इतिहास के सबसे भयानक भूकंप
१५ सितम्बर २०२३22 मई, 1960 को दक्षिणी चिली के वाल्डिविया शहर में आया भूकंप अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है. इस प्राकृतिक आपदाको ग्रेट चिली भूकंप के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल यानी एमएमएस पर इसकी तीव्रता 9.5 मापी गई. भूकंप के समय दो टेक्टोनिक प्लेटें 30 मीटर से ज्यादा खिसक गईं, जिससे भूकंपीय तरंगों में भारी मात्रा में ऊर्जा का उत्सर्जन हुआ. महज 10 मिनट में पूरे शहर मलबे में तब्दील हो गए. करीब 6,000 लोग मारे गए और इसके परिणामस्वरूप आई सुनामी की वजह से जापान में 130 और हवाई में 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई.
चिली में आए इस भूकंप से तो अमेरिका पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा लेकिन चार साल बाद गुड फ्राइडे के दिन, अमेरिका उस भूकंप का केंद्र (एपीसेंटर) था जो अब तक दर्ज किया गया दूसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप है. 9.2 तीव्रता का यह खतरनाक भूकंप, ग्रेट अलास्कन भूकंप के नाम से जाना जाता है. इस दौरान करीब चार मिनट तक धरती हिलती रही.
इस भूकंप ने दक्षिणी और मध्य अलास्का में बुनियादी ढांचे के बड़े हिस्से को नष्ट कर दिया. अलास्का के सबसे बड़े शहर, एंकरेज में भूकंप से भारी क्षति हुई, सड़कें नष्ट हो गईं. भूकंप के बाद आई सुनामी ने कई तटीय शहरों को प्रभावित किया, जिसके बाद आई बाढ़ में 139 लोग डूब गए. हालांकि, गुड फ्राइडे होने और तमाम व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद होने के कारण बहुत से लोगों की जान बच गई. तमाम स्कूल भी ढह गए लेकिन संयोग से स्कूल बंद होने के कारण बच्चे नहीं थे, इसलिए मृतकों के आंकड़े कम रहे.
मलबे के बीच मदद के इंतजार में मोरक्को के भूकंप पीड़ित
फरवरी 2023 में, तुर्की और सीरिया में करीब 12 घंटे के अंतराल और 95 किलोमीटर की दूरी पर भूकंप आया था. एमएमएस पर इनकी तीव्रता 7.8 और 7.7 जो आठ दशकों में तुर्की में आया सबसे बड़ा भूकंप था. भूकंप से तुर्की में 50,000 से ज्यादा और सीरिया में कम से कम 8,400 लोग मारे गए और करीब 15 लाख लोग बेघर हो गए.
भूकंप और सुनामी
सुनामी अक्सर तब आती है जब भूकंप समुद्र के नीचे या उसके आस-पास आते हैं. ये भूकंप के केंद्र से दूर इलाके में मौत का कारण बन सकती हैं. हिन्द महासागर में आए 9.1 तीव्रता के भूकंप, जिसे 2004 का सुमात्रा-अंडमान भूकंप भी कहा जाता है, में सीधे तौर पर किसी की मौत नहीं हुई, लेकिन 30 मीटर तक की ज्वारीय लहरों के साथ आई सुनामी ने दक्षिण और दक्षिणपूर्व एशिया के 14 देशों में 2.4 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली. इस तरह से यह इतिहास के सबसे घातक भूकंपों में से एक था.
साल 2011 में, जापान के तोहोकू इलाके में समुद्र के अंदर आए भूकंप ने सुनामी पैदा कर दी, जो 1986 के चेरनोबिल दुर्घटना के बाद सबसे खतरनाक परमाणु आपदा का कारण बनी. मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल यानी एमएमएस पर इसकी तीव्रता 9.1 थी. इस भूकंप ने शक्तिशाली सुनामी लहरें पैदा कीं, जिससे जापान में प्रशांत महासागर के करीब 500 वर्ग किलोमीटर के तटीय इलाके में बाढ़ आ गई.
इस सुनामी में करीब 22,000 लोग मारे गए और 4 लाख इमारतें ढह गईं या पूरी तरह से नष्ट हो गईं. सुनामी की वजह से फुकुशिमा में परमाणु ऊर्जा संयंत्र में 14 मीटर ऊंची लहर आई, जिससे तीन रिएक्टर पिघल गए और उनसे हुए रेडियोएक्टिव रिसाव ने भयानक तबाही मचाई. इस वजह से कई देशों को सुरक्षा के लिहाज से अपनी परमाणु ऊर्जा नीतियों में संशोधन करना पड़ा.
कब्रिस्तान के चक्कर काटते भूकंप पीड़ित
चीन के दो घातक भूकंप
23 जनवरी, 1556 को मध्य चीन के शान्क्सी प्रांत में भूकंप आया. तत्कालीन इतिहासकारों ने इस भूकंप का विवरण कुछ इस प्रकार दिया है, "तमाम आपदाएं घटित हुईं. पहाड़ों और नदियों ने अपने स्थान बदल दिए और सड़कें नष्ट हो गईं. कुछ जगहों पर, जमीन अचानक ऊपर उठ गई और नई पहाड़ियां बन गईं या फिर जमीन अचानक डूब गईं और नई घाटियां बन गईं. अन्य क्षेत्रों में, एक ही पल में जलधारा फूट पड़ी, या जमीन टूट गई और नई नालियां दिखने लगीं. झोंपड़िया, आधिकारिक घर, मंदिर और शहर की दीवारें अचानक ढह गईं.”
माना जाता है कि इस भूकंप की तीव्रता एमएमएस पैमाने पर 8.25 रही होगी और इसमें करीब 8 लाख तीस हजार लोग मारे गए थे. यह इतिहास में दर्ज सबसे घातक भूकंप है.
दर्ज इतिहास का संभवत: दूसरा सबसे घातक भूकंप और पिछले 100 वर्षों का सबसे भयानक भूकंप भी चीन में ही आया था. 28 जुलाई 1976 को स्थानीय समयानुसार 3 बजकर 42 मिनट पर 7.1 तीव्रता के भूकंप ने तांगशान शहर को लगभग नष्ट कर दिया, जिसकी आबादी आज 70 लाख से अधिक है. भूकंप का केंद्र तांगशान से 20 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में था, लेकिन झटके 140 किलोमीटर दूर बीजिंग में भी महसूस किए गए. भूकंप का प्रभाव इतना ज्यादा था कि इसके बाद 50 लाख से ज्यादा घर रहने लायक नहीं रहे और सैकड़ों-हजारों लोग मारे गए. हालांकि अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर दो लाख 42 हजार मौतें दर्ज कीं, लेकिन मौत का वास्तविक आंकड़ा साढ़े छह लाख तक होने का अनुमान है.
1920 के दशक में पूर्वी एशिया में कई भूकंप आए. भूकंपों की इस श्रृंखला में सबसे भयानक भूकंपों में से एक चीन में भी आया था और यह भूकंप आया था 16 दिसंबर 1920 को हाईयुआन में जिसकी तीव्रता थी 7.8. भूकंप के बाद भूस्खलन और जमीनी दरारों के कारण कई गांव जमीन में दब गए और नदियों ने अपना रास्ता बदल लिया. भूकंप में करीब दो लाख लोग मारे गए.
अंतरराष्ट्रीय राहत सहायता
आजकल भूकंप आने पर अंतरराष्ट्रीय राहत संगठन तुरंत मदद में जुट जाते हैं जैसा कि इस समय सीरिया, तुर्की और मोरक्को में हो रहा है. साल 2010 में भी ऐसा हुआ था जब 12 जनवरी को स्थानीय समयानुसार शाम को चार बजकर 53 मिनट पर हैती में भूकंप आया था. 7 की तीव्रता वाला यह भूकंप यूं तो पिछली सदी का सबसे शक्तिशाली भूकंप नहीं था, लेकिन विनाशकारी असर के मामले में यह सबसे खराब भूकंपों में से एक था.
पश्चिमी गोलार्ध का सबसे गरीब देश हैती, ऐसी प्राकृतिक आपदा के लिए तैयार नहीं था. कुछ क्षेत्रों में तो 90 फीसदी घर नष्ट हो गए. हताहतों की संख्या का सटीक आकलन तो अब तक नहीं हो पाया है लेकिन अंतरराष्ट्रीय संगठनों का अनुमान है कि पीड़ितों की संख्या 2 लाख से 5 लाख के बीच है.