केवल भारी बटुए वाले यहां रहें
दुनिया में कुछ शहर तो इतने महंगे हैं जहां एक आम शहरी के लिए सामान्य लाइफस्टाइल जीना भी बहुत मुश्किल है. मर्सर की इस साल की रैंकिंग में विदेशियों के लिए सबसे महंगा शहर हांगकांग को पाया गया.
हांगकांग
पूर्व ब्रिटिश कालोनी रही हांगकांग में पर्ल नदी के पास स्थित एक ठिकाना जिसके नाम का अर्थ होता है "सुगंधित बन्दरगाह". घनी आबादी वाली यह जगह दुनिया के कुछ सबसे महत्वपूर्ण वित्तीय बाजारों में शामिल है. बैंकिंग उद्योग से जुड़े विदेशी बड़ी तादाद में यहां रहते हैं.
लुआंडा
अंगोला की राजधानी लुआंडा पिछले साल टॉप पर था. यहां रहने का खर्च इतना अधिक होने का कारण यह है कि अंगोला को जीने के लिए जरूरी लगभग सभी चीजें आयात करनी पड़ती हैं. इन चीजों की कीमत मुख्यतया प्राकृतिक गैस जैसी अंगोला से निर्यात होने वाले चीजों से निकलती है.
यूरोप के टॉपर
स्विट्जरलैंड के सबसे बड़े शहर ज्यूरिख में हांगकांग की ही तरह बैंकिंग का गढ़ और प्रमुख वित्तीय केंद्र है. लेकिन उससे बहुत कम आबादी वाला शहर यूरोप का सबसे महंगा शहर है. जो खुशकिस्मत 400,000 निवासी यहां हैं वे इस बात से भी खुश हों कि उनका शहर अच्छी क्वॉलिटी के जीवन की रैकिंग में भी बहुत ऊपर है.
येन के कारण उछाल
जापान की राजधानी टोक्यो रैंकिंग में अचानक काफी ऊपर चढ़ा. कारण है जापानी मुद्रा येन की मजबूती. एक मजबूत मुद्रा का अर्थ होता है कि विदेशियों को घर किराए पर लेने या खाने पीने पर उनकी अपनी मुद्रा यानि डॉलर, पाउंड या यूरो में जयादा रकम अदा करनी होगी. लेकिन जापान तो वैसे भी सबके लिए महंगा है.
रूबल के कारण नीचे
जैसे येन चढ़ा, वैसे ही रूबल पिछले कुछ सालों में नीचे गिरा है. इससे मॉस्को में रहने वाले विदेशियों का खर्च भी घटा. रूसी राजधानी में सस्ती मुद्रा से विदेशियों को अपने देश की मुद्राओं के बदले काफी कुछ हासिल करने का दुर्लभ अवसर मिलता है.
सबसे सस्ते
नामीबिया की राजधानी विंडहोक को 2016 की मर्सर रैंकिंग में शामिल सबसे सस्ता शहर होने का खिताब मिला. विश्व में स्थान है 209 और इसमें निवास, खाना-पीना, मनोरंजन की गतिविधियों और आवाजाही के खर्च को जोड़ कर इस रैंक पर रखे जाने का हिसाब लगाया गया है.
कहां हैं जर्मन शहर
जर्मनी के शहर ना तो बहुत महंगे हैं और ना ही बड़े सस्ते. म्यूनिख सबसे महंगा होने के साथ 77वें स्थान पर है तो वहीं फ्रैंकफर्ट 88वें और राजधानी बर्लिन 100वें. हैम्बर्ग 11 स्थान कूदते हुए 133 पर पहुंचा है. मर्सर ने पाया कि बड़े शहरों में रहने की जगहों के दाम बढ़ने के कारण ही कुल मंहगाई बढ़ी है.