क्या निजीकरण की भेंट चढ़ जाएगी दार्जिलिंग की ट्वाय ट्रेन
२५ अगस्त २०२१भारत सरकार ने छह लाख करोड़ की रकम जुटाने के लिए जिन ट्रेनों को निजी क्षेत्र को लीज पर देने का फैसला किया है उनमें यूनेस्को की हेरिटेज सूची में शामिल दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) की ट्वाय ट्रेन भी शामिल है. इससे पर्यटक और इस उद्योग से जुड़े लोग आशंकित हैं. उनको डर है कि निजी हाथों में जाते ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही इस ट्रेन में लोगों की दिलचस्पी कम हो जाएगी, किराया बढ़ेगा और इसकी हेरिटेज वैल्यू खत्म हो जाएगी.
कोरोना महामारी की वजह से बीते साल से ही न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच यह सेवा बंद थी. बीती जनवरी में इसे दार्जिलिंग से घूम के बीच चलाया गया था. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में इसे बंद कर दिया गया. न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच यह सेवा तो बीते साल से ही बंद पड़ी थी. लगभग 141 साल पुरानी यह सेवा यूनेस्को की हेरिटेज सूची में शामिल है. यह ट्रेन दार्जिलिंग आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र रही है. लंबे अरसे तक बंद रहने के बाद यह ट्वाय ट्रेन 25 अगस्त से दोबारा शुरू हुई है.
निजीकरण का विरोध
इस ट्रेन के दोबारा शुरू होने से पर्यटन पर आधारित इलाके की अर्थव्यवस्था को कुछ सहारा मिलने की उम्मीद जगी है. लेकिन इसे निजी हाथों में सौंपने के फैसले से इस ऐतिहासिक ट्रेन के भविष्य पर संशय के बादल गहराने लगे हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रेलवे के निजीकरण के लिए 400 रेलवे स्टेशनों, 90 यात्री ट्रेनों, 15 रेलवे स्टेडियम और कई रेलवे कॉलोनियों की पहचान करने का एलान किया है. इसके साथ ही सरकार ने कोंकण और कुछ अन्य पहाड़ी इलाकों की रेलों का निजीकरण करने की भी बात कही है.
एहतियात के तौर पर सरकार इस मामले में निजीकरण शब्द का इस्तेमाल करने की बजाय इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप कहती है. वित्त मंत्री के मुताबिक, रेलवे की खाली पड़ी जमीनों, कॉलोनियों, स्टेडियम और ट्रेनों को निजी हाथों में विकास के लिए दिया जाएगा. इससे निजी साझीदार निवेश करेंगे और बीस वर्ष से ले कर नब्बे वर्ष तक अपना मुनाफा कमाएंगे. लेकिन मालिकाना हक सरकार का ही बना रहेगा. इससे रेलवे का तेजी से विकास संभव हो सकेगा.
हेरिटेज दर्जे पर आशंका
इलाके के टूर ऑपरेटर इसे निजी हाथों में सौंपने के केंद्र के फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनकी दलील है कि इससे इसकी अहमियत खत्म हो जाएगी. पर्यटन उद्योग से जुड़े तमाम संगठनों ने इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग में केंद्र को पत्र भेजने का भी फैसला किया है. हिमालय टूरिज्म डेवलपमेंट नेटवर्क के महासचिव सम्राट सान्याल कहते हैं, "मेरी राय में इससे समस्या बढ़ेगी जिसका असर पर्यटन पर पड़ेगा. हम केंद्र को पत्र भेजेंगे." डीएचआर इंडिया सपोर्ट के महासचिव राज बसु कहते हैं, "निजीकरण किया जा सकता है. लेकिन उससे इस ट्रेन के हेरिटेज दर्जे पर कोई खतरा नहीं पैदा होना चाहिए. केंद्र को इस पहलू का ध्यान रखना चाहिए."
पश्चिम बंगाल के पर्यटन मंत्री गौतम देब ने भी केंद्र के फैसले का विरोध किया है. वह कहते हैं, "इससे ट्रेन का किराया बेतहाशा बढ़ जाएगा. केंद्र सरकार सब कुछ बेचने पर तुली है. हम पूरी ताकत से इसका विरोध करेंगे." फेडरेशन ऑफ चैंबर्स आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, उत्तर बंगाल के महासचिव विश्वजीत दास कहते हैं, "इस ट्रेन को मौजूदा स्थिति में ही बेहतर तरीके से संचालित किया जाना चाहिए. संगठन इसके निजीकरण के खिलाफ है.”दूसरी ओर, सिलीगुड़ी के बीजेपी विधायक शंकर घोष ने इस फैसले का स्वागत किया है. वह कहते हैं, "इससे इलाके का विकास होगा, पर्यटन उद्योग को विकसित होने में मदद मिलेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे."
ट्वाय ट्रेन का इतिहास
छोटी लाइन की ये ट्रेन अपने आप में एक इतिहास समेटे है. इस रेलवे लाइन का निर्माण वर्ष 1879 से 1881 के बीच किया गया था. यह लाइन दार्जिलिंग में समुद्रतल से करीब 22 सौ मीटर की ऊंचाई पर है. ईस्टर्न बंगाल रेलवे के एक एजेंट फ्रैंकलिन प्रेस्टेड के दिमाग में इसका ख्याल आने के बाद इसकी योजना तैयार करने में करीब आठ साल लग गए. चार अप्रैल,1881 को पहली बार यह ट्रेन सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग पहुँची. अस्सी के दशक तक यह ट्रेन पर्वतीय इलाके में खाद्यान्न और अन्य सामानों की सप्लाई का प्रमुख जरिया थी. लेकिन इसमें ज्यादा समय लगने और सड़क मार्ग तैयार होने के बाद ये काम सड़क से होने लगा.
वर्ष 1999 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया था. कई दशकों से यह ट्रेन आम सैलानियों के अलावा बॉलीवुड के लिए भी आकर्षण का केंद्र रही है. आराधना समेत कितनी ही फिल्मों के गीत और दृश्य इस पर फिल्माए जा चुके हैं. पूर्वोत्तर सीमांत (एनएफ) रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शुभानन चंदा बताते हैं, "यह ट्रेन आज से दोबारा शुरू हो गई है. यात्रियों के लिए पहली श्रेणी में 17 सीटें होंगी और जनरल में 29 सीटें. उम्मीद है यात्रियों में यह ट्रेन फिर पहले जैसी ही लोकप्रिय साबित होगी."
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