आईएईए ने रेडियोएक्टिव विकिरण पर जानकारी मांगी
२ मई २०१०अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रवक्ता मार्क व्रिद्रीकेरे ने विएना में बताया कि 9 अप्रैल को दिल्ली के मायापुरी इलाक़े में विकिरण की घटना का पता आईएईए को मीडिया रिपोर्टों से पता चला. इसके फलस्वरूप आईएईए के आपात विभाग भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग से संपर्क साधा और उनसे जानकारी मांगने के साथ साथ मदद का प्रस्ताव भी दिया. व्रिद्रीकेरे का कहना है कि आईएईए का आपात विभाग अब भी इस मामले पर और जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहा है.
विकिरण से सुरक्षा के लिए भारत की संस्था एटोमिक एनर्जी रेग्यूलेटरी बोर्ड (एईआरबी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर का दौरा किया है. जांचकर्ता उस कमरे में भी गए जहां रेडियोएक्टिव पदार्थ को रखा जाता है. इसी कमरे में बरसात में पानी टपकने की शिकायत मिली थी. कुछ दिन पहले दिल्ली के मायापुरी इलाक़े में कुछ लोग रेडियोएक्टिव विकिरण की चपेट में आ गए थे जिनमें से एक की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से ही दिल्ली यूनिवर्सिटी जांच के दायरे में हैं.
पुलिस का कहना है कि मायापुरी के कबाड़ियों ने कुछ पुराने उपकरणों को दिल्ली यूनिवर्सिटी में नीलामी के दौरान ख़रीदा था और उसमें से एक उपकरण, ”गामा इररेडिएटर” में रेडियोएक्टिव कोबाल्ट 60 था. इसे पिछले 25 सालों से इस्तेमाल में नहीं लाया गया था. दिल्ली यूनिवर्सिटी को इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के परमाणु सामग्री ख़रीदने पर रोक लगा दी गई है. हालांकि दिल्ली यूनिवर्सिटी और एईआरबी अधिकारियों ने उन दावों को ख़ारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि यूनिवर्सिटी में कुछ साल पहले 20 किलोग्राम यूरेनियम को असुरक्षित तरीक़े से दबा दिया गया था. साथ ही लैबोरेट्री में रेडियोएक्टिव पदार्थों से ख़तरे की संभावना से भी इनकार किया है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर दीपक पेंटल ने कहा, “यह ग़लत है. अगर 20 किलोग्राम यूरेनियम कैंपस में कहीं दबा होता तो हमारे लिए यहां बैठना संभव नहीं होता.” 20 किलोग्राम यूरेनियम के यूनिवर्सिटी कैंपस में दबे होने का दावा एक प्रोफ़ेसर ने किया, जिन्हें नौकरी से निकाला जा चुका है. पेंटल ने आरोप लगाया कि प्रोफ़ेसर रमेश चंद्रा ने अपनी निजी दुश्मनी निकालने के लिए ही इस तरह के आरोप लगाए. कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के चलते प्रोफ़ेसर चंद्रा को बर्ख़ास्त कर दिया गया था.
एईआरबी वैज्ञानिक डॉ राजू कुमार का कहना है कि रेडियोएक्टिव पदार्थ के कैंपस में दबे होने के सबूत नहीं हैं. हालांकि उन्होंने माना है कि कुछ रेडियोएक्टिव पदार्थों को ठीक तरह से चिह्नित (लेबल) नहीं किया गया है और इस बात का ख़्याल रखा जाना चाहिए. एईआरबी विभाग के अधिकारियों ने उस विभाग का दौरा किया जहां रेडियोएक्टिव पदार्थ रखा होता है. उस कमरे में बरसात का पानी जमा होने की शिकायत मिली थी. चार घंटे तक जांच करने के बाद एईआरबी ने किसी तरह के ख़तरे की संभावना से इनकार किया है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ओ सिंह