आसियान की बैठक-नया मुक्त व्यापार समझौता
२७ फ़रवरी २००९न्युज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने आसियान देशों के समूह के साथ मुक्त व्यापार संधि पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किये. इस समझौते के बाद दक्षिण एशियाई देशों के समूह आसियान के सभी सदस्य देशों का सकल घरेलू उत्पाद 2020 तक 48 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ जाएगा.
मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और उद्योग मंत्री तान श्री मुहयिद्दीन यासिन ने इस समझौते के बाद कहा कि आर्थिक मंदी के इस दौर में इस समझौते से "व्यापार में थोड़ी गति आएगी".
इस बैठक के शुरू होने पहले मानवाधिकार पैनल शुरु करने संबंधी भी बातचीत हुई.
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के समूह आसियान के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को दस देशों के इस समूह में मानवाधिकार पैनल शुरु करने के बारे में बातचीत की. मानवाधिकारों की रक्षा के लिये अलग विभाग बनाए जाने की काफ़ी समय से दरकार थी.
दिसंबर में एक चार्टर में निश्चित किये गए नियमों के अनुसार आसियान देशों के विदेशमंत्रियों ने मानवाधिकार पैनल की संरचना पर शुक्रवार को विस्तार से बातचीत की. सूत्रों का कहना है कि मानवाधिकार पैनल के प्रस्ताव में आसियान की उस नीति का पालन किया जाएगा जिसमें सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना शामिल है. बैठक के दौरान इस पैनल को क़ानूनी अधिकार देने संबंधी सहमति नहीं बन सकी.
अधिकारी चाहते हैं कि इस साल के आख़िर तक मानवाधिकार पैनल अपना काम शुरू कर दे लेकिन शुक्रवार को शुरू हुई आसियान देशों की शिखर बैठक में किसी ठोस निर्णय पर पहुंचने की उम्मीद नहीं की जा रही है.
मलेशिया के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अहमद बदावी का कहना है कि इस पैनल के लिये सहमति बनाना बहुत चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है. बैंकॉक पोस्ट से बातचीत के दौरान बदावी ने कहा कि यह मुश्किल होगा. मैं बिलकुल शुरुआती दौर में इस तथ्य को मानता हूं. हम लोग विकास में अलग अलग स्तर पर हैं लेकिन थाई विदेश मंत्री कासित पिरोम्या ने इस बारे में चल रही बातचीत को लगातार बढ़ती प्रक्रिया बताया. इसके विपरीत बदावी का मानना है कि सांस्कृतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक सभी स्तरों पर दस देशों वाला यह समूह एक दूसरे से बिलकुल अलग काम कर रहा है.
मानवाधिकार मामलों को लेकर एशियान देशों के समूह पर काफ़ी समय से दबाव रहा है कि अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे और म्यामार और बाकी मार्क्सवादी देशों में मानवाधिकारों की स्थिती सुधारे.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पैनल के क़मज़ोर होने की आशंका जताई है. बैंकाक स्थित एशिया फ़ोरम के याप स्वी सेंग का कहना है कि नियोजित संस्था में यदि स्वतंत्र प्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया जाता तो संस्था के दंतहीन होने का ख़तरा है.