एशिया प्रशांत बैठक में भारत और चीन आमने सामने
२२ मई २०१७क्षेत्रीय व्यापर आर्थिक भागीदारी आरसीईपी के बनने से 3.5 अरब आबादी वाला मुक्त व्यापार क्षेत्र बनेगा जिसमें आसियान के देशों के अलावा चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल होंगे. आरसीईपी के लिए वार्ताएं 2012 में शुरू हुई थी और अमेरिका द्वारा ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप समझौते को छोड़े जाने के बाद इसमें तेजी आई है. इसका मुख्य फोकस शुल्क घटाने पर है जिसको लेकर भारत ज्यादा चिंतित है.
एशिया प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रस्तावित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते में सोमवार को हुई बातचीत में भारत और चीन के आर्थिक हितों पर आपसी मतभेद उभर कर सामने आ गए.बैठक के दौरान चीन ने कहा कि समझौते को जल्दी से जल्दी लागू करने के लिए आवश्यक है कि इसपर वार्ता प्रक्रिया को इस वर्ष के अंत तक पूरा कर लिया जाए. भारत ने इसका विरोध करते हुए तर्क दिया कि समझौते में सीमा शुल्क जैसे मामले शामिल हैं और इन पर जल्दबाजी में फैसला नहीं होना चाहिए.
बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया. भारत का मानना है कि सीमा शुल्क से संबंधित मुद्दों पर नरमी बरतने से भारतीय बाजार को नुकसान होगा और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी नहीं रहेंगे. भारत इस मुद्दे पर कोई ढील देने के लिए तैयार नहीं है.
एमजे/एके (रॉयटर्स, वार्ता)