कोरोना वायरस का फायदा उठा रहे हैं आतंकी संगठन
४ मई २०२०2016 में इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर आईएस का कब्जा हो गया था, लेकिन स्थानीय लड़ाकों और अमेरिकी फौजों ने धीरे-धीरे आईएस को सिमट जाने को मजबूर कर दिया. फिलहाल आईएस के सक्रिय सदस्यों की संख्या बेहद कम रह गई है. लेकिन कोरोना वायरस से फैली महामारी कोविड-19 का फायदा उठाकर आईएस इराक और सीरिया में फिर सक्रिय हो रहा है. पिछले एक महीने में आईएस की स्लीपर सेल की गतिविधियों में तेजी आई है. आईएस ने 2 मई को किए आतंकी हमले में इराकी अर्द्धसैनिक बलों के 10 जवानों को मार दिया. ये हमला इराक की राजधानी बगदाद के पास ही हुआ. अप्रैल के आखिरी सप्ताह में किरकुक में हुए एक आत्मघाती हमले में एक सरकारी इमारत के बाहर तैनात तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी.
स्लीपर सेलों को सक्रिय कर रहा है आईएस
आईएस ने सीरिया में भी 32 सुरक्षाकर्मियों को मार दिया है. इसके अलावा दो ऑयलफील्ड को भी तबाह कर दिया. इराक के सुरक्षा संबंधी मामलों के विशेषज्ञ हिशम अल हशेमी कहते हैं, "पिछले कुछ दिनों में कॉम्बैट ऑपरेशन बढ़कर एक नए स्तर पर पहुंच गए हैं. इनके अलावा आईएस अपने फंडिंग, तस्करी के रास्तों और स्लीपर सेल को सक्रिय करने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है." अमेरिकी खुफिया विभाग की रिपोर्ट कहती है कि इराक में अभी ढाई से तीन हजार आईएस लड़ाके सक्रिय हैं. बगदाद में काम कर रहे खुफिया विभाग के अधिकारी कहते हैं कि करीब 500 लड़ाके जिनमें हाल में जेल से छूटे लोग भी शामिल हैं, सीमा पार कर सीरिया चले गए हैं.
इराक के कुर्द इलाके के उपप्रधानमंत्री कुबद तलबानी कहते हैं, "आईएस का फिर से बढ़ना हमारे लिए एक बड़ा खतरा है. आईएस कुर्द लोगों को उत्तर में मार रहा है. धीरे-धीरे वो बगदाद की तरफ बढ़ना भी शुरू करेंगे." पिछले कुछ दिनों में कुर्द जेलों में बंद आईएस आतंकियों के जेल से भागने और जेल पर कब्जा कर लेने की खबरें आई हैं. 30 मार्च को उत्तर पूर्वी सीरिया के हसाकेह जेल में बंद आईएस के आतंकियों ने जेल को अपने कब्जे में ले लिया. यहां से कई आतंकियों के भागने की भी खबर आई थी. हालांकि कुछ दिनों की बातचीत के बाद हुए एक समझौते से इस जेल पर फिर से कुर्दों ने नियंत्रण पा लिया. इस समझौते में अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य दल के सदस्य भी शामिल थे.
फौज हटने का भी फायदा उठा रहा आईएस
आईएस के प्रभाव में बढ़ोत्तरी ऐसे समय पर देखने को मिली है जब अमेरिका ने अपनी फौज को वापस बुलाना शुरू कर दिया है. इसके चलते इराक में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का पालन करवाने के लिए इराकी सुरक्षा बलों को लगाया गया है. इराक में राजनीतिक अनिश्चितता भी लगातार बनी हुई है. इराक में फिलहाल एक नई सरकार बनाने की कोशिशें चल रही हैं.
हालांकि कुछ अधिकारियों का कहना है कि हाल में हुए हमले बहुत हल्के किस्म के थे. इनको देखकर ये नहीं लग रहा है कि आईएस 2014 की तरह फिर से एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर सकता है. एक स्वतंत्र विश्लेषक सैम हेलर का कहना है कि हाल के दिनों में हुई गतिविधियां आईएस के और आक्रामक होने की कोशिश को दर्शाने वाली हैं.
कश्मीर में भी बढ़ी आतंकी घटनाएं
लॉकडाउन के बीच कश्मीर में भी आतंकी घटनाएं सामने आ रही हैं. 2 मई को हंदवाड़ा में हुई एक मुठभेड में सेना के चार और पुलिस के एक जवान की मौत हो गई. कोरोना के चलते पूरे भारत में लॉकडाउन है. कश्मीर घाटी में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने के बाद से लॉकडाउन है. लेकिन बीते कुछ दिनों में आतंकी घटनाओं में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
इससे पहले 18 अप्रैल को बारामूला के सोपोर में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के तीन जवान मारे गए थे. 18 अप्रैल को शोपियां में सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था. 17 अप्रैल को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में एक जवान घायल हो गया था. विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी के मौसम के चलते सीमा पर जमी बर्फ पिघली है. बर्फ से सीमा पर लगी फेंसिंग को भी नुकसान हुआ है. इसके चलते आतंकी सीमापार कर कश्मीर में घुस रहे हैं.
आरएस/एमजे (एपी/एएफपी)
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