आलोचना झेल रहे जरदारी बाढ़ पीड़ितों से मिले
१३ अगस्त २०१०पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी बाढ़ पीड़ितों और राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर हैं क्योंकि उन्होंने यूरोप दौरे को बीच में छोड़ कर देश वापस आने का फैसला नहीं किया. जरदारी की आलोचना करने वाले लोगों का कहना है कि जब पाकिस्तान में लोग जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे तब जरदारी यूरोपीय देशों की यात्रा कर रहे थे.
राष्ट्रपति जरदारी ने सुक्कुर का दौरा किया जहां सरकार के मुताबिक बाढ़ पीड़ित इलाकों से पानी का घटना शुरू हो गया है. सिंध में बाढ़ से हुए नुकसान और राहत और पुनर्वास कार्य का उन्होंने जायजा लिया. पाकिस्तान के सरकारी टेलीविजन पीटीवी पर जरदारी की वीडियो फुटेज दिखाई गई है जिसमें वह सिंध प्रांत से लौटते दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने पारंपरिक टोपी पहनी है और राहत शिविर में एक बूढ़ी महिला को दिलासा दे रहे हैं.
वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार में अपने लेख में जरदारी ने यूरोप दौरा बीच में नहीं छोड़कर आने के फैसले का बचाव किया. उन्होंने कहा कि लंदन और पेरिस में अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर उन्होंने त्रासदी के लिए धन जुटाने में किया. हालांकि विपक्षी पार्टियां जरदारी के दौरे से खुश नहीं हैं और उनका मानना है कि जरदारी ने देर कर दी है. विश्लेषकों का कहना है कि आसिफ अली जरदारी की छवि तभी सुधरेगी जब वह बाढ़ संकट को काबू में ला पाने में सफल होंगे.
स्थानीय अधिकारी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि राष्ट्रपति ने बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत सामग्री बांटी और उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार उनकी मदद के लिए हरसंभव कदम उठाएगी. पाकिस्तान का कहना है कि बाढ़ से करीब एक करोड़ 40 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 1,600 लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि इस्लामाबाद ने सिर्फ 1,343 मौतों की पुष्टि की है.
पाकिस्तान सरकार ने माना है कि बाढ़ की विभीषिका उसके लिए एक चुनौती बन गई है. उधर कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों ने बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए बड़े पैमाने पर राहत कार्य शुरू कर दिया है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: वी कुमार