इंटरनेट से पारिवारिक ढांचे को ख़तरा!
१७ जून २००९ये अध्ययन कैलिफ़ोर्निया के एननबर्ग स्कूल फ़ॉर कम्युनिकेशन में सेंटर फ़ॉर डिजिटल फ़्यूचर की ओर से अमेरिका में कराया गया था. इसके अनुसार 2006 में 11 प्रतिशत लोग इंटरनेट के कारण रिश्तेदारों के साथ ज़रूरत से कम समय बिता रहे थे लेकिन 2008 में ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर 28 प्रतिशत तक पहुंच गई.
रिपोर्ट के मुताबिक़ 2006 में परिवार के सभी सदस्य महीने में औसतन 26 घंटे एक दूसरे के साथ व्यतीत कर रहे थे लेकिन 2008 में यह औसत घटकर 17.9 घंटे तक रह गया. यानि दो सालों में इसमें 30 प्रतिशत की कटौती दर्ज की गई. इन्ही दो सालों में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की उपेक्षा का शिकार होने वाले लोगों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ी है.
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि हाल के सालों में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स की लोकप्रियता में ज़बरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है और लोग अब ऐसी साइटों पर ज़्यादा समय बिताने लगे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य तकनीकी आविष्कार जैसे टेलीफ़ोन या टेलीविज़न की तुलना में इंटरनेट के आने से पारिवारिक ढांचे पर दुष्प्रभाव के ख़तरे ज़्यादा हैं. अध्ययन में आगाह किया गया है कि परिवार सामाजिक ढांचे की नींव है और उसे हर हालत में बचा कर रखा जाना चाहिए.
रिपोर्ट - एजेंसियां/ एस गौड़
संपादन - एस जोशी