एवरेस्ट की ढलान पर बिछड़ी जिंदगियां
माउंट एवरेस्ट की चोटी को छूने का ख्वाब कई लोगों को होता है. लेकिन कुछ पर्वतारोही वहां से कभी नहीं लौट पाते. एक नजर एवरेस्ट पर होने वाले दर्दनाक हादसों पर.
जो वहीं रह गए
हिमालयन डाटाबेस नाम का एनजीओ हिमालय की चोटियों का डाटा जमा करता है. बीते 70 साल में 280 से ज्यादा पर्वतारोही इस की ढलानों पर मारे जा चुके हैं.
कौन सा रूट
एवरेस्ट पर चढ़ने के दो रास्ते हैं. नॉर्थ रूट और साउथ रूट. नॉर्थ रूट तिब्बत से होकर जाता है. साउथ रूट नेपाल से होकर गुजरता है. ज्यादातर पर्वतारोही साउथ रूट का इस्तेमाल करते हैं.
मौत की वजहें
एवरेस्ट मिशन के दौरान सबसे ज्यादा पर्वतारोही कड़ाके की ठंड से होती है. बर्फीली जगहों पर भयंकर सर्दी के चलते हाथ और पैरों के ऊतक मरने लगते हैं. मांस काला पड़ जाता है और गलने लगता है. हिमस्खलन और दरारों में गिरकर भी पर्वतारोहियों की मौत होती है.
मौत के पीछे मौत
मारे गए पर्वतारोहियों के शवों ने नीचे लाने के चक्कर में कई नेपाली भी मारे जा चुके हैं. मृतक के परिवारजन शव नीचे लाने के बदले काफी पैसा देते हैं. लेकिन शवों को बांध कर नीचे लाना बेहद जोखिम भरा होता है.