ईरान की मिसाइल क्षमताओं से खतरा क्यों है?
१६ अप्रैल २०२४हाल ही में इस्राएल पर ईरान के हमले में घरेलू स्तर पर बने ड्रोन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विशेषज्ञों का कहना है कि 2,000 किलोमीटर की रेंज वाले ड्रोनों का लक्ष्य सैकड़ों ठिकानों को खत्म करना था.
इस्राएली सेना के अनुसार, बीते रविवार तड़के सुबह हुए हमले के दौरान ईरान ने इस्राएली ठिकानों पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया. इस्राएली सेना ने बताया कि इस्राएल और उसके सहयोगी ईरान की ओर से दागे गए ड्रोन और मिसाइलों में से 99% को रोकने में कामयाब रहे. इस्राएल के सहयोगियों में अमेरिका, ब्रिटेन के अलावा कुछ अरब देश भी शामिल थे.
ईरान की सैन्य क्षमता के विशेषज्ञ फाबियान हिंज ने कहा, "यह हमला इस्राएली रक्षा प्रणालियों को कमजोर करने का एक प्रयास था.”
ब्रिटेन के थिंक-टैंक इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) में ड्रोन और मिसाइल सिस्टम के विशेषज्ञ हिंज ने डीडब्ल्यू को बताया कि ईरान का हमला प्रतीकात्मक बल-प्रदर्शन से कहीं ज्यादा था. उन्होंने कहा, "ईरान, इस्राएली लक्ष्यों पर हमला करना और, उन्हें नष्ट करना चाहता था. लेकिन ऐसा हो नहीं सका. इस्राएली और अमेरिकी रक्षा प्रणालियों के अवरोध की दर काफी ऊंची थी.”
ईरान: "हमारा उद्देश्य केवल बल-प्रदर्शन था”
दूसरी ओर, ईरान का दावा है कि उसने इस्राएल के खिलाफ एक सफल जवाबी कार्रवाई की है. एक अप्रैल को सीरिया के दमिश्क में ईरानी कॉन्सुलेट हुए हमले का आरोप ईरान ने इस्राएल पर लगाया है. इस हमले में ईरान के दो जनरलों की मौत हुई थी. ईरान की सरकारी मीडिया में छपे विशेषज्ञों के बयानों में कहा जा राह है कि यह हमला ईरानी शक्ति का "प्रयोग" नहीं बल्कि महज एक "प्रदर्शन" था.
आस पास के देश और अमेरिका को इस हमले की भनक पहले ही लग गई थी लेकिन ईरान ने कहा है कि वो इस्राएल की रक्षा प्रणाली पर भारी पड़ने में सक्षम है. हालांकि, हिंज का मानना है कि इस्राएली लक्ष्यों को ध्वस्त करने में विफलता ईरान के ड्रोन और मिसाइल प्रणालियों के प्रतिरक्षात्मक प्रभाव पर सवाल उठा सकती है.
उन्होंने कहा, "ईरान के लिए, उसकी अपनी प्रतिरक्षात्मक शक्ति इन प्रणालियों और ऐसे हमले करने की क्षमता पर निर्भर करती है.”
रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स से जुड़े ईरान के अर्धसरकारी तस्नीम न्यूज के अनुसार, हमले में ईरान ने ड्रोन "शाहेद-136" का इस्तेमाल किया जिन्हें कामीकेज ड्रोन भी कहा जाता है.
वे हल्के, छोटे और सस्ते होते हैं और रडार से उनका पता नहीं लग पाता. वे लगभग 50 किलोग्राम का एक साधारण हथियार लेकर उड़ सकते हैं और अपनी रेंज से इस्राएल के अंदर तक भी पहुंच सकते हैं.
ईरानी ड्रोन का बढ़ता खतरा
पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान ने पिछले 30 वर्षों में अपनी ड्रोन तकनीक को विकसित करने के लिए लगातार काम किया है. आज, तेहरान के पास ड्रोन का एक बड़ा जखीरा है.
न्यूयॉर्क में कार्नेगी काउंसिल फॉर एथिक्स इन इंटरनेशनल अफेयर्स के ड्रोन और सुरक्षा तकनीक विशेषज्ञ आर्थर हॉलैंड मिशेल ने डीडब्ल्यू को बताया कि ईरान ने इस तकनीक को बहुत पहले ही विकसित करना शुरू कर दिया था और 1980 के दशक से वह ड्रोन का उत्पादन कर रहा है.
"मिसाइलों की तुलना में, ड्रोन को अत्यधिक विकसित पुर्जों की जरूरत नहीं होती है. उन्हें बहुत महंगी मिसाइल प्रणाली की आवश्यकता भी नहीं होती है. ड्रोन के लिए जरूरी तकनीक किसी भी प्रतिबंध या व्यापार प्रतिबंध के तहत नहीं है आती है. उदाहरण के लिए, आप प्लेन के जिन विंग्स का अपने छोटे-मोटे खिलौने को उड़ाने में इस्तेमाल करते हैं, वैसी ही आप ड्रोन में भी कर सकते हैं.”
तकनीकी विकास के कारण, हाल के वर्षों में ईरानी ड्रोन से खतरा काफी बढ़ गया है. मिशेल ने बताया कि ईरान बड़ी संख्या में सटीक निशाने वाले ड्रोन का उत्पादन कर रहा है. हालांकि, हर हमले से यह भी समझ आ रहा है कि बेहतर सुरक्षा प्रणाली कैसे बनाई जाए.
मिशेल ने कहा, "प्रत्येक हमले के साथ, ईरान ये बता देता है कि हमें अपनी रक्षा प्रणाली पर कितना काम करना होगा. खासतौर से इस्राएल और अमेरिका के मामले में.”
इस्राएल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पीटर लर्नर ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि ईरानी हमले के खिलाफ सफल रक्षा सिस्टम के बावजूद, इस्राएल को "आगे आने वाले और भी बड़े खतरों” के लिए तैयार रहना चाहिए.
ईरान हवाई हमलों के लिए छोटी और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों पर निर्भर है. आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन (एसीए) के अनुसार, लंबी दूरी की "शहाब-2" और "शहाब-3" मिसाइलों की रेंज 2,000 किलोमीटर (1,200 मील) से ज्यादा है.
हिंज ने कहा, "ईरानियों के पास लंबी दूरी के साथ-साथ बहुत सटीकता वाली मिसाइलें हैं. दुनिया में ऐसे देश कम ही हैं जिनके पास ये है.
उन्होंने कहा, "साथ ही, निश्चित रूप से, उनकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब सैन्य प्रौद्योगिकी की बात आती है तो उनके सैन्य प्रतिद्वंद्वी, अमेरिका और इस्राएल, दोनों के पास दुनिया में सैन्य तकनीक में अगुआ हैं."
हिंज का मानना है कि ईरानी हमले के नतीजे में अमेरिका और इस्राएल को तेहरान की युद्ध क्षमता के बारे में नई जानकारी मिली होगी. उन्होंने कहा, "अमेरिका और इस्राएल काफी सारा डेटा इकट्ठा कर सकते हैं, जो ईरान अपनी मिसाइलें लॉन्च करने के बाद नहीं कर सकता.”