आर्थिक विकास को बढ़ावा देता मोबाइल फोन
२० जून २०१२समाजशास्त्री हांस पेटर हान बुर्कीना फासो, टोगो और घाना में काम करते हैं और उन्होंने वहां ऐसा होते हुए कई बार देखा है. कहते हैं, "यह चकित करने वाली बात है कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल उन जगहों पर भी होता है जहां बिजली की लाइन नहीं है." अफ्रीकी महाद्वीप के दो तिहाई हिस्से में अब लोग आपस में मोबाइल पर बात कर सकते हैं और नई तकनीक को इस्तेमाल करने के लोगों ने नए तरीके निकाले हैं. मिसाल के तौर पर एम पेसा नाम का एक सिस्टम जिससे लोग एक दूसरे को पैसे भेज सकते हैं. यह केन्या में विकसित एक प्रोग्राम है जिससे किसानों को रोजाना एसएमएस के जरिए पता चलता है कि बाजार में अनाज का दाम कितना है और मौसम कैसा रहेगा.
मोबाइल फोन अफ्रीका में तरक्की का जरिया बन गया है. और हर साल फोन का इस्तेमाल कर रहे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. 2005 में नौ करोड़ अफ्रीकी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे थे. अब यह संख्या बढ़कर 45 करोड़ से ज्यादा हो गई है. चीन की कंपनियां वहां के बाजारों में और सस्ते मोबाइल फोन ला रही हैं और यूरोपीय कंपनियां भी अफ्रीका में अपने फोन बेच रही हैं.
बॉन के सेंटर फॉर डिवेलपमेंट स्टडीज के निदेशक योआखिम फॉन ब्राउन कहते हैं कि दस साल पहले लोग इस बात पर हंसते थे कि गांव के लोगों को मोबाइल नहीं, पानी और खाना चाहिए. लेकिन अब पता चला है कि तकनीक से गरीबों को बहुत फायदा हुआ है क्योंकि इससे पहले उन्हें जानकारी आसानी से नहीं मिल रही थी. जर्मन विकास संगठन डीआईजेड के बैर्न्ड फ्रीडरिश भी कहते हैं कि विकासशील देशों में भी मोबाइल धीरे धीरे लोगों की जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है, क्योंकि इन्हीं के जरिए उन्हें जानकारी मिलती है और वे अपना खाली वक्त गुजारते हैं. फ्रीडरिश के मुताबिक अपने परिवारों से दूर रह रहे मजदूरों और कर्मचारियों के लिए मोबाइल बहुत ही जरूरी हो गया है.
डिजिटल डिवाइड
लेकिन हान का मानना है कि परेशानी उन लोगों के लिए है जिनके पास फोन खरीदने के पैसे नहीं हैं. "यह प्रीपेड कार्ड होते हैं और इन्हें हर छह महीनों में रीचार्ज करना पड़ता है ताकि इन्हें इस्तेमाल किया जा सके. कई लोग अब भी यह खर्चा नहीं उठा सकते." हान बुर्कीना फासो के एक समुदाय के बारे में बताते हैं जिन्होंने संपर्क को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की है. हान कहते हैं कि डिजिटल डिवाइड अब गरीब और अमीर देशों के बीच नहीं है बल्कि समाज के अलग वर्गों के बीच है. अब भी दुनिया भर में 100 में से सिर्फ 12 लोग इंटरनेट का प्रयोग करते हैं और इनमें से ज्यादातर शहरों में रहते हैं.
विश्व बैंक की 2009 की एक रिपोर्ट के मुताबिक विकासशील और गरीब देश अगर इंटरनेट संपर्क को सालाना दस प्रतिशत की दर से बढ़ाएं तो उनके आर्थिक विकास में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है. इस बीच अफ्रीका और एशिया के देश तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन निरक्षरता अब भी मोबाइल फोन और इंटरनेट के रास्ते पर अडंगा बन कर खड़े हैं.
रिपोर्ट: मार्टिन निकोलास/एमजी
संपादनः महेश झा