ई सिगरेट- हीरो से विलेन बनने का सफर
बाजार में ई सिगरेट को ऐसे विकल्प के रूप में पेश किया गया था जो तंबाकू के नुकसानदेह असर से तो बचाता ही है सिगरेट पीने की आदत को भी छुड़ा सकता है. अब क्या हुआ जो इस पर रोक लगानी पड़ रही है.
भारत में क्यों लगी रोक
इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों पर भारत में प्रतिबंध लग गया है. कारण स्वास्थ्य चिंताओं को बताया गया. कहा गया कि इसे तंबाकू फूंकने से कम हानिकारक बताना सही नहीं. भारत में ई सिगरेट के निर्माण, आयात और वितरण पर रोक लगाई गई.
युवाओं पर खास ध्यान
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सितारमन ने इस प्रतिबंध का मकसद खास तौर पर देश के युवाओं को बचाना बताया गया. बबल गम से लेकर वनीला तक तमाम तरह के स्वाद में आने वाले निकोटीन वाले लिक्विड युवाओं और किशोरों को भी पसंद आते हैं.
बच्चों को पसंद
इसके आलोचक मानते हैं कि तरह तरह के टॉफी-चॉकलेट जैसे स्वाद में मिलने के कारण ये बच्चों को भी आकर्षित करता है. हालांकि उसमें मिली निकोटीन बच्चों के लायक बिल्कुल नहीं होती. भारत में रोक के एक दिन पहले ही अमेरिका के न्यूयॉर्क में फ्लेवर वाले ई सिगरेटों पर रोक लगी थी जिसे वेपिंग से जुड़ी मौतों के लिए जिम्मेदार माना गया.
कैसे काम करता है
यह जलता नहीं है बल्कि इसके भीतर डाले गए लिक्विड को गर्म करता है. जब लिक्विड किसी फ्लेवर वाली वाष्प में बदल जाता है तब उसे सांस के माध्यम से अंदर ले लिया जाता है.
अमेरिकी टीन्स खासे प्रभावित
अमेरिका के करीब 36 लाख मिडिल और हाई स्कूल के स्टूडेंट्स ने 2018 में कोई ना कोई वेपिंग का उत्पाद इस्तेमाल किया. एक साल पहले की तुलना में यह तादाद 15 लाख बढ़ गई. न्यूयॉर्क में फेफड़ों से जुड़ी तकलीफों से कम से कम सात लोगों के मरने और सैकड़ों के बीमार होने के बाद इसे बैन किया गया.
क्या वाकई कम हानिकारक
इसकी वाष्प में सिगरेट के धुएं के मुकाबले कम से कम 7,000 तरह के रसायन नहीं होते लेकिन ऐसी कई अन्य चीजें होती हैं जिनसे सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. ब्रिटेन में तो सरकार ने भी इसे सिगरेट से बेहतर बता कर बढ़ावा दिया.
भारत में कितने लोग प्रभावित
फिलहाल तो भारत में इनका इस्तेमाल करने वाले लोग कम ही थे लेकिन ई सिगरेट के लिए 1.4 अरब लोगों का संभावित बाजार बंद हो गया. सिगरेट कंपनियां भी ऊंची टैक्स दरों और सार्वजनिक जगहों पर बैन के कारण अपना मुनाफा बचाने की कोशिशों में लगी हैं.
ई सिगरेट में हुए भारी निवेश का क्या
केवल 2018 में ही मार्लबोरो और चेस्टरफील्ड ब्रांड वाली सिगरेट बनाने वाली अमेरिकी कंपनी एल्ट्रिया ने करीब 13 अरब डॉलर का निवेश ई सिगरेट की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक जूल में किया था.
तंबाकू की चिंता नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उपभोक्ता है. तंबाकू के कारण सालाना यहां 900,000 लोगों की जान जाती है. 15 साल के ऊपर वाले देश के 35 फीसदी लोग तंबाकू चबाते हैं, जो कि सिगरेट से भी ज्यादा कैंसर का कारण बनता है.
तंबाकू उगाने में भी आगे
भारत दुनिया में तंबाकू उगाने वाला तीसरे नंबर पर है. तंबाकू की खेती करने वाले किसानों को राजनीतिक दलों के लिए जरूरी वोट बैंक के रूप में देखा जाता है. भारत इसका बड़ा निर्यातक भी है और आईटीसी जैसी तंबाकू कंपनियों में सरकारी निवेश भी है.