किलोमीटर में क्यों नहीं नापी जाती है तारों की दूरी?
३ मई २०१९सौर मंडल में मील और किलोमीटर में दूरियां मापी जा सकती हैं. लेकिन पिछले सालों में हम अंतरिक्ष यानों की मदद से सौरमंडल के कोनों में जाने में सफल रहे हैं. यहां तक कि दूसरे ग्रहों पर इंसान को भी भेजने में सफल हुए हैं. मसलन 4,00,000 किलोमीटर दूर चांद पर.
शनि से तुलना की जाए तो चंद्रमा तो हमारा करीबी पड़ोसी है. शनि की दूरी पृथ्वी से 1.5 अरब किलोमीटर है. यदि हम करीबी तारामंडल में जाना चाहते हैं तो हमें करीब 40 अरब किलोमीटर से ज्यादा लंबा का सफर करना होगा.
प्रकाश वर्ष की जरूरत
प्रकाश को इतनी दूरी को तय करने में 4 साल लगेंगे. प्रकाश अंतरिक्ष में हमेशा समान गति से चलता है इसलिए दूरी की व्याख्या करने या उसे तय के लिए अंतरिक्षयात्री इसी का इस्तेमाल करते हैं.
दूरी तय करने के लिए वे तथाकथित पैरालैक्स मेथड का इस्तेमाल करते हैं. इसमें वे किसी खास तारे के कोण को मापते हैं. आधे साल बाद वे उस कोण को फिर से मापते हैं. उसके बाद त्रिकोणमिति की मदद से वे सितारों के बीच की दूरी माप सकते हैं. लेकिन ये तरीका सिर्फ हमारे करीबी इलाके में काम करता है. 150 प्रकाश वर्ष की दूरी तक.
यदि अंतरिक्ष विज्ञानी आकाश गंगा का आकार या पड़ोसी आकांश गंगा की दूरी मापाना चाहते हैं तो, उन्हें एक दूसरे इंच टेप की जरूरत होती है, इसे सेफाइड कहते हैं. चमकते तारों के बारे में मालूम है कि वे कितनी रोशनी छोड़ते हैं. इसलिए उन्हें स्टैंडर्ड मोमबत्ती कहते हैं.
सेफाइड से टेलिस्कोप में आने वाली रोशनी की मात्रा से अंतरिक्ष विज्ञानी दूरी की गणना कर सकते हैं. कुछ खास तरह के विस्फोट करने वाले सितारों को चमकती स्टैंडर्ड मोमबत्ती कहा जाता है.
रोशनी के इन उद्गमों को हबल टेलिस्कोप ब्रह्मांड के दिखने वाले हिस्से तक माप सकता है. इस तस्वीर में हमसे 13 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाश गंगा दिखती है. अंतरिक्ष की अब तक की सबसे दूर की तस्वीर.
रिपोर्ट: कॉर्नेलिया बोरमन/एमजे
(ब्रह्मांड में अजूबों की भरमार)