क्या एक फुटबॉल मैच ने स्पेन को कोरोना के जाल में फंसाया?
जिन देशों में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं, उनमें इटली के बाद स्पेन दूसरे नंबर पर है. लेकिन स्पेन कोरोना के जाल में कैसे फंसा, चलिए जानते हैं.
31 जनवरी
स्पेन में कोरोना के पहले मामले की पुष्टि हुई. संक्रमण केनेरी द्वीप पर एक जर्मन टूरिस्ट में मिला, जो चीन का दौरा करने वाले लोगों के संपर्क में था.
6 फरवरी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आधिकारिक टेस्ट प्रोटोकॉल निर्धारित किया. जिन लोगों को सांस संबंधी बीमारी और बुखार था और जिन्होंने बीते 15 दिन में चीन के हुबेई प्रांत का दौरा किया, उनका टेस्ट किया गया.
19 फरवरी
स्पैनिश फुटबॉल क्लब वालेंसिया के 2,500 फैन्स एक फुटबॉल मैच देखने इटली के शहर मिलान गए. मैच वेलेंसिया और इटली के क्लब अटलांटा के बीच था. जिस शहर बेरगामो में अटलांटा क्लब स्थित है, उसके मेयर ने इस मैच को "एक जैविक बम" बताया. मैड्रिड में भी 18 फरवरी को चैंपियंस लीग का मैच हुआ.
25 फरवरी
इटली से लौटे फुटबॉल फैंस से जुड़े कोरोना वायरस के मामले सामने आने लगे. वहीं केनेरी द्वीप के टेनेरीफ होटल में जब एक इतालवी टूरिस्ट पॉजिटिव पाया गया तो वहां ठहरे 700 लोगों को क्वांटरीन कर दिया गया. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में पहला मामला सामने आया.
26 फरवरी
संक्रमण को रोकने की कोशिश में स्पेन ने अपने देश के लोगों को चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ईरान, सिंगापुर और उत्तरी इटली ना जाने की सलाह दी. इनमें ज्यादातर इलाके कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से ग्रस्त रहे हैं.
27 फरवरी
ज्यादा मरीजों का टेस्ट शुरू किया गया. जिन लोगों में कोविड-19 के स्पष्ट लक्षण दिख रहे थे, उनके तो टेस्ट हो ही रहे थे, अब ऐसे लोग भी इसमें शामिल कर लिए गए जो उत्तरी इटली और कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों की यात्रा करते रहे थे.
3 मार्च
लेकिन कोरोना ने स्पेन को अपने चंगुल में समेट लिया था. स्पेन में कोरोना वायरस से पहली मौत हुई. मरने वाला व्यक्ति वालेंसिया में रहता था और 13 फरवरी को नेपाल गया था.
5 मार्च
स्पेन के अधिकारियों ने आदेश दिया कि अगर कोई खिलाड़ी कोरोना वायरस से प्रभावित इलाके से आता है तो उसकी टीम के साथ होने वाला मैच बंद दरवाजों के पीछे खेला जाएगा.
7 और 8 मार्च
धुर दक्षिणपंथी वोक्स पार्टी की मैड्रिड में सालाना रैली हुई. महिला अधिकार रैली हुई, देश भर में कई खेल आयोजन हुए. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से संबंधित प्रदर्शन भी हुए. 8 मार्च को स्पेन में कोरोना वायरस के 589 मामले सामने आए और 17 मौतें हुईं.
10 मार्च
स्पेन ने इटली से आने वाली सीधी उड़ानों पर रोक लगा दी. संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में एक हजार से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई.
12 मार्च
देश भर में स्कूलों को बंद कर दिया गया. कैटेलोनिया इलाके में इगुलाडा पहला ऐसा शहर बना जहां लॉकडाउन किया गया. वहां अब सिर्फ तीन हजार केस हैं और 84 लोगों की मौत हुई है.
14 मार्च
स्पेन ने 15 दिन के आपातकाल की घोषणा की. सभी तरह की आवाजाही रोक दी गई. सिर्फ खाना और दवाएं खरीदने और काम पर जाने की छूट दी गई. बार, रेस्तरां और गैर जरूरी उत्पाद बेचने वाली दुकानों को बंद कर दिया गया.
25 मार्च
स्पेन ने कोरोना वायरस से हुई मौतों के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया और मौतों का आंकड़ा 3,434 हो गया. हालांकि मृतकों का आंकड़ा इटली से काफी कम था लेकिन उसमें तेजी से इजाफा हो रहा था.
23 मार्च
कोरोना वायरस की वजह से लगातार तेजी से बढ़ते संक्रमण की वजह से अस्पतालों में मौजूदा बेड कम पड़ते गए. राजधानी मैड्रिड में आपात अस्पतालों को बनाने की शुरुआत हुई.
26 और 28 मार्च
लगातार गंभीर होते हालात के बीच स्पेन की सरकार ने आपातकाल को 12 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला किया. लॉकडाउन को सख्त कर दिया गया. अनिवार्य सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी कर्मचारियों को घर पर रहने को कहा गया. (रिपोर्ट: एके/रॉयटर्स)
30 मार्च
संकट की घड़ी में मेडिकल कर्मचारियों के कठिन काम को लोगों की सराहना मिल रही है. वे घरों की बालकनी से तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं. यहां एक अस्पताल के कर्मी लोगों का समर्थन के लिए शुक्रिया अदा करते हुए.