आसियान के चासील वर्ष
८ अगस्त २००७वियतनाम युद्ध के उत्कर्ष पर 1967 में एशिया के साम्यवादी देशों के संतुलन के लिए इसकी स्थापना की गई थी. लेकिन 40 साल बाद वह इलाक़े में अमेरिका और चीन के प्रभाव के बावजूद अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने में सफल रहा है. फिलीपीन्स ने कहा है कि आसियान इलाक़े में शांति लेकर आया तो लोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह निरंकुश शासकों को लेकर आया.
54 करोड़ आबादी के साथ आसियान की जनसंख्या अमेरिका या यूरोप से अधिक है और उसके कुछ सदस्य देशों को आर्थिक प्रगति के मामले में चीन के साये में छुपने की ज़रूरत नहीं है. यह उत्साह का कारण हो सकता है लेकिन आवाज़ दबी दबी सी है. महाशक्ति अमेरिका और विशालकाय चीन के बीच दबा आसियान दक्षिण पूर्व एशिया में सत्ता के स्वतंत्र कारक के रूप में नहीं उभरा है.
इतना ही नहीं, यूरोपीय संघ की तर्ज़ पर राजनैतिक और आर्थिक समेकन के प्रयास भी शायद ही दिख रहे हैं. इसकी वजह देर से मिली आज़ादी भी है, जिसके कारण वहाँ अभी भी राष्ट्रवाद का बोलबाला है, अभी भी राष्ट्रीय संप्रभुता के एक हिस्से को भी सुपर राष्ट्रीय संस्थाओं को सौंपने की बात सोची भी नहीं जा सकती.
इसके अलावा स्वाभाविक सहयोगी यूरोपीय संघ से निराशा भी है. फ़्राइबुर्ग विश्वविद्यालय के प्रो. युरगेन रुईलंड कहते हैं कि एशियाई वित्तीय संकट के बाद यूरोपीय संघ ने चीन और भारत पर नए आर्थिक खिलाड़ियों के रूप में ध्यान देना शुरू कर दिया है. हैं
लेकिन दूसरी ओर यूरोपीय संघ की उम्मीदें कुछ और भी हैं. चीन द्वारा ताक़त प्रदर्शन और उसके बढ़ते आर्थिक प्रभाव की रोशनी में कुछ यह भी सोचते हैं कि आसियान अमेरिका, चीन और भारत से स्वतंत्र होगा तथा इलाक़े में सत्ता संतुलन बनाने की भूमिका निभाएगा.
जर्मनी के पूर्व विदेश राज्यमंत्री युरगेन क्रोबोग का कहना है कि इस क्षेत्र को विकल्प की ज़रूरत है, उसे दुनिया के साथ संतुलित संबंध की ज़रूरत है और इसमें यूरोप की महत्वपूर्ण भूमिका है.
आसियान सचमुच एक आकर्षक सहयोगी है. वहाँ वेतन का स्तर चीन से अधिक है, लेकिन वियतनाम जैसे सदस्य देश न सिर्फ़ निवेश की लाभदायक शर्तें देते हैं बल्कि पैटेंट के हनन से सुरक्षा की कानूनी गारंटी भी.
इसके अलावा वह पिछले सालों में विवादमुक्त इलाक़ा बनकर उभरा है. दूसरी ओर आसियान ने भी संवाद की प्रक्रिया में चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे पड़ोसी देशों को जोड़ कर चीन के कद्दावर होने से उत्पन्न होने वाली समस्या को कम करने का प्रयास किया है.
दूसरी ओर वह अमेरिका को जोड़कर शक्ति संतुलन की क्लासकीय नीति का भी इस्तेमाल कर रहा है. वियतनाम युद्ध में हार के बाद लम्बे समय तक अमेरिका क्षेत्र में सक्रिय नहीं था, लेकिन अब वह फिर से पहले नम्बर पर है. और यह अधिकांश आसियान सदस्यों के भी हित में है.