एक फीसदी लोगों ने बनाई 82 फीसदी संपत्ति
ऑक्सफैम ने साल 2017 की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अरबपतियों और बाकी दुनिया के बीच आय असमानता की खाई गहरी होती जा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कैसे एक तबका संपत्ति जोड़ कर समृद्ध हो रहा है वहीं एक तबका जस का तस है.
दुनिया के एक फीसदी अमीर
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के एक फीसदी अमीरों ने साल 2017 के दौरान अपनी संपत्ति में 762 अरब डॉलर का इजाफा किया है. संस्था मुताबिक यह धन गरीबी समाप्त करने के लिए जितने धन की आवश्यकता है उससे सात गुना अधिक है.
82 फीसदी दौलत कुछ हाथों में
स्टडी के मुताबिक, बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था ने एक छोटे से अभिजात तबके को साल 2017 में 82 फीसदी दौलत बनाने का मौका दिया, वहीं निचले तबके के 50 फीसदी लोगों की धन-संपत्ति या समृद्धि में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई.
तेजी से बढ़ रहे हैं अरबपति
रिपोर्ट "रिवार्ड वर्क, नॉट वेल्थ" में ऑक्सफैम कहता है कि साल 2017 में अरबपतियों की संख्या में ऐतिहासिक तेजी दर्ज की गई. हालांकि अरबपतियों के इस उभार ने उस मान्यता को भी चुनौती दी है जहां अरबपति बनने के लिए प्रतिभा, मेहनत, लगन को अहम माना जाता था.
कैसे बनाते हैं अमीर संपत्ति
संस्था के मुताबिक ऐसे सबूत मिलते हैं जो साफ कहते हैं कि अमीर लोगों को ये संपत्ति विरासत में मिलती है या कभी सरकारों के साथ अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर इसमें इजाफा किया जाता है. संस्था इसे समृद्ध अर्थव्यवस्था का नहीं बल्कि असफल होते आर्थिक तंत्र का लक्षण मानती है.
42 लोग 3.7 अरब लोगों के बराबर
संस्था ने दुनिया भर की सरकारों से आर्थिक तंत्र के पुनर्गठन की बात कही है ताकि लाभ पूरे समाज को हो. रिपोर्ट में समझाया गया है कि कैसे दुनिया के 42 लोगो की संपत्ति, निचले तबके में आने वाले 3.7 अरब लोगों के बराबर है.
सरकारी नीतियों पर प्रभाव
आलोचनात्मक लहजे में रिपोर्ट बताती है कि कैसे श्रमिकों की कीमत पर शेयरधारकों और कॉरपोरेट अधिकारियों को रिवॉर्ड दिए जाते हैं, साथ ही कैसे अमीर वर्ग, सरकारी नीतियों पर प्रभाव डालने लगता है.
कम पैसे में खतरनाक काम
संस्था के मुताबिक इस बीच दुनिया में अरबों लोग ऐसे भी हैं जो कम पैसे में ज्यादा काम और खतरनाक स्थितियों में काम करने के लिए मजबूर हैं. वहीं कुछ लोग अपनी बुनियादी जरूरतों मसलन भोजन, दवा भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं.
महिलाओं की स्थिति
रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को पुरूषों के मुकाबले कम पैसे तो मिलते ही हैं, साथ ही उनके पास किसी भी प्रकार की सुरक्षा नहीं है. टैक्स हैवन पर संस्था नए नियमों की वकालत करती है. साथ ही कहा गया है कि कंपनियों के कारोबारी मॉडल निष्पक्ष होने चाहिए ताकि कामकाजी तबके के वेतन भत्ते सुनिश्चित किए जा सकें.
कितने लोग थे शामिल
इस रिपोर्ट में 10 देशों के 70 हजार लोगों से बातचीत की गई. इसमें से तीन-चौथाई लोगों ने अमीर और गरीब लोगों के बीच बढ़ रहे अंतर को पूरी तरह स्वीकार किया. वहीं करीब दो-तिहाई लोगों ने माना था कि इस मुद्दे पर जल्द से जल्द बात किए जाने की जरूरत है.