वुहान के लोगों को कितना भरोसा कि महामारी खत्म
२ अप्रैल २०२०वुहान में जिंदगी धीरे धीरे सामान्य होने लगी है. सरकार ने 1.1 करोड़ आबादी वाले शहर में दो महीने से चले आ रहे लॉकडाउन को हटाने का फैसला किया है. जनवरी में चीन के हुबई प्रांत की राजधानी वुहान कोरोना महामारी के केंद्र में थी. उस समय वहां से वायरस चीन के दूसरे इलाकों में तेजी से फैलने लगा था. अधिकारियों ने संक्रमण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए, वुहान को दुनिया से काट दिया गया, यातायात के सारे साधन बंद कर दिए गए, लोगों से अपने अपने घरों में रहने को कहा गया. 8 अप्रैल को लॉकडाउन आंशिक रूप से हटा लिया जाएगा, और जो लोग स्वस्थ के रूप में रजिस्टर्ड हैं उन्हें शहर से बाहर जाने की इजाजत होगी. शहर में बस और मेट्रो चलने लगे हैं.
सरकार सामान्य जनजीवन बहाल करने की कोशिश में है तो कुछ लोग सवाल पूछ रहे हैं कि उन्हीं अधिकारियों पर कैसे भरोसा करें जिन्होंने शुरू में मामले को दबाने की कोशिश की थी. रियल स्टेट कंपनी में में काम करने वाला बेन असली नाम ना बताने की शर्त पर कहते हैं कि पिछले दो महीने सन्नाटे वाले रहे हैं. इतना समय घर पर बिताने के बाद फिर से भीड़ में जाना कठिन लगता है, "मुझे दोस्तों के साथ वीकएंड में सिनेमा या थिएटर में जाना पसंद था. लेकिन जब तक कि वायरस का प्रकोप पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता मैं घर पर ही रहना चाहता हूं." बेन के कारोबार को भी नुकसान पहुंचा है. लोग शहर के खुलने के बाद भी फौरन मकान नहीं खरीदेंगे. बेन कहता है, "मुझे नहीं लगता कि जबतक महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हो जाती, लोग मकान खरीदने के मूड में होंगे."
सरकार पर संदेह
वुहान के ज्यादातर निवासी मानते हैं कि शहर को पूरी तरह बंद करने के बीजिंग के फैसले से महामारी को रोकने में मदद मिली है, लेकिन वे ये भी मानते हैं कि फैसले में देरी से दसियों हजार लोग महामारी के शिकार हो गए. मीडिया से बातचीत में अपने उपनाम का इस्तेमाल करने वाला एरिक कहते हैं, "मैं बहुत से टूटे परिवारों की चीखें नहीं भूल सकता, और यह कि सरकार ने कैसे शुरू में लोगों के अधिकारों को नजरअंदाज किया." अपने परिवार के साथ वुहान में रहने वाले एरिक पेशे से इंजीनियर हैं. वे कहते हैं कि लॉकडाउन ने उनकी जिंदगी बदल दी है. वे कहते हैं, "पहले मैं परिवार के साथ पार्क में टहलने या वर्कआउट करने जाता था, लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ फोन और टेलिविजन देखने के अलावा कोई चारा नहीं था."
बेन का कहना है कि अधिकारियों ने लॉकडाउन की तैयारी नहीं की. इसलिए उसके लागू होने के साथ ही शहर अव्यवस्था का शिकार हो गया. "हालांकि महामारी के फैलने को रोकने के लिए लॉकडाउन जरूरी कदम था, लेकिन केंद्र सरकार ने लोगों की जरूरतों को पूरी करने की व्यवस्था नहीं बनाई., जिससे वे खुद अपनी मदद पर निर्भर थे." शुरुआती बदहवासी के बाद संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए कई अस्थायी अस्पताल बनाए गए और दूसरे प्रांतों से डॉक्टरों को भी तैनात किया गया. सरकार ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सामुदायिक उपाय किए. एरिक बताते हैं, "उन्होंने वालंटियरों और स्थानीय कर्मचारियों की मदद ली जो लोगों के लिए दवाएं और खाने पीने का सामान खरीदते थे. उन्होंने बंदी के दिनों में हमें जिंदा रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई."
भरोसे का सवाल
चीन सरकार कोविड-19 के मामलों में लगातार कमी का दावा कर रही है, लेकिन वुहान के लोग सरकार की विश्वसनीयता और संकट से निबटने की क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं. मार्च के शुरू से कम्युनिस्ट सरकार कोरोना पर विजय का प्रचार कर रही है. पर वुहान के लोगों के लिए ये जानना ज्यादा जरूरी है कि महामारी फैली कैसे. रियल स्टेट मैनेजर बेन कहते हैं, "मैं कोरोना पर सरकार की भारी जीत के बारे में कुछ नहीं जानना चाहता, क्योंकि मेरा मानना है कि अब उन गलतियों पर विचार होना चाहिए जो दो ढाई महीनों में की गई है. इसके अलावा महामारी के फैसले का कारण पता कर उसे रोकने का बेहतर तरीका ईजाद होना चाहिए. "
पिछले कुछ दिनों में चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने जो आंकड़े रिलीज किए हैं, उनके अनुसार हुबई प्रांत में कोविड-19 का कोई नया मामला सामने नहीं आया है. लेकिन स्थानीय लोग उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं. एरिक का कहना है कि शुरू में बहुत से लोगों का टेस्ट नहीं किया गया और बाद में उनकी मौत हो गई. उनके नाम आंकड़े में शामिल नहीं हैं. एरिक का कहना है, "हमारा मानना है कि हुबई प्रांत ने नए मामले की रिपोर्ट इसलिए नहीं की है कि सरकार को कारोबार शुरू करने के फैसले को सही ठहराना है. वुहान से अभी भी लोगों के पॉजिटिव टेस्ट होने की रिपोर्ट आ रही है. इसीलिए हमें सरकारी आंकड़े पर भरोसा नहीं होता." बेन का कहना है कि सरकारी आंकड़े सरकार की ईमानदारी पर निर्भर हैं, लेकिन लोगों को महमारी के जोखिमों से बचने के लिए भरोसेमंद जानकारी चाहिए.
रिपोर्ट: विलियम यांग
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