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कैंसर का डाटा जुटाने वाली कंपनी का रिकॉर्ड सौदा

६ अप्रैल २०१८

कैंसर के मरीजों के ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट या टिश्यू सैंपल की रिपोर्ट, इनका इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर ही नहीं करते. रिपोर्टों का डाटा अरबों डॉलर का कारोबार है.

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USA Blutproben
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/E. Thompson

स्विट्जरलैंड की दवा निर्माता कंपनी रॉश ने अमेरिका की सबसे बड़ी डाटा कंपनी फ्लैटिरॉन हेल्थ को खरीद लिया है. फ्लैटिरॉन हेल्थ कैंसर के करोड़ों मरीजों का डाटा जमा करती है. दवा बनाने वाली स्विस कंपनी ने इस सौदे के लिए 1.9 अरब डॉलर खर्चे हैं.

सौदे की जानकारी देते हुए रॉश ने एक बयान जारी किया, "अपने फील्ड में ऑन्कोलॉजी के लीडर्स, इस अधिग्रहण से दोनों कंपनियों को डाटा की मदद से कैंसर के मामलों में पर्सनलाइज्ड हेल्थकेयर का विकास करने में मदद मिलेगी."

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न्यू यॉर्क से चलने वाली कंपनी फ्लैटिरॉन हेल्थ की स्थापना 2012 में हुई थी. नैट टर्नर और जाख वाइनबर्ग नाम के दो युवाओं ने कैंसर के रोगियों का डाटा जमा करना शुरू किया. दोनों का मकसद था कि ज्यादा से ज्यादा डाटा जमा कर कैंसर के इलाज का बेहतर तरीका खोजा जाए और जानकारी को डॉक्टरों के बड़े नेटवर्क से साझा किया जाए.

स्टार्टअप के तौर पर शुरू हुई फ्लैटिरॉन हेल्थ में गूगल वेंचर्स जैसी दिग्गज कंपनी ने भी निवेश किया. अधिग्रहण के बावजूद रॉश और फ्लैटिरॉन हेल्थ दो अलग अलग कंपनियां बनी रहेंगी. डील के तहत मरीजों के रिकॉर्ड्स को संभालकर रखा और इस्तेमाल किया जाएगा.

लेकिन ऐसे सौदे के बाद डाटा सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ जाती है. चिकित्सा क्षेत्र में डॉक्टर और मरीज के बीच एक अनकहा गोपनीयता का रिश्ता होता है. मरीज चाहे तो डॉक्टर उसकी जानकारी लीक नहीं कर सकता, लेकिन जानकारी के डाटा में बदलते ही, सूचनाएं एक बड़े बाजार का प्रोडक्ट बन रही हैं और मोटी कीमत पर उनका सौदा हो रहा है.

हाल ही में ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं जब मरीजों का डाटा लीक किया गया. समलैंगिकों की सोशल नेटवर्किंग साइट ग्रिनडर ने हाल ही में यूजर्स का एचआईवी स्टेटस थर्ड पार्टी के साथ शेयर किया. फेसबुक पर भी यूजर्स की मेडिकल हिस्ट्री तक पहुंचने की कोशिश करने के आरोप लगे. मुंबई के पास थाणे की एक लैब से भी 43,000 लोगों की संवेदनशील पैथोलॉजी लीक हुई. इनमें एचआईवी मरीजों की रिपोर्टें भी शामिल थीं.

ओएसजे/एमजे (डीपीए)