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समाज

औरतों की हंसी से गुलजार हुए काबुल के बाग

१८ नवम्बर २०१९

काबुल में महिलाओं को गाते या हंसते देखना बहुत दुर्लभ है. चार दशकों के जंग की छाया लोगों के चेहरों पर साफ दिखाई देती है. केवल बुधवार को यह नजारा बदल जाता है.

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Afghanistan Parkanlage für Frauen in Kabul
फाइलतस्वीर: Getty Images/AFP/F. Wahidy

हाल के वर्षों में काबुल के आधे दर्जन से ज्यादा पार्कों और बागों की मरम्मत कर उन्हें बेहतर बनाया गया है. इस बात का खासतौर से ध्यान रखा गया है कि यहां महिलाओं के लिए आना सुरक्षित और आसान रहे. हर बुधवार सैकड़ों की तादाद में महिलाएं यहां पहुंचती हैं. हाईस्कूल की छात्रा सलमा मोहम्मदी अपनी क्लास छोड़ कर चिहिलिसितून गार्डेन में आई हैं. वह बताती हैं, "काबुल में ऐसी बहुत कम सार्वजनिक जगहें हैं जहां महिलाओं से दुर्व्यवहार नहीं होता, इसलिए हम इस गार्डेन में आते हैं." इस गार्डन में बुधवार को केवल महिलाओं को ही आने की अनुमति है.

दोस्तों के साथ हरे भरे मैदान पर भाग भाग कर खेलती सलमा ने कहा, "काबुल में सुरक्षा के हालात अच्छे नहीं हैं और ज्यादातर जगहें सुरक्षित नहीं हैं लेकिन यहां शांति और सुरक्षा है, हम यहां अपने तरीके से रह सकते हैं." यूएन हैबिटेट का अफगानिस्तान अर्बन पीसबिल्डिंग प्रोग्राम अफगानिस्तान के आठ शहरों के समुदायों और प्रशासन के साथ काम कर रहा है. प्रोग्राम से जुड़ी फ्रोजान अब्दुल्लाह के मुताबिक काबुल का 75 फीसदी से ज्यादा इलाका अनियोजित तरीके से बसाया गया है. ऐसे में सार्वजनिक जगहें बहुत कम ही हैं, उनमें भी महिलाओं के लिए सुरक्षित जगहें तो बेहद कम हैं. 

Afghanistan Parkanlage für Frauen in Kabul
फाइल तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Berry

यह एजेंसी कुछ इलाकों में पार्कों की मरम्मत करवा रही है ताकि अनियोजित बस्तियों को बेहतर बनाया जा सके. इसी एजेंसी ने काबुल के 60 सार्वजनिक जगहों का लेखा जोखा भी लिया है. इसकी रिपोर्ट अगले साल आएगी. इसमें बताया गया है कि सार्वजनिक जगहों पर यहां के निवासी कितना सुरक्षित महसूस करते हैं. इसके अलावा बेंच, रोशनी, टॉयलेट और सुरक्षा गार्डों की मौजूदगी के हिसाब से यह बताया जाएगा कि ये महिलाओं के लिए कितने सुरक्षित हैं.

फ्रोजान कहती हैं, "दशकों की जंग के कारण तनाव, डर के अलावा दूसरी शारीरिक और मानसिक समस्याएं खासतौर से महिलाओं में भर गई हैं क्योंकि वो ज्यादातर घरों में ही रहती हैं. अलग शौचालय और पर्याप्त रोशनी जैसी सुविधा नहीं होने के कारण अकसर उन्हें उत्पीड़न भी सहना पड़ता है."

जख्म भरने की कवायद

1980 के दशक में सोवियत कब्जे से शुरू हुई अफगानिस्तान की जंग तालिबान के साथ घरेलू युद्ध तक में हिंसा के 40 साल देख चुकी है. हिंदूकुश के पहाड़ों की संकरी घाटियों में बसे  काबुल शहर का ज्यादातर हिस्सा इस जंग की भेंट चढ़ चुका है. 2001 में तालिबान की सत्ता के पतन के बाद शहर का पुनर्निर्माण तो सरकार की प्राथमिकता में है ही इसके साथ यहां के मशहूर बागों को जिंदा करने की कोशिश की जा रही है. ना सिर्फ शहर में हरियाली बढ़ाने के लिए बल्कि यहां के लोगों में घर बना चुके डर को खत्म करने के लिए भी. 

चिहिलसितून गार्डेन में महिलाएं बेंच पर बैठती हैं, किताब पढ़ती हैं, परिवार यहां दोपहर के खाने पर पिकनिक के लिए आते हैं. पास ही लड़कियों का एक झुंड तेज आवाज में गीत गाते और सेल्फी लेता नजर आता है.

12.5 हेक्टेयर में फैला यह पार्क काबुल का सबसे बड़ा ऐतिहासिक गार्डेन है जिसे 1970 और 1980 के दशक में भारी नुकसान पहुंचा. लंबे समय तक यह बदहाली में ही रहा फिर आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर ने नगर प्रशासन के साथ करार कर इसे सुधारने का बीड़ा उठाया.

Afghanistan Parkanlage für Frauen in Kabul
फाइल तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Berry

इसके बाद ट्रस्ट ने 16वीं सदी के बाग ए बाबर को निखारा. मुगल शासक बाबर को इसी बाग में दफनाया गया है. 11 हेक्टेयर में फैले इस बाग में हर साल लाखों लोग आते हैं. चिहिलसितून गार्डेन की मरम्मत का काम पिछले साल पूरा हुआ. इसमें आसपास के इलाकों को भी बेहतर बनाया गया है जिसमें एक व्यस्त बाजार भी शामिल है. आगा खां ट्रस्ट के जेनरल मैनेजर लुईस मोनरियल कहते हैं, "ये पार्क और बाग जरूरी जगहें हैं. जंग से तबाह समाज में यह बाग इंसानों के मन में भरे जख्मों को भर सकते हैं. इसके साथ ही वे शहरी ताने बाने का भी जरूरी हिस्सा हैं."

बाजार और सिनेमा

तालिबान के शासन में यहां संगीत, सिनेमा पर पाबंदी लग गई थी. शिक्षा और वोटिंग के साथ ही ज्यादातर काम भी महिलाओं के हाथों से छिन गया. महिलाओं को बिना किसी पुरुष को साथ लिए घर से बाहर जाने की अनुमति भी नहीं थी. तालिबान का शासन खत्म होने के बाद भी महिलाएं अकेले पार्क में जाने से हिचकिचाती हैं. इसके साथ ही एक वजह पर्याप्त सुविधाओं की कमी भी है.

हाल के वर्षों में सरकार और नागरिक समुदाय की तरफ से भरपूर कोशिश हो रही है कि महिलाओं के लिए सार्वजनिक जगहों को बढ़ाया जाए. यहां बाग ए जनाना में केवल महिलाएं ही जा सकती हैं. इसके पास ही केवल महिलाओं के लिए एक बाजार भी है. इसी साल की शुरुआत में यहां के एक स्थानीय सिनेमाघर ने महिलाओं के लिए खास शो भी शुरू किया है. काबुल के मेयर अहमद जकी सरफराज का कहना है कि इस तरह के कदमों से शहर में लोगों की भागीदारी बढ़ती है. सरफराज ने कहा, "महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा बेहद जरूरी है और हमारी योजना काबुल का विकास लैंगिक आधार पर करने की है."

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

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