'आखिरकार आजादी!' आसिया बीबी की जुबानी
३१ जनवरी २०२०पाकिस्तान की जेल में दयनीय हाल में आठ साल तक पल-पल मौत की सजा का इंतजार करने वाली ईशनिंदा की दोषी आसिया बीबी ने जेल और निर्वासन के अनुभव पर एक किताब लिखी है. पाकिस्तान की एक अदालत ने आसिया बीबी को 2010 में मौत की सजा सुनाई थी लेकिन 2018 में नाटकीय तरीके से उन्हें रिहा कर दिया गया था. आसिया अब कनाडा में एक अज्ञात जगह पर रहती हैं. आसिया के साथ जो सलूक हुआ था उसकी पूरी दुनिया में आलोचना हुई थी. आसिया बीबी ने जेल में बिताए दिनों की याद में जो किताब लिखी हैं उसकी सह-लेखिका फ्रेंच पत्रकार ऐन इजाबेल तोले हैं. तोले एक जमाने में पाकिस्तान से रिपोर्टिंग करती थीं और उन्होंने आसिया बीबी के लिए समर्थन अभियान चलाया था.
ऐन इजाबेल तोले एकमात्र पत्रकार हैं जिन्हें कनाडा में आसिया बीबी से मुलाकात करने दिया गया था. किताब "एनफिन लिबरे!" ("आखिरकार आजादी") फ्रेंच भाषा में प्रकाशित हुई और इसका अंग्रेजी संस्करण इसी साल सितंबर में आएगा. आसिया बीबी ने इस किताब में अपनी गिरफ्तारी, जेल के हालात, रिहाई के बाद मिलने वाली राहत और नई जिंदगी में आ रही दिक्कतों के बारे में लिखा, "आप पहले से ही मीडिया के जरिए मेरी कहानी जानते हैं. लेकिन जेल में मेरी रोजाना की जिंदगी या नई जिंदगी के बारे में नहीं जानते हैं." आसिया बीबी किताब में कहती हैं, "मैं कट्टरपन की कैदी बन गई थी." जेल के अनुभवों के बारे में आसिया कहती हैं, "जेल में आंसू ही मेरे साथी थे."
आसिया ने अपनी किताब में पाकिस्तानी जेल की भयावह तस्वीर पेश की है. आसिया को जेल की कोठरी में जंजीरों से बांध कर रखा गया था और साथी कैदी उसका मजाक उड़ाते थे. किताब में आसिया लिखती हैं, "मेरी कलाइयां जलने लगती थीं. सांस लेना मुश्किल हो जाता था. मेरी गर्दन में लोहे की पट्टी बंधी थी जिसे वहां मौजूद जेल का गार्ड नट के जरिए कस सकता था." आसिया किताब में आगे लिखती हैं, "गर्दन और हाथ की जंजीरें एक लंबी चेन से जुड़ी थी, जो गंदी जमीन पर पड़ी रहती थी, चेन को ऐसे खींचा जा सकता था जैसे किसी कुत्ते को खींचा जाता है."
आसिया का दर्द यहीं नहीं खत्म होता है, वह लिखती हैं, "मेरे भीतर गहराई में, एक मंद खौफ मुझे अंधेरे में ले जाता है. एक ऐसा खौफ जो मुझे कभी नहीं छोड़ने वाला है." अन्य कैदी भी आसिया पर रहम नहीं दिखाते थे. वह आगे लिखती हैं, "एक महिला ने रोते हुए कहा, 'मारो' इसने मुझे हैरत में डाल दिया, अन्य महिलाएं भी उसके साथ कहने लगीं, फांसी दो, फांसी दो."
पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय देश में कानूनी और सामाजिक भेदभाव की शिकायत करते रहे हैं. इस लिहाज से ईशनिंदा के आरोप खासतौर से विवादित रहे हैं. मुस्लिम बहुल देश में सिर्फ ईशनिंदा के आरोप लगने पर भीड़ आरोपी को मौत के घाट के उतार सकती है.
आसिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों से हमेशा इनकार किया है और अपनी किताब में भी लिखा है कि पाकिस्तान में अब भी ईसाई समुदाय उत्पीड़न का सामना कर रहा है. किताब में आसिया लिखती हैं, "मेरी आजादी के बाद भी ईसाइयों के लिए माहौल नहीं बदला है और ईसाई प्रतिशोध की अपेक्षा करते हैं." अपने नए ठिकाने पर आसिया किताब में लिखती हैं, "इस अनजाने देश में, मैं एक नई मंजिल, शायद नई जिंदगी के लिए तैयार हूं लेकिन किस कीमत पर? मेरा मन उस वक्त टूट गया जब मुझे अपने पिता या परिवार के अन्य सदस्यों को अलविदा कहे बिना देश छोड़ना पड़ा. पाकिस्तान मेरा देश है. मैंने अपने देश से प्यार करती हूं लेकिन मैं हमेशा के लिए निर्वासन में हूं."
एए/एजे (एएफपी)
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore