अल चापो को कैद में रखने का माद्दा किस जेल में है
१३ फ़रवरी २०१९मेक्सिको के अल चापो पर बड़ी मात्रा में नशीली दवाओं को तस्करी के जरिए अमेरिका लाने के साथ ही दर्जनों लोगों की हत्या में शामिल होने के आरोप हैं. तीन महीने की ट्रायल के बाद मंगलवार को उसे दोषी करार दिया गया. अधिकारियों ने उसके खिलाफ ढेर सारे सबूत जुटाए हैं. उसे उम्र कैद की सजा मिलने के कयास लग रहे हैं.
मेक्सिको की दो जेलों से भागने के बाद आखिरकार अल चापो को पकड़ कर अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था. जीते जी किवदंती बन चुके और पुलिस को चकमा देन में माहिर अल चापो को लंबे समय के लिए जेल में रखना अमेरिकी पुलिस के लिए भी एक सिरदर्द है. जानकारों का कहना है कि अल चापो के लिए अमेरिका राज्य कोलोराडो के फ्लोरेंस में मौजूद "सुपरमैक्स" जेल आदर्श जगह हो सकती है. भारी भरकम प्रशासन वाली यह जेल सुदूर इलाके में होने के साथ ही बेहद सुरक्षित और कैदियों के लिए कठोर अनुशासन वाली है.
अमेरिका की तीन संघीय जेलों के लिए वार्डन रह चुके कैमरन लिंडसे का कहना है, "अल चापो के लिए वह जगह बिल्कुल उपयुक्त है. मुझे बहुत हैरानी होगी अगर उसे वहां नहीं भेजा जाता.”
खदान वाले एक पुराने शहर के बाहर मौजूद यह जेल डेनेवर के दक्षिण में दो घंटे की दूरी पर है. यह देश के सबसे बड़े मुजरिमों का घर है. यहां रहने वाले 400 कैदी 7 गुना 12 फीट की कोठरी में 23 घंटे घंटे अकेले रहते हैं. कोठरी में मौजूद फर्नीचर भी कंक्रीट का है.
यूएन में बम से हमला करने वाला टेड काचिंस्की, बोस्टन में कई बम हमले कर चुका जोखर त्सरनाएव, 11 सितंबर के हमलों की साजिश रचने वालों में शामिल साकारियास मुसावी और ओकलाहोमा सिटी पर बम हमले में शामिल टेरी निकोल्स भी इसी जेल में हैं.
अल चापो गुजमान को जून में सजा सुनाई जानी है. वह जेल के कैदियों से थोड़ा अलग जरूर दिख सकता है लेकिन भागने के मामले में वह इन सब पर भारी पड़ेगा.
2015 में अल चापो सेंट्रल मेक्सिको की बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली एल्टीप्लानो जेल से भाग निकला. सेलफोन के जरिए उसने अपने साथियों से संपर्क किया. उसने अपने बाथरूम के नीचे खुदी सुरंग के रास्ते वहां से निकलने का रास्ता बनाया. माना जाता है कि इस काम में उसने मोटी तगड़ी रिश्वत की भी मदद ली. 2001 में मेक्सिको ही एक और जेल से वह कपड़ों की टोकरी में बैठ कर भाग निकला.
यूएस ड्रग इनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन के पूर्व एजेंट माइक विजिल मेक्सिको में खुफिया रूप से काम करते रहे हैं. वो बताते हैं, "अंदरूनी साठगांठ की जरूरत होती है. इसमें कोई शक नहीं कि जेल से भागने के इन दोनों मामलों में भ्रष्टाचार की भूमिका थी."
तो क्या ऐसा सुपरमैक्स में भी हो सकता है? शायद नहीं. सुपरमैक्स की जेल में कैदी सालों तक एकाकी जीवन जीते हैं. उनके ज्यादातर दिन बिना किसी से बात किए गुजरते हैं. एक पूर्व कैदी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि "यह यह नर्क का हाईटेक संस्करण है.”
सुपरमैक्स के ज्यादातर कैदियों को एक टेलीविजन दिया जाता है लेकिन सचमुच की दुनिया देखने के लिए उनके पास महज इंच भर की एक खिड़की होती है. खिड़की का डिजाइन भी ऐसा है कि कैदियों को पता ही नहीं चलता कि उनकी सटीक लोकेशन क्या है. इंसानों से संपर्क बेहद कम है. यहां तक कि वो अपने कमरे में शौचालय से बस कुछ ही फीट की दूरी पर खाना खाते हैं.
जेल की सुरक्षा के लिए तीखी कंटीली तारों के बाड़ के अलावा, बंदूकधारियों से लैस टावर, भारी हथियारों से लैस गश्ती दल और हमलावर कुत्ते हैं. लूइसियाना स्टेट की अतिसुरक्षित जेल के पूर्व वार्डन बर्ल कैन का कहना है, "अगर कहीं कोई जेल है जहां से भागा नहीं जा सकता तो वो फ्लोरेंस की जेल ही है.”
संघीय अधिकारियों ने अभी यह जानकारी नहीं दी है कि अल चापो को कहां रखा जाएगा. फिलहाल तो उनका पूरा ध्यान उसे लंबी सजा दिलाने पर पर है. अमेरिकी अटॉर्नी रिचर्ड डोनोह्यू कहते हैं, "ऐसी सजा जहां से वह ना भाग सके ना लौट सके.”
अल चापो के तीन महीने लंबे चले ट्रायल के दौरान भी उसके भागने का खतरा बना रहा. उसे मैनहट्टन के मेट्रोपॉलिटन करेक्शनल सेंटर में रखा गया है. इस लॉकअप में कई कुख्यात आतंकवादी रह चुके हैं. अल चापो को कोर्ट लाए जाते समय ब्रुकलिन ब्रिज को बंद कर दिया जाता और सरकारी काफिले में एसडब्ल्यूएटी टीम के साथ ही एंबुलेंस भी रहती है और ऊपर से हैलीकॉप्टर निगहबानी करता है. अधिकारी इतने आशंकित हैं कि अल चापो को कोर्ट में अपनी बीवी से गले मिलने की भी इजाजत नहीं मिली.
एनआर/ओएसजे(एपी)