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समाज

राम मंदिर के बाद अब बिहार में जानकी मंदिर की मांग

मनीष कुमार, पटना
१२ सितम्बर २०२०

अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन व शिलान्यास के साथ ही बिहार के सीतामढ़ी जिले में जनक नंदनी सीता के भव्य मंदिर निर्माण की मांग तेज हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इसकी घोषणा दो साल पहले की जा चुकी है.

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Indien Sitamarhi |  anaki Tempel in Punraudhadham
तस्वीर: DW/M. Kumar

सनातन धर्मावलंबियों के लिए उत्तर प्रदेश के अयोध्या की तरह सीतामढ़ी का भी खासा महत्व है. बिहार के सीतामढ़ी शहर से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पुनौरा गांव. ऐसी मान्यता है कि अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम की पत्नी माता जानकी की यह जन्मस्थली है.

वाल्मिकी रामायण के अनुसार मिथिला के राजा जनक एक बार भीषण अकाल पड़ने पर पुरोहितों के सलाह के अनुसार यहां हल से खेत जोत रहे थे. इसी दौरान उन्हें धरती से एक पात्र मिला जिसमें शैशवावस्था में एक कन्या थी. राजा जनक उस कन्या को अपने घर जनकपुर ले गए और सीता का नाम दिया. जनकपुर अभी नेपाल में है. इसलिए सीता को वाल्मिकी रामायण में जानकी कहा गया है.

उनका विवाह स्वयंवर के दौरान अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र व मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के साथ हुआ. जैसे श्रीराम को पुरुषों में उत्तम कहा जाता है, उसी तरह सीता भी अपने त्याग व असाधारण पतिव्रता के कारण नारियों में सबसे उत्तम मानी जाती हैं. वाल्मिकी रामायण के अनुसार सीता का चरित्र अदम्य साहसिक, संयमित व आत्मविश्वासी था. पुनौरा के आसपास राजा जनक व जनक नंदिनी से जुड़े अन्य तीर्थस्थल भी हैं. शहर से आठ किलोमीटर की दूरी पर पंथपाकड़ गांव भी जानकी से जुड़ा हुआ है.

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कहा जाता है कि विवाह के बाद अयोध्या जाने के रास्ते में श्रीराम के काफिले ने यहां रात्रि विश्राम किया था. माता सीता ने यहां पाकड़ के दातून से दांत साफ कर उसे फेंक दिया था जिससे पाकड़ के एक विशालकाय वृक्ष की उत्पत्ति हुई. कालांतर में यहां पाकड़ के कई पेड़ हो गए. यहां एक तालाब भी है. ऐसी मान्यता है कि इस जगह पर किसी भी तरह के विवादों का सहज निपटारा हो जाता है और पाकड़ के पत्तों को पीस कर गर्भवती महिलाओं को पिलाने से उन्हें प्रसव पीड़ा से मुक्ति मिलती है.

रामायण सर्किट की चर्चा से जगी आस

Indien Sitamarhi | Panth Pakad Tempel
पंथ पाकड़ मंदिरतस्वीर: DW/M. Kumar

यहां एक विशाल पिंडी के साथ राम-जानकी का मंदिर भी है. वैदेही वल्लभ निकुंज मंदिर के महंत आचार्य सुमन झा कहते हैं, "लोकगाथाओं के अनुसार इसी स्थल पर प्रभु श्रीराम के साथ महर्षि परशुराम का संवाद हुआ था. माता सीता के पिंडी स्वरुप की पूजा केवल इसी जगह की जाती है. पाकड़ का पेड़ व सरोवर, दोनों ही केवल आस्था ही नहीं, शोध के भी विषय हैं." जो श्रद्धालु जनकपुर व पुनौरा धाम आते है, वे यहां भी जरूर आते हैं. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो, इसके लिए सीतामढ़ी निवासी भी काफी प्रयासरत रहे. 1986 में जब राम मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा निकली तो उसमें सबसे आगे सीतामढ़ी का ही रथ था जिसका नेतृत्व रामानंद प्रसाद ने किया था.

जानकी की जन्मस्थली के रूप में विख्यात पुनौरा धाम में जानकी मंदिर बना हुआ है. काफी समय से लोग इसे विकसित करने की मांग करते रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी रामायण सर्किट परियोजना के तहत राम व सीता से जुड़े उन सभी स्थलों व रास्तों को विकसित करने की योजना बनी, जहां वे दोनों गए थे और जो रामायण से जुड़ी पौराणिक कथाओं की वजह से विख्यात हैं. रामायण सर्किट परियोजना के तहत नौ राज्यों के पंद्रह स्थान आते हैं जिन्हें आपस में जोड़ा जाना है.

ये स्थल हैं, चित्रकूट (मध्य प्रदेश), जगदलपुर (छत्तीसगढ़), नंदीग्राम (पश्चिम बंगाल), महेंद्रगिरी (ओडिशा), भद्राचलम (तेलंगाना), रामेश्वरम (तामिलनाडु), हम्पी (कर्नाटक), नासिक व नागपुर (महाराष्ट्र), उत्तर प्रदेश के अयोध्या, श्रृंगवेरपुर तथा बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा. इन सभी जगहों में बेहतर कनेक्टिविटी के साथ उच्चस्तरीय पर्यटन सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी हैं ताकि सुगमता से पर्यटक आ-जा सकें. भविष्य में रामायण सर्किट का दायरा नेपाल व श्रीलंका तक बढ़ाने की भी योजना है.

2018 की घोषणा पर अमल नहीं

2018 में सीतामढ़ी महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुनौरा धाम में भव्य जानकी मंदिर के निर्माण व सीतामढ़ी को धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की तथा कहा कि यह देश का सबसे बड़ा मंदिर होगा. इसके लिए बीस एकड़ जमीन भी चिन्हित की गई. लेकिन आज तक काम आगे नहीं बढ़ा है. इसी मौके पर उन्होंने 48.53 करोड़ की लागत से विकास की कई योजनाओं का शिलान्यास किया.

Indien Sitamarhi | Panth Pakad Tempel
पंथ पाकड़ मंदिर का तालाबतस्वीर: DW/M. Kumar

मंदिर प्रबंधन के अनुसार शिलान्यास तो दर्जनभर योजनाओं का हुआ किंतु मात्र तीन पर ही काम शुरू हुआ और जो काम हो भी रहा है वह काफी मंथर गति से. इन सभी परियोजनाओं को रामायण सर्किट के तहत केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय व बिहार सरकार द्वारा किया जाना है. दो साल में इन योजनाओं को पूरा कर लिया जाना था. पुनौरा धाम मंदिर के महंत कौशल किशोर दास कहते हैं, "सीता कुंड के सौंदर्यीकरण, परिक्रमा पथ व चारदीवारी निर्माण के लिए जनवरी 2020 में ही टेंडर होने की बात कही गई थी किंतु आज तक उसका कोई अता-पता नहीं है. अभी सेंट्रल हॉल, पर्यटन भवन व इंट्रीगेशन भवन का काम चल रहा है."

बीते 5 अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री द्वारा राम मंदिर के लिए भूमि पूजन के बाद एक बार फिर यह चर्चा तेज हो गई है कि भव्य जानकी मंदिर का निर्माण व इस इलाके का पर्यटन स्थल के रूप में विकास कब तक होगा. जानकी जन्मोत्सव समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार की मांग है, "मुख्यमंत्री की घोषणा के दो वर्ष बीत गए लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा. अब तो जल्द काम शुरू होना चाहिए."

समिति के सदस्य विशाल कुमार ने तो प्रधानमंत्री कार्यालय को ई-मेल भेजकर कहा है, "अयोध्या में प्रभु श्रीराम के दर्शन का फल तभी मिल सकेगा जबतक माता जानकी की जन्मभूमि का दर्शन नहीं हो जाता. इसलिए इस इलाके का विकास नितांत आवश्यक है." वहीं सीतामढ़ी चैंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक सचिव राजेश सुंदरका कहते हैं, "राम मंदिर का शिलान्यास तो हुआ लेकिन सिया तो जैसे गुम ही हो गईं."

बिहार के पूर्व मंत्री रमई राम ने तो पुनौरा में माता सीता के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू नहीं किए जाने पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है. 2018 में मुख्यमंत्री द्वारा जानकी मंदिर निर्माण की घोषणा किए जाने के वक्त बिहार सरकार के तत्कालीन पर्यटन मंत्री व वर्तमान में स्थानीय सांसद सुनील कुमार पिंटू कहते हैं, "यह सीता माता की प्रकाट्य स्थली है इसलिए यह बाल स्वरूप वाला मंदिर होगा. मुख्यमंत्री को उनकी घोषणा याद दिलाऊंगा."

अयोध्या के साथ यदि सीतामढ़ी में विशाल जानकी मंदिर का निर्माण हो गया तो स्थानीय लोगों की चिर-प्रतीक्षित मांग तो पूरी होगी ही, आर्थिक रूप से पिछड़े बिहार के पर्यटन उद्योग को भी नई दिशा मिलेगी. इससे लोगों को रोजगार के नए मौके मिलेंगे और उन्हें रोजगार के लिए घर छोड़ने की जरूरत नहीं रहेगी.

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