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आसियान का मानव अधिकार आयोग

Ujjwal Bhattacharya२० जुलाई २००९

थाईलैंड के फ़ुकेट में आसियान देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में संगठन की एक मानव अधिकार संस्था बनाने का निर्णय लिया गया है. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह संस्था मानव अधिकारों के उल्लंघन से निपट नहीं पाएगी.

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थाई प्रधान मंत्री अभिसिट वज्जाजिवातस्वीर: AP

काफ़ी समय से अपेक्षा थी कि आसियान की एक मानव अधिकार संस्था बनाई जाएगी. विदेश मंत्रियों की बैठक में इसकी रूपरेखा तैयार कर दी गई है. इसे मानव अधिकार आयोग का नाम दिया गया है. अक्टूबर में संगठन की शिखर बैठक में औपचारिक रूप से इसकी घोषणा की जाएगी.

कई वर्षों से ऐसी एक संस्था के गठन की पेशकश हो रही थी. आसियान को व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ रहा था कि वह म्यानमार के सैनिक शासन और वियतनाम व लाओस के कम्युनिस्ट सरकारों के प्रति नरमी का रुख अपनाता रहा है. संस्था के गठन के पीछे भी यही कारण रहा है. विदेश मंत्रियों की बैठक का उद्घाटन करते हुए थाईलैंड के प्रधान मंत्री अभिसिट वज्जाजिवा ने कहा -

आसियान को इसके काबिल होना पड़ेगा कि वह अपने सदस्य देशों पर आए हर ख़तरे व हर चुनौती का दृढ़ता से सामना कर सके. टालमटोल के बदले निर्णायक क़दम उठाने पड़ेंगे. हमें दुनिया को दिखाना पड़ेगा कि आसियान हर चुनौती को स्वीकार करता है और निर्णायक क़दम उठा सकता है. - अभिसिट वज्जाजिवा

अभिसिट ने कहा कि आयोग का पहला काम मानव अधिकारों को प्रेरित करना होगा. उसके बाद ही अगले क़दम उठाए जाएंगे और इन अधिकारों की रक्षा के लिए आयोग सक्रिय होगा.

1997 में म्यानमार आसियान का सदस्य बना था, और तभी से वह मानव अधिकारों के मामले में संगठन के लिए एक समस्या है. विपक्षी नेता व नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आउंग सान सू ची सहित 2 हज़ार से अधिक राजनीतिक कर्मी वहां क़ैद हैं.

विदेश मंत्रियों के एक वक्तव्य में म्यानमार से अपील की गई है कि आउंग सान सू ची सहित सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए, ताकि सन 2010 में नियोजित चुनाव से पहले देश में मेलमिलाप और सार्थक संवाद का रास्ता खुले. साथ ही एक अन्य वक्तव्य में उत्तर कोरिया से अपील की गई है कि वह परमाणु अस्त्र कार्यक्रम पर 6 देशों की वार्ता में वापस लौटे और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन करे.

रिपोर्ट - एजेंसियां/उ भ

संपादन - महेश झा