कश्मीर पर मनमोहन के बयान से बवाल
११ अगस्त २०१०बीजेपी ने कश्मीर में शांति के प्रधानमंत्री के फॉर्मूले पर सवाल खड़े कर दिए. बीजेपी का कहना है कि इससे कश्मीर को भारत में मिला कर रखने की नीति धराशायी हो जाएगी. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "हम कश्मीर को आजादी देने के पक्ष में नहीं हैं. हम उसे भारत से अलग करने के पक्ष में नहीं हैं. क्या आपको लगता है कि स्वायत्तता एक सही दिशा में उठाया गया कदम है." उन्होंने प्रधानमंत्री से इस मामले पर सफाई मांगी है.
बीजेपी ने मनमोहन सिंह के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उनसे कहा कि वह बताएं कि स्वायत्तता का मतलब क्या है. वह किस स्वायत्तता की बात कर रहे हैं. मंगलवार को कश्मीर के मुद्दे पर हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था, "अगर सभी पार्टियों में कश्मीर को स्वायत्तता देने पर सहमति बन जाती है, तो संविधान के दायरे में रहते हुए इस पर विचार किया जा सकता है."
बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने भी इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, "भारतीय संविधान में भारत की संप्रभुता और कश्मीर को भारत से अलग किए जाने के अलावा जिस मुद्दे पर भी बात की जाए, हम तैयार हैं."
बीजेपी चाहती है कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर गंभीरता और विस्तार से सभी पार्टियों के बीच चर्चा करें. हालांकि प्रधानमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि वह सभी पार्टियों से बात करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों को भी शांति से रहने का अधिकार है और इस मुद्दे का सिर्फ राजनीतिक समाधान ही निकाला जा सकता है. मनमोहन सिंह का कहना है, "हम सभी संविधान के नौकर हैं. जम्मू कश्मीर में अलग अलग जगह अलग अलग विचारधाराएं हैं. मैं और मेरे मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगी इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहते हैं."
इस बीच, घाटी के अलगाववादी नेताओं ने भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान पर एतराज जताया है. चरमपंथी से अलगाववादी नेता बने जावेद मीर का कहना है, "हम पूरी स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं. स्वायत्तता की नहीं. हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करते हुए अपनी मांग जारी रखेंगे."
घाटी के दूसरे अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारुक़ का कहना है, "हम किसी स्वायत्तता के लिए संघर्ष नहीं कर रहे हैं. हमारे पास आत्मनिर्णय का अधिकार है."
कश्मीर की विधानसभा ने करीब 10 साल पहले स्वायत्तता को लेकर एक बिल पास किया था, जिसे उस वक्त की बीजेपी शासित केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया था. कश्मीर की नेशनल कांफ्रेंस की भी मुख्य मांग स्वायत्तता ही है, स्वतंत्रता नहीं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः आभा एम