किस काम आएगा 'रिसैट-2बी' अर्थ सैटेलाइट
२२ मई २०१९भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि देश का नया निगरानी उपग्रह अच्छी व स्पष्ट तस्वीरें भेजेगा जिनका उपयोग कृषि, वन विभाग और आपदा प्रबंधन में सहयोग में किया जा सकेगा. उपग्रह से ली गई तस्वीरों का उपयोग खुफिया निगरानी के लिए भी किया जाएगा, हालांकि इसरो इस मुद्दे पर शांत है.
इसरो के चेयरमैन के सिवान ने लांच के बाद कहा, "मैं यह घोषणा करते हुए बहुत खुश हूं कि पीएसएलवी-सी46 ने आरआईएसएटी-2बी को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है." उन्होंने कहा कि इस मिशन के साथ उड़ान भरने के साथ ही पीएसएलवी रॉकेट ने 50 टन वजन की सीमा को पार कर दिया है.
सिवान के अनुसार, पीएसएलवी रॉकेट ने कक्षा में 350 उपग्रह स्थापित कर दिए हैं. सिवान ने कहा, "रॉकेट में पिगी बैक पेलोड, स्वदेश में विकसित विक्रम कंप्यूटर चिप थे जो भविष्य के रॉकेट में उपयोग किए जाएंगे." उन्होंने बताया कि प्रमुख मिशन चंद्रयान-2 या दूसरा चंद्र मिशन होगा जो इसी साल 9 से 16 जुलाई के बीच हो सकता है.
इसके बाद एक हाई रिजोल्यूशन काटरेग्राफी सैटेलाइट का लांच होगा और स्माल सैटेलाइट लांच व्हीकल (एसएसएलवी) नाम के इसरो के नए रॉकेट की भी उड़ान होगी. इस 44.4 मीटर लंबे और 190 टन वजनी पीएसएलवी रॉकेट ने बुधवार सुबह 5.30 बजे 615 किलोग्राम वजनी उपग्रह आरआईएसएटी-2बी को लेकर आकाश की तरफ उड़ान भर दी. उड़ान भरने के लगभग 15 मिनट बाद रॉकेट ने आरआईएसएटी-2बी को 555 किलोमीटर दूर कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "सामरिक क्षेत्रों के लिए उपग्रहों की मांग बढ़ गई है. लगभग छह उपग्रहों को बनाने की योजना है." आरआईएसएटी-2बी के साथ प्रक्षेपित किया गया 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी स्ट्रैप-ऑन मोटरों के बिना वाला अकेला वेरिएंट है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के पास पीएसएलवी के दो और चार स्ट्रैप-ऑन मोटर्स और बड़े पीएसएलवी-एक्सएल हैं.
आईएएनएस/आरआर
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