आखिर क्या हुआ फ्लाइट AI 182 के साथ
१६ फ़रवरी २०१७कनाडा के वैंकूवर शहर से नई दिल्ली के लिए निकली एयर इंडिया की फ्लाइट AI182 साढ़े चार घंटे बाद 23 जून 1985 की सुबह आयरलैंड तट के ऊपर थी. कनिष्क नाम का विमान 329 लोगों के साथ बिल्कुल आराम से करीब 9,500 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था. दिल्ली पहुंचने से पहले विमान को लंदन में एक स्टॉप ओवर करना था. पायलटों ने लैंडिंग की तैयारी शुरू कर दी थी. एयरपोर्ट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल एयर इंडिया के साथ अलग अलग ऊंचाई पर उड़ान भर रहे दो और विमानों को निर्देश दे रहा था. रडार पर तीनों फ्लाइटें दिखाई पड़ रही थी. लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ कि एयर इंडिया की फ्लाइट अचानक लापता हो गई. बिना कोई सूचना या इमरजेंसी संदेश दिये.
विमान के लापता होने के दो घंटे बाद कनाडा के एक कार्गो शिप ने अंटलांटिक महासागर में विमान का मलबा मिलने की जानकारी दी. अटलांटिक महासागर में लाइफ जैकेट और लोगों के शव तैरते मिले. बहुत जल्दी साफ हो गया कि विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो चुकी है. जांचकर्ताओं के सामने बड़ा सवाल यह था कि आखिर विमान में ऐसा क्या हुआ कि बिना किसी संकेत के सब खत्म हो गया. शवों की जांच से पता चला कि ज्यादातर लोगों की मौत हवा में ही हो चुकी थी. जल्द ही साफ हो गया विमान 31,000 फुट की ऊंचाई पर टुकड़ों में बंट चुका था.
(क्या कहती है, कुछ बड़े विमान हादसों जांच रिपोर्ट)
जांचकर्ताओं को पता नहीं चल पाया कि विमान अचानक क्यों क्रैश हुआ. लेकिन इसी दौरान जापान के नारिटा एयरपोर्ट में भी एयर इंडिया की फ्लाइट में चढ़ाये जाने वाले सामान में धमाका हुआ. धमाका, वैंकूवर से टोक्यो पहुंचे विमान से निकाले गए सामान में हुआ. यह सामान आगे एयर इंडिया की फ्लाइट पर चढ़ाया जाना था. धमाके में एयरपोर्ट के दो कर्मचारी मारे गए.
पैसेंजरों की लिस्ट जब जांची गई तो पता चला कि वैंकूवर से टोक्यो और वैंकूवर से वाया लंदन होते हुए नई दिल्ली जाने वाली फ्लाइट का टिकट एक ही आदमी के नाम से खरीदा गया था. लेकिन वह शख्स किसी भी फ्लाइट में सवार नहीं हुआ, जबकि उसका सामान दोनों विमानों रखा गया. यह पक्का हो चुका था कि फ्लाइट AI182 भी साजिश का शिकार हुई है. जापान में हुए धमाके में विस्फोटकों के साफ सबूत मिले. इसके बाद जांच आसान हो गई. जल्द ही पता चल गया कि कनिष्क को बम से उड़ाया गया. बम कॉकपिट के ठीक नीचे फटा, जिस वजह से तुरंत ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट वॉयर रिकॉर्डर से संपर्क भी टूटा.
कनिष्क हादसे के बाद एयरलाइन इंडस्ट्री में बड़े बदलाव किये गये. तब से यह नियम बना कि अगर कोई यात्री फ्लाइट पर न चढ़े तो उसका सामान भी विमान में नहीं होना चाहिए. इसके अलावा यात्रियों के सामान की कड़ी जांच भी कनिष्क हादसे के बाद ही शुरू हुई.
ओंकार सिंह जनौटी