इंडोनेशिया में क्रिसमस न मनाने का फतवा
२४ दिसम्बर २०१२राष्ट्रपति सुसीलो बाम्बांग युधोयोनो और उप राष्ट्रपति बोएदियोनो 27 दिसंबर को राष्ट्रीय क्रिसमस त्योहार में हिस्सा ले रहे हैं, लेकिन मुस्लिम धार्मिक नेता इसका विरोध कर रहे है. इंडोनेशिया में उलेमा काउंसिल ऑफ रिलीजियस अथोरिटीज ने एक फतवा जारी किया है जिसके मुताबिक किसी भी मुसलमान को क्रिसमस में हिस्सा लेना नहीं चाहिए. मुस्लिम संगठन पर्सिस के प्रमुख मामान अब्दुररहमान ने कहा, "वह देश के नेता हैं लेकिन फिर भी उन्हें ऐसे उत्सवों में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित किया जाता है."
लेकिन देश में नहदलातुल उलेमा और मुहम्मदिया संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि लोगों को क्रिसमस के अवसर पर बधाई देना प्रतिबंधित नहीं है और यह धर्मनिरपेक्ष होने का एक संकेत भी है. वे उलेमा काउंसिल की बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे. इंडोनेशिया की 90 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है लेकिन देश को धर्मनिरपेक्षता के लिए जाना जाता है.
इंडोनेशिया ही नहीं, बल्कि सीरिया में भी विद्रोहियों के डर ने क्रिसमस पर काला साया डाल दिया है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक विद्रोही सीरिया के ईसाई गांवों पर हमला करने की तैयारी कर रहे हैं. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, बहुत से ईसाइयों को डर है कि राष्ट्रपति बशर अल असद के जाने के बाद देश में ईसाइयों की हालत बुरी होगी. लेकिन सीरिया के कई नागरिकों को दमिश्क में हिंसा के बाद क्रिसमस मनाने में परेशानी आ रही है. एक तो हिंसा की वजह से कई दुकानें बंद हैं और त्योहार का पूरा मजा नहीं लिया जा सकता, दूसरी ओर करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों की मौत के कारण भी लोग त्योहार को बड़े पैमाने पर नहीं मना रहे.
उधर पाकिस्तान में इस साल ईशनिंदा के आरोप में फंसी रिमशा मसीह के मामले के बाद सरकार देश में ईसाइयों का हौसला बढ़ाने की कोशिश कर रही है. राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने देश में ईसाइयों के योगदान की तारीफ की और कहा कि वह धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे.
एमजी/एमजे(एएफपी, डीपीए)