किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा है ब्रिटेन का चुनाव
ब्रिटेन में 12 दिसंबर को आम चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव को दशक के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव के रूप में देखा जा रहा है. बोरिस जॉनसन जहां बहुमत पाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं विरोधी उन्हें रोकने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.
सबसे ऊपर ब्रेक्जिट का मुद्दा
सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी के नेताओं का साफ संदेश है, 'ब्रेक्जिट को पूरा करना.' उन्होंने वादा किया है कि ब्रिटेन 31 जनवरी को यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा. वहीं लेबर पार्टी ब्रेक्जिट समझौते के लिए बातचीत करना और फिर से जनमत संग्रह कराना चाहता है. लिबरल डेमोक्रेट पार्टी कहती है कि वह ब्रेक्जिट को पूरी तरह रद्द कर देगी.
स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश
नेशनल हेल्थ सर्विस, एनएचएस की स्थापना 1948 में की गई थी. इसका उद्देश्य ब्रिटेन के सभी लोगों के लिए मुफ्त में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाना था. लेबर पार्टी इस सर्विस पर खर्च में 4.3 प्रतिशत वृद्धि करने का वादा कर रही है. लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने बोरिस जॉनसन पर इस सर्विस को अमेरिका को 'बेचने के लिए' रखने का आरोप लगाया है. कंजरवेटिव पार्टी ने इस आरोप को पूरी तरह खारिज किया है.
अर्थव्यवस्था
केवल जो स्विंसन की पार्टी लिबरल डेमोक्रेट्स के ही आर्थिक घोषणापत्र को ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट फॉर फिस्कल स्टडीज ने सही माना है. एकलौती यही पार्टी है जो मामूली कर वृद्धि और खर्च को बढ़ाने का वादा रही है. कंजरवेटिव पार्टी करों में कटौती करते हुए सार्वजनिक सेवाओं में निवेश करना चाहती है. लेबर पार्टी ने "अर्थव्यवस्था के नियमों को फिर से तय करने" का वादा किया है ताकि यह सबके लिए फायदेमंद हो.
अपराध की सजा भी एक मुद्दा
चुनाव में अपराध और सजा कभी बड़ा मुद्दा नहीं बन पाते थे लेकिन इस नवंबर महीने के अंत में लंदन ब्रिज पर हुआ हमला इस मामले को केंद्र में ले आया है. पिछली लेबर पार्टी की सरकार के पेश किए गए एक कानून के तहत अपराधी को आधी सजा पूरी करने के बाद रिहा कर दिया गया था. हालांकि जॉनसन ने इस कानून को रोककर सजा का कठोर बनाने का आह्वान किया है.
कार्बन उत्सर्जन
ग्रीन पार्टी की नेता कैरोलीन लूकस अपने पार्टी की एकमात्र सांसद हैं. पार्टी 2030 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना चाहती है. वहीं कंजरवेटिव पार्टी ने 2050 तक कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य बनाया है. लीब डेम्स ने इसके लिए 2045 का लक्ष्य रखा है तो लेबर पार्टी 2030 के दशक के मध्य तक इसे पूरा करना चाहती है.
स्कॉटलैंड
2014 में स्कॉटलैंड की आजादी के लिए हुआ जनमत संग्रह एक अभूतपूर्व परिस्थिति थी. लेकिन अब चीजें बदल गई है. ब्रिटिश संघ को तोड़ने के खिलाफ प्रमुख तर्क यह था कि इससे स्कॉटलैंड यूरोपीय यूनियन से बाहर हो जाएगा. ब्रेक्जिट ने वह सब बदल दिया है. स्कॉटलैंड में अधिकांश मतदाता यूरोपीय यूनियन में बने रहना चाहते थे, और अब उन्हें लगता है कि उनकी मर्जी के खिलाफ उन्हें ईयू से निकाला जा रहा है. (रिचर्ड कॉनर/आरआर)