1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्या छुपा रुस्तम बनेगा वर्ल्ड चैंपियन

१५ फ़रवरी २०११

क्रिकेट वर्ल्ड कप का इतिहास रहा है कि अंडरडॉग या कमजोर मानी गई टीमों ने बड़ा उलटफेर करते हुए वर्ल्ड कप अपने हाथों में उठाया. इस बार क्या इतिहास खुद को दोहराएगा..

https://p.dw.com/p/10Gzh
तस्वीर: AP

क्या इस बार बांग्लादेश वर्ल्ड कप जीत जाएगा? इस वक्त के हालात को देखकर यह सवाल बेवकूफाना कहा जा सकता है. लेकिन गुजरा वक्त इसे बेवकूफाना नहीं कहता. 1983 के वर्ल्ड कप का फाइनल दुनियाभर के क्रिकेट फैन्स को भौचक्का कर गया था. एक ऐसी टीम कप उठाए स्टेडियम में घूम रही थी जो ख्वाब में भी विजेता नहीं मानी गई थी. भारत क्रिकेट जगत का शायद पहला छुपा रूस्तम है.

Pakistanische Spieler im Freudentaumel
तस्वीर: AP

प्राचीन रोम में एक परंपरा थी. जो कैदी सबसे कमजोर होते थे उन्हें कोलोसियम में शेरों के सामने फेंक दिया जाता. ज्यादातर मर जाते. कुछ आधे अधूरे बच जाते. और कुछ ऐसे होते जो शेर को मार देते.

क्रिकेट वर्ल्ड कप में भी यही होता है. कमजोर टीमों को दिग्गजों के ग्रुप में फेंक दिया जाता है. ज्यादातर 'मर'जाती हैं. कुछ आधी अधूरी बचती हैं, यानी एक आध मैच जीतती हैं. लेकिन इतिहास के पन्नों ऐसी टीमें दर्ज हैं जो बाद में छुपी रुस्तम साबित हुईं. जैसे भारत, जिसने 1983 में पहले दोनों वनडे वर्ल्ड कप जीत चुकी वेस्ट इंडीज टीम को कुचलते हुए वर्ल्ड चैंपियन का खिताब हासिल किया.

...और फिर पाकिस्तान

जो कारनामा कपिल देव की टीम ने लॉर्ड्स ने किया था वैसा ही कुछ पाकिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया में रचा. 1992 के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को कोई खास अहमियत नहीं मिल रही थी. हालांकि वह एक ठीक ठाक टीम थी लेकिन तब उन्हें 'कॉर्नर्ड टाइगर्स'या कहिए कि किनारे हो चुके शेर कहा गया. उस वक्त ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था कि पाकिस्तान वर्ल्ड कप जीत जाएगा.

टूर्नामेंट के पहले आधे हिस्से में उसका प्रदर्शन तो ऐसा था कि बाहर होना तय माना जा रहा था. लेकिन बारिश ने उसकी ऐसी मदद की कि पासा पलट गया. इंग्लैंड के खिलाफ एक लीग मैच में पाकिस्तान 74 रन पर आउट हो गया था. इस मैच में हार का मतलब था टूर्नामेंट से छुट्टी. लेकिन बादल बरसे और दोनों टीमों को एक एक अंक बांटना पडा.

उसके बाद तो पाकिस्तान ने ऐसा पलटा खाया कि किसी के रोके न रुका. एक बार स्थिति ऐसी थी कि पाकिस्तान को सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए अपने तीनों मैच जीतने थे. और इमरान खान की टीम ने तीनों मैच जीतकर धड़धड़ाते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई. फिर तो वे वर्ल्ड कप जीतने के बाद ही थमे. अपने आखिरी वर्ल्ड कप में पाकिस्तानी कप्तान इमरान खान ने अपना सबसे बड़ा ख्वाब पूरा किया.

श्रीलंका का डंका

ऐसी ही कहानी श्रीलंका की है. 1996 में उन्होंने ऐसा इतिहास रचा जो खुद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा. ओपनर सनथ जयसूर्या और रमेश कालूवितरना के तूफान ने उस वर्ल्ड कप में पहले 10 ओवरों को मतलब ही बदल दिया. तब तक सामान्य मानी जाने वाली टीम को किस्मत का भी साथ मिला. वेस्ट इंडीज और ऑस्ट्रेलिया ने श्रीलंका में मैच खेलने से इनकार कर दिया और अंक श्रीलंका को मिल गए. लेकिन टीम ने साबित किया कि वह इनकी हकदार थी.

वैसे फाइनल में उसकी जीत कम रोमांचक नहीं थी. ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल जीतना आसान बात नहीं थी.

केन्या का कमाल

1996 के वर्ल्ड कप में केन्या की टीम पहली बार इतने बड़े टूर्नामेंट में खेल रही थी. सब उसे ऐसे शाबाशी दे रहे थे जैसे कोई बच्चा पहली बार बड़ों की टीम में खेलने आया हो. और उसी'बच्चे' ने दिग्गज वेस्ट इंडीज को ऐसी पटखनी दी कि उस सदमे से वेस्ट इंडीज की टीम अब तक उबर नहीं पाई है.

फिर भी 2003 में केन्या इतनी बड़ी टीम तो नहीं थी कि कोई उसकी जीत पर दांव लगाए. लेकिन केन्या का कमाल ऐसा हुआ कि सेमीफाइनल होने से पहले लोग कहने लगे, कहीं केन्या ही वर्ल्ड कप तो नहीं जीत जाएगी. क्योंकि छोटी सी मानी जाने वाली यह टीम आखिरी चार तक जा पहंची थी.

बांग्लादेश और आयरलैंड

2007 के वर्ल्ड कप में ये दोनों टीमें भले ही वर्ल्ड कप न जीत पाई हों, लेकिन दो शेरों को मात देकर इन टीमों ने पासे तो पलट ही दिए. आयरलैंड ने पाकिस्तान को हरा कर वर्ल्ड कप से बाहर कर दिया. बांग्लादेश ने टूर्नामेंट की सबसे मजबूत टीमों में गिने जा रहे भारत की छुट्टी करके साबित किया कि छोटी टीमों को हल्के में लेना सबसे बड़ी बेवकूफी है.

इस बार कौन

2011 के वर्ल्ड कप में हर कोई चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है कि भारत कप का सबसे मजबूत दावेदार है. लेकिन ऐसा कहने वाले इतिहास को भूल रहे हैं. और यह भी कि बांग्लादेश अपने घर में वर्ल्ड कप खेल रहा है. हाल ही में उसने न्यूजीलैंड को वनडे सीरीज में जिस तरह रौंदा उसके बाद उससे वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीद भले न की जाए लेकिन कुछ 'शेरों'को सावधान तो हो ही जाना चाहिए.

शायद यही वजह है कि भारत के सारे खिलाड़ी एक एक करके यह कह चुके हैं कि वे बांग्लादेश के खिलाफ पूरी तरह तैयार हैं.
वैसे इस बार ऑस्ट्रेलिया भी इस बार का डार्क होर्स साबित हो सकता है. सब कह रहे हैं कि उसकी बादशाहत अब नहीं रही. पर तीन बार वर्ल्ड कप जीत चुके रिकी पोंटिंग का दमखम किसी को भी चकमा दे सकता है.

लेकिन...2011 में सबसे बड़ा उलटफेर कर सकता है पाकिस्तान. पाकिस्तान इस बार सबसे नाउम्मीद टीम है. सिर पर विवादों का बोझ, माथे पर फिक्सिंग का दाग और नाखुश नाराज से खिलाड़ी. ऐसी टीम भले क्या वर्ल्ड कप जीतेगी! हो सकता है यही लाइन 2 अप्रैल के बाद सबसे बेवकूफाना साबित हो और शाहिद अफरीदी वर्ल्ड कप उठाए मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम के चक्कर लगा रहे हों.

रिपोर्ट: विवेक कुमार

संपादन: ए जमाल

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें