ईशनिंदा कांड में बच्ची को जमानत
७ सितम्बर २०१२मामला सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कड़ी आलोचना हुई थी. लड़की की रिहाई का आदेश जज मोहम्मद आजम ने सुनाया. लड़की का नाम रिम्शा मसीह है और उसे इसी महीने की 16 तारीख को कुरान की आयतों वाले पन्ने जलाने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था.
14 साल की रिम्शा को पड़ोसियों की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था. रिम्शा के पड़ोसियों ने उस पर आरोप लगाया था कि उसने कुरान की आयत वाले पन्ने जलाए हैं. तीन सप्ताह तक हिरासत में रही रिम्शा की जमानत याचिका पर सुनवाई को इससे पहले टाल दिया गया था. रिम्शा के वकील ताहिर नवीद ने उसे जमानत दिए जाने पर खुशी जताई है.
पाकिस्तान की मीडिया के मुताबिक लड़की को जमानत 5 लाख रुपये के मुचलके पर दी गई है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जज का कहना था कि एक तो लड़की नाबालिग है और दूसरा पुलिस ने एफआईआर में ये नहीं कहा है कि लड़की ने कुरान का अपमान किया है.
इस मामले में एक बड़ा मोड़ तब आया जब पुलिस ने इसी सिलसिले में एक मौलवी को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया. माना जाता है कि मौलवी खालिद चिश्ती ने जानबूझकर लड़की को फंसाने के लिए जले हुए कागजों के बीच कुरान के पन्ने रखे थे. हालांकि चिश्ती ने इन आरोपों से इंकार किया है. लोगों का कहना है कि खुद चिश्ती ने ईसाई समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लिए कुरान का अपमान किया.
मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी ने भी कोर्ट को बताया था कि मौलवी ने सबूतों से छेड़छाड़ की है. उधर, आरोपियों के वकील का कहना है कि लड़की को जमानत अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर दी गई है. पाकिस्तान के कई धार्मिक नेताओं ने इस मामले में सरकार के रवैये की आलोचना की थी. पाकिस्तान में ईशनिंदा की सजा मौत है. लोग इस कानून में सुधार की भी मांग कर रहे हैं.
पाकिस्तान उलेमा काउंसिल का कहना है कि ये केस पाकिस्तान सरकार की मंशा की जांच करने के लिए काफी है. उलेमा काउंसिल की मांग है कि पाकिस्तान सरकार इस बात को सुनिश्चित करे कि ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग न हो.
वीडी/एनआर (डीपीए,एएफपी)