों की वजह से नहीं. कुछ मामलों में ऐसा होने के संकेत मिलते हैं. पिछले साल नवंबर में कैलिफोर्निया के एक बार में 12 लोगों की जाने लेने वाले डेविड लोंग के बारे में माना जाता है कि उसे तनाव की समस्या थी. ओहायो की बार में 9 लोगों की जान लेने वाले कोनॉर बेट्स में भी हाई स्कूल में पढ़ने के दौरान कुछ खतरनाक प्रवृत्तियां नजर आई थीं.

ड्यूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर जेफरी स्वानसन का कहना है, "इस घटना को देखते हुए कह सकते हैं कि अगर कोई बाहर जा कर कुछ अनजान लोगों की हत्या कर देता है तो यह कोई स्वस्थ मानसिकता वाले इंसान की करतूत नहीं कही जाएगी." इसके साथ ही स्वानसन यह भी कहते हैं कि अमेरिका में एक करोड़ से ज्यादा लोग हैं जिन्हें गंभीर मानसिक बीमारी है, "और इनमें से बहुसंख्यक लोग हिंसक व्यवहार नहीं करते हैं." ज्यादातर हमलावरों में कोई ऐसी गंभीर और पहचानी जा सकने वाली मानसिक बीमारी नहीं थी. वे लोग शिजोफ्रेनिया जैसी बीमारी से पीड़ित नहीं थे जिसमें दिमाग कोई तर्क नहीं कर पाता या फिर सच को नहीं देख पाता.

USA Washington Weißes Haus Flagge Halbmast
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua/T. Shen

कुछ हमलों को बंटवारे की राजनीति से भी जोड़ कर देखा जाता है खासतौर से ऐसी राजनीति जो ऑनलाइन खेली जाती है. शनिवार को टेक्सस में हमला करने वाले 21 साल के पैट्रिक क्रूसियर ने एक मैनिफेस्टो जारी किया था जिसमें मेक्सिको के हिस्पानियाई आक्रमण को निशाना बनाया गया था. डॉनल्ड ट्रंप की राजनीतिक विचारधारा भी इससे मेल खाती है.

हालांकि सभी हमलों में एक सामान्य बात जरूर नजर आती है और वह है बड़ी मैगजीन वाली बंदूकों का आसानी से उपलब्ध होना. स्टीफन पैडॉक ने 2017 में लास वेगस के एक कंसर्ट पर गोलीबारी कर 58 लोगों की जान ले ली. वह ना तो मानसिक रोगी था, ना ही किसी विचारधारा से प्रभावित था और ना ही वीडियो गेम खेलता था. उसने दो दर्जन हथियारों का इस्तेमाल कर हमला किया. इसमें एआर-15 जैसे असॉल्ट राइफल भी शामिल थे. इसी तरह बीते साल पेनसिल्वेनिया में 11 लोगों की जान लेने वाले रॉबर्ट बोवर्स ने हमले के लिए चार बंदूकों का इस्तेमाल किया. वह कानूनी रूप से 21 बंदूकों का मालिक था. बेट्स ने भी जिस असॉल्ट राइफल से हमला किया वह उसने ऑनलाइन खरीदी थी. इस बंदूक में 100 गोलियों वाली ड्रम मैगजीन लगाई जा सकती है.

एनआर/ओएसजे (एएफपी)

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