कैंसर ने इरफान खान को बदल डाला
३ अगस्त २०१८बॉलीवुड और हॉलीवुड में अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुके इरफान खान इस वक्त लंदन में अपना इलाज करा रहे हैं. 51 साल के इरफान खान बेहद गंभीर किस्म के कैंसर से लड़ रहे हैं. इसका असर उनकी सोच में दिख रहा है. 'पजल' फिल्म रिलीज होने के मौके पर समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) ने लंदन में उनसे बात की. कैंसर का पता चलने के बाद यह इरफान का पहला इंटरव्यू है.
एपी: इन दिनों आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
इरफान खान: मैं जीवन को एक बिल्कुल अलग नजरिए से देख चुका हूं. आप बैठ जाते हैं और आप दूसरे आयाम को देखते हैं और ये रोमांचक है. मैं इस सफर में घुल चुका हूं.
एपी: मीडिया में आपकी सेहत को लेकर कई तरह की अटकलें थीं और आपने सोशल मीडिया पर दरख्वास्त करते हुए कहा कि ऐसी रिपोर्टों पर यकीन न करें. लेकिन आप जिस वक्त से गुजर रहे हैं, उसके बारे में लोगों से आप क्या साझा करना चाहेंगे?
इरफान खान: जिंदगी आपके सामने कई चुनौतियां पेश करती है. लेकिन जिस तरह इस परिस्थिति ने मेरी परीक्षा ली है, शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से, उससे मुझे यह यकीन हो गया है कि जिंदगी चुनौतियां पेश करती है. अब इसने मुझे एकदम उमंग की स्थिति में पहुंचा दिया है. शुरुआत में मैं हिल गया था. मुझे कुछ पता नहीं था. मैं बहुत ही लाचार महसूस कर रहा था. लेकिन धीरे धीरे चीजों को देखने का एक और नजरिया सामने आया, ऐसा नजरिया जो बहुत ज्यादा ताकतवर, प्रोडक्टिव और सेहतमंद है. और मैं चाहता हूं कि लोग समझें कि प्रकृति ज्यादा भरोसेमंद है और हर किसी को यह भरोसा करना चाहिए. शुरुआत में हर कोई मेरे बारे में कयास लगा रहा था कि क्या मुझे ये बीमारी है या नहीं. ये मेरे हाथ में नहीं है. प्रकृति वही करेगी जो उसे करना है. मैं तो वहीं कर सकता हूं जो मेरे हाथ में है. मैं शुक्रगुजार महसूस करता हूं. नई खिड़की से जिंदगी को देखना ऐसा ही है. अगर मैंने 30 साल तक ध्यान भी किया होता तब भी मैं इस परिस्थिति में नहीं पहुंचता. लेकिन अचानक लगे इस बड़े झटके ने मुझे ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया जहां मैं चीजों को बिल्कुल ही अलग नजरिये से देखने लगा. मैं शुक्रगुजार हूं. यह सुनने में अजीब लगता है लेकिन बुरा महसूस करने के बजाए आपको प्रकृति पर भरोसा करना चाहिए और यकीन रखना चाहिए कि जो भी नतीजा आएगा वो अच्छा होगा और बेहतरी के लिए होगा.
एपी: आजकल आपकी दिनचर्या कैसी है? क्या आप स्क्रिप्ट पढ़ते हैं या काम की प्लानिंग करते हैं?
इरफान खान: नहीं. मैं कोई स्क्रिप्ट नहीं पढ़ रहा हूं. यह एक अवास्तविक अनुभव बन चुका है. मेरे दिन अप्रत्याशित होते हैं. पहले मैं सोचता था कि मेरी लाइफ ऐसी होगी या वैसी होगी, मैं कभी सोच के परे या स्वच्छंदता का अभ्यास नहीं कर पाया. ये अब हुआ है. मैं कोई योजना नहीं बना रहा हूं. मैं नाश्ता करने जाता हूं और उसके बाद का प्लान मेरे पास नहीं होता. चीजें मेरे सामने जैसे आती हैं, मैं उन्हें वैसे ही स्वीकार करता हूं. इससे मुझे काफी मदद मिल रही है. मैं योजनाएं नहीं बना रहा हूं. मैं बस स्वच्छंद हूं. मैं इस अनुभव से प्यार करने लगा हूं. मेरी जिंदगी में किसी चीज की कमी थी. मुझे लगता था कि मैं या मेरा दिमाग मुझे चलाता है. इससे मेरे भीतर एक असंगति थी. वह मुझे चिंता में डाल रही थी. और मुझे लगता है कि शायद इसी चीज की कमी थी, स्वच्छंदता की. मुझे पता है कि हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जो योजनाओं से भरी पड़ी है, ऐसी दुनिया में ये सब सच नहीं लगता. आप ऐसे अपनी जिंदगी कैसे जी सकते हैं? लेकिन जिंदगी इतनी रहस्यवादी है और इतना कुछ देती है, लेकिन हम उसे आजमाते ही नहीं. अब मैं ऐसा कर रहा हूं और मजा आ रहा है. मैं खुशकिस्मती के दौर में हूं.
एपी: आप लंदन में इलाज करा रहे हैं. क्या आप इसके बारे में कुछ शेयर करना चाहेंगे?
इरफान खान: मैं कीमो (कीमो थैरेपी) के चार चरणों से गुजर चुका हूं. मुझे कुल छह चरणों से गुजरना है और फिर स्कैनिंग होगी. तीसरे चरण के बाद का स्कैन पॉजिटिव था. लेकिन हमें छठे चरण के बाद वाला स्कैन देखना होगा. फिर देखेंगे कि आगे क्या होता है. किसी की जिंदगी की कोई गारंटी नहीं है. मेरा दिमाग हमेशा से मुझसे कह सकता था कि, "मुझे यह बीमारी है और मैं कुछ महीनों या एक-दो साल में मर सकता हूं." लेकिन मैं अपने दिमाग को पूरी तरह बंद करके, जिंदगी जो दे रही है उसके साथ भी जी सकता हूं. ये बहुत कुछ देती है. मैं स्वीकार करता हूं कि मैं आंखों में पट्टी बांधकर चल रहा था. मैं वह देख ही नहीं पाया जो जिंदगी मुझे देती है.
एपी: यानी अब आपके अनुभव में कुछ स्पष्टता है?
इरफान खान: बिल्कुल सही, और ये स्पष्टता कड़कती बिजली की तरह आई. आप अपनी अपेक्षाओं को बंद कर देते हैं, योजनाएं बनाना बंद कर देते हैं, शोरगुल को बंद कर देते हैं. आप जीवन का अलग पहलू देखते हैं. जीवन आपको बहुत कुछ देता है. इसीलिए मुझे लगता है कि मेरे पास शुक्रिया के अलावा और कोई शब्द नहीं है. कोई शब्द नहीं है, कोई मांग नहीं है, कोई प्रार्थना नहीं है.
ओएसजे/एमजे (एपी)